SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Sudhir Kumar (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2009
- Pages: 192 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 98170287871
- ISBN-13 :9788170287872
DESCRIPTION:
ज़ोरदार कथानक, कहानी कहने की अपनी अनोखी शैली, सशक्त और सजीव चित्रांकन कि कहानी पढ़ते हुए पाठक उसी परिवेश में सराबोर हो जाता है जिस कारण हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार काशीनाथ सिंह ने इसे सराहा है। युवा लेखक प्रवीण कुमार की इन चार लम्बी कहानियों में छोटे-बड़े शहरों और कस्बों की ज़िन्दगी का हर पहलू, वहाँ की बोली, पहनावे, सबको बहुत बारीकी से उकेरा है और इतना रोचक बना दिया है कि छबीला रंगबाज़ एक यादगार किरदार बन जाता है। रुझान से इतिहास, अवधारणा और साहित्य के शोधार्थी प्रवीण कुमार दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज में हिन्दी के सहायक प्रोफ़ेसर हैं। ddविभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित इनके लेखों और कहानियों ने इन्हें एक उभरते हुए कहानीकार की पहचान दी है।
Description
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Sudhir Kumar (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2009
- Pages: 192 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 98170287871
- ISBN-13 :9788170287872
DESCRIPTION:
ज़ोरदार कथानक, कहानी कहने की अपनी अनोखी शैली, सशक्त और सजीव चित्रांकन कि कहानी पढ़ते हुए पाठक उसी परिवेश में सराबोर हो जाता है जिस कारण हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार काशीनाथ सिंह ने इसे सराहा है। युवा लेखक प्रवीण कुमार की इन चार लम्बी कहानियों में छोटे-बड़े शहरों और कस्बों की ज़िन्दगी का हर पहलू, वहाँ की बोली, पहनावे, सबको बहुत बारीकी से उकेरा है और इतना रोचक बना दिया है कि छबीला रंगबाज़ एक यादगार किरदार बन जाता है। रुझान से इतिहास, अवधारणा और साहित्य के शोधार्थी प्रवीण कुमार दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज में हिन्दी के सहायक प्रोफ़ेसर हैं। ddविभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित इनके लेखों और कहानियों ने इन्हें एक उभरते हुए कहानीकार की पहचान दी है।
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