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Specification:
- Product Code: Book653
- Edition : October 1, 1991
- Pages :
- Weight : 200gm
- Size :
- Cover : Paperback
- Author : Geoffrey Hodson (Author)
- Language : English
- ISBN : 8170590140, 978-8170590149
- Publisher : Theosophical Publishing House
Discription:

Specification:
- Publisher : Zen Publications
- By : Shakuntala Hawoldar
- Cover : Paperback
- Language : English
- Edition : 2015
- Pages : 198
- Weight : 270 gm.
- Size : 5.5 x 2 x 8.5 inches
- ISBN-10 : 9384363308
- ISBN-13 : 978-9384363307
Description:
If you are looking for an explosive book by some kind of nerd, delving into abstract symbols, or a spiritual pundit floating in a metaphysical haze, then this book is not meant for you.
This is simply an extraordinary book by an ordinary woman who has enjoyed and suffered the dual, roller-coaster life of her daily grind.
She now offers us her life experiences with a unique pair of lenses to see a different world orbiting in a parallel universe. This universe of sat-chit-anand (truth-consciousness-joy/bliss) or oneness has been revealed time and again by the masters and gurus who have escaped the snares of Maya or world as illusion. The author however, reminds us that the dual world where we are all born has sticky glue as its mysterious matrix. This matrix blinds us with our complex desires and tendencies which has taken us with our automated robotic mind bodies onto a push button escalator which has gone out of control.
This hypnotic maya which emasculates our very thinking and distorts our brains makes us believe that what is not IS! Grappling with and perceiving what IS itself involves a jump in consciousness to a higher vantage point which is no easy feat.
Self transformation which is the essence of this book is a break through to a new dimension. In this new approach we cannot have one set of ideas fighting with another set for supremacy because all of it constitutes conditioning and more conditioning. The real, however is hidden in our bodymind-layers and it will reveal its hidden splendour only when we break away from our robotic selves or egos.
On the other hand if you are firmly ensconced in the invisible and hypnotic nets of samsara or maya then don't bother with the new horizons, which welcomes you as the land of light and love. Drop the book where you found it since self transformation is no cake walk!
ffa kuntala Hawoldar was born in Bombay, India on September 15, 1944.

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Nana Palkhiwala(Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2012
- Pages: 208 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:8170283728
- ISBN-13: 9788170283720
DESCRIPTION:
पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के शब्दों में नानी पालखीवाला ‘देश के सर्वश्रेष्ठ बुद्धिजीवी’ हैं। भारत की राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक सभी प्रकार की समस्याओं का आपने विश्लेषण किया है और समाधान भी दिये हैं। इन विषयों पर उनके भाषण तथा पुस्तकें बहुत लोकप्रिय हुई हैं। प्रस्तुत पुस्तक उनके समग्र कृतित्व में से चुनी हुई ऐसी रचनाओं का संकलन है जिनमें देश की सभी वर्तमान समस्याओं पर प्रकाश डाला गया है और उनको हल करने के उपाय सुझाए गए हैं। भारत के नवनिर्माण में लगे प्रत्येक भारतीय के लिए यह पुस्तक अवश्य पठनीय है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Ahmad Faraz(Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170283876
- ISBN-13 :9788170283874
DESCRIPTION:
प्रसिद्ध पाकिस्तानी शायर अहमद फ़राज़ की चुनी हुई शायरी जो अपने देश से ज्यादा दूसरे देशों में रहे और रहते हैं और एक जलावतन शायर के रूप में मानो समूचे एशिया की आवाज़ बनकर खड़े हैं। उनकी शायरी में पाकिस्तान की ज़िन्दगी का जिसमें आग, धुआँ, मारकाट, लूटपाट आदि आए दिन होते रहते हैं और हर किसी पर ख़ौफ़ के साये लहराते रहते हैं, खूबसूरत चित्रण बड़ी बारीकी से मिलता है। साथ ही, हुस्न और इश्क़ उनकी शायरी का एक नुमायां रंग है जिसे उन्होंने अपने ही अंदाज़ में रंगा है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Ameer Kazalbash (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2015
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350641038
- ISBN-13 : 9789350641033
DESCRIPTION:
लोकप्रिय उर्दू शायर अमीर आग़ा क़ज़लबाश की एक-से-एक बढ़कर चुनी हुई नज़्में, ग़ज़लें और शे’र जिनमें आज की इन्सानी ज़िन्दगी के सभी रंग-शायर के अपने खास अंदाज़ में।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Bashir Badra
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:9350640759
- ISBN-13 :9789350640753
DESCRIPTION:
बशीर बद्र मुहब्बत के शायर हैं और उनकी शायरी का एक-एक लफ़्ज़ इसका गवाह है। मुहब्बत का हर रंग उनकी ग़ज़लों में मौजूद है। उनका पैग़ाम मुहब्बत है-जहाँ तक पहुँचे। यह संकलन उनकी समूची शायरी का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी लाजवाब भूमिका हिन्दी के प्रसिद्ध कवि-सम्पादक कन्हैयालाल नंदन ने लिखी है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Rajendra Awasthi
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 81702847
- ISBN-13 :9788170289784
DESCRIPTION:
तरक्कीपसंद शायर कैफ़ी आज़मी की समग्र शायरी में से चुनी हुई उनकी श्रेष्ठ ग़ज़लें, नज़्में और शे’र साथ ही, उनकी सुप्रसिद्ध बेटी शबाना आज़मी द्वारा लिखा जीवन-परिचय जिसका शीर्षक है-‘अब्बा’। खुशवन्त सिंह ने कैफ़ी आज़मी को ‘आज की उर्दू शायरी का बादशाह’ करार दिया है-और सचमुच वे हैं भी। कैफ़ी आज़मी के समूचे कलाम में से चुनी हुई रचनाओं का विशेष संकलन-फिल्मी गीतों सहित।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kanhaiyalal Nandan (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:9350641801
- ISBN-13: 9789350641804
DESCRIPTION:
भारत के उर्दू शायरों में कृष्ण बिहारी ‘नूर’ एक मशहूर नाम है। एक तरफ़ उनकी शायरी जहाँ सूफ़ियाना अन्दाज़ में मस्त कलन्दरों की तरह अपना दर्ज कराती है, वहीं दूसरी तरफ़ हिन्दू दर्शन और अध्यात्म की खुशबुएँ बिखेरती है। उनके कलाम को गुलाम अली, असलम खाँ, पीनाज़ मसानी, भूपेन्द्र और रवीन्द्र जैन जैसे चोटी के गायकों ने स्वर प्रदान किये हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Nida Fazli(Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350641046
- ISBN-13 :9789350641040
DESCRIPTION:
भारत के उर्दू शायरों में निदा फ़ाज़ली आज एक महत्त्वपूर्ण नाम है। उन्होंने नयी शैली में नए विषयों पर लिखकर शायरी को एक नया मोड़ दिया है। उनके कलाम में देश की ज़िन्दगी अपने लोकरंगों के लिबास में पूरी तरह मौजूद है।


SPECIFICATION:
- Publisher :Rajpal and Sons
- By: Shaharyaar) (Author)
- Binding : Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2017
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10 : 8170289793
- ISBN-13: 9788170289791
DESCRIPTION:
मशहूर उर्दू शायर शहरयार के समूचे कलाम में से उनके क़रीबी दोस्त, प्रसिद्ध साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा विशेष रूप से तैयार संकलन, शायर की ज़िन्दगी और उनके लेखन पर रोचक भूमिका सहित चैंकानेवाली आतिशबाज़ी से हटकर, शाइस्तगी से भरी कुछ ऐसी शायरी जो अजाने ही वक्त की पुकार में बदल जाती है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Rangey Raghav (Author)
- Binding :Hardcover
- Language: Hindi
- Edition :2015
- Pages: 348 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170288002
- ISBN-13:9788170288008
DESCRIPTION:
‘आखिरी आवाज़’ हिन्दी के विख्यात साहित्यकार रांगेय राघव का एक उत्कृष्ट उपन्यास है। अपनी अद्भुत कल्पना-शक्ति, असाधारण प्रतिभा के द्वारा उन्होंने एक साधारण से कथानक को इतनी खूबसूरती से वर्णित किया है कि पढ़ते-पढ़ते पाठक रोमांचित हो उठता है। गांव में सरपंच, दरोगा और ऊंची पहुंच वालों की किस तरह तूती बोलती है कि साधारण ग्रामीण अन्याय के विरुद्ध आवाज़ तक नहीं उठा सकता। साथ ही मानवीय उद्वेगों, दंभ और घूसखोरी आदि सामाजिक बुराइयों को भी लेखक ने बड़ी ही सहजता से बेनकाब किया है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: J. Krishnamurti
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2019
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9389373077
- ISBN-13 :9789389373073
DESCRIPTION:
‘दि अर्जेन्सी ऑव चेन्ज’ कृष्णमूर्ति की सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण पुस्तक है, जैसा कि 1971 में लंदन से प्रकाशित इसके मूल अंग्रेज़ी संस्करण के मुखपृष्ठ पर इंगित किया गया था। जीवन से जुड़े विविध विषयों पर इस पुस्तक में बेबाकी के साथ प्रश्न-दर-प्रश्न पूछे गये हैं और कृष्णमूर्ति ने बड़ी बारीकी से उनकी पड़ताल की है। वे उत्तर देकर प्रश्न को निपटा नहीं देते, बल्कि इस सहसंवाद में उन प्रश्नों के नये, अनदेखे पहलुओं को उजागर करते चलते हैं, और साथ ही पूछ भी लिया करते हैं कि साथ-साथ की जा रही इस परख के दौरान प्रश्नकर्ता के अंतर्जगत में घटित क्या हो रहा है। प्रश्नकर्ता: आप मुझसे पूछ रहे हैं कि हो क्या रहा है? मैं तो बस आपको समझने की कोशिश कर रहा हूँ। कृष्णमूर्ति: क्या आप मुझे समझने की कोशिश कर रहे हैं या कि, जिस विषय में हम बात कर रहे हैं, आप उसकी सच्चाई को देख रहे हैं जो मुझ पर निर्भर नहीं करती? यदि आप, जिस विषय में हम बात कर रहे हैं, उसकी सच्चाई को वस्तुतः देख रहे होते हैं, तब आप स्वयं अपने गुरु होते हैं, और स्वयं के ही आप शिष्य होते हैं, जो कि अपने आप को समझना है। यह समझ किसी और से नहीं सीखी जा सकती।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By : J Krishnamurti
- Cover : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2019
- Pages : 176
- Weight : 200 gm.
- Size : 5.5 x 0.41 x 8.5 inches
- ISBN-10 : 9389373077
- ISBN-13 : 978-9389373073
DESCRIPTION:
‘दि अर्जेन्सी ऑव चेन्ज’ कृष्णमूर्ति की सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण पुस्तक है, जैसा कि 1971 में लंदन से प्रकाशित इसके मूल अंग्रेज़ी संस्करण के मुखपृष्ठ पर इंगित किया गया था। जीवन से जुड़े विविध विषयों पर इस पुस्तक में बेबाकी के साथ प्रश्न-दर-प्रश्न पूछे गये हैं और कृष्णमूर्ति ने बड़ी बारीकी से उनकी पड़ताल की है। वे उत्तर देकर प्रश्न को निपटा नहीं देते, बल्कि इस सहसंवाद में उन प्रश्नों के नये, अनदेखे पहलुओं को उजागर करते चलते हैं, और साथ ही पूछ भी लिया करते हैं कि साथ-साथ की जा रही इस परख के दौरान प्रश्नकर्ता के अंतर्जगत में घटित क्या हो रहा है।
प्रश्नकर्ता: आप मुझसे पूछ रहे हैं कि हो क्या रहा है? मैं तो बस आपको समझने की कोशिश कर रहा हूँ।
कृष्णमूर्ति: क्या आप मुझे समझने की कोशिश कर रहे हैं या कि, जिस विषय में हम बात कर रहे हैं, आप उसकी सच्चाई को देख रहे हैं जो मुझ पर निर्भर नहीं करती? यदि आप, जिस विषय में हम बात कर रहे हैं, उसकी सच्चाई को वस्तुतः देख रहे होते हैं, तब आप स्वयं अपने गुरु होते हैं, और स्वयं के ही आप शिष्य होते हैं, जो कि अपने आप को समझना है। यह समझ किसी और से नहीं सीखी जा सकती।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Irshad Khan 'Sikandar (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2020
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9389373123
- ISBN-13 : 9789389373127
DESCRIPTION:
‘‘इरशाद ख़ान सिकन्दर अपना अलग रास्ता चुनने की कोशिश में हैं। उसके मज़ामीन ज़मीन से जुड़े हैं और मौजूद की अक्कासी करते हैं। ख़याली महबूब से परे वो जीते-जागते लोगों से हमकलाम हैं।’’ - रफ़ी रज़ा ‘‘इरशाद की शायरी में घर भी है बाज़ार भी है। नौजवानी का ख़ुमार भी है और मुहब्बत में किसी का इन्तिज़ार भी है। ज़िन्दगी से वास्ते भी हैं और चहल-पहल करते हुए रास्ते भी हैं।’’ - शकील आज़मी ‘‘इरशाद ख़ान सिकन्दर ने अपने बयान को न फ़लसफ़ों से बोझिल करने की कोशिश की है न ऐसे अल्फ़ाज़ से जिसके लिए डिक्शनरी का सहारा लेना पड़ता है। ये मुकम्मल तौर पर ज़िन्दगी से जुड़ा इज़हारिया है जिसमें तासीर भी मौजूद है और तजरुबा भी।’’ - ज़ुल्फ़िक़ार आदिल (पाकिस्तान) ‘‘इरशाद की ग़ज़ल पाठक को ज़रा रुककर आराम से बैठने और सोचने पर मजबूर करती है। एक थके हुए ज़ेहन को सुकून देने का काम करती है और यही वजह है कि इस ग़ज़ल की उम्र लम्बी होगी।’’ - आदिल रज़ा मन्सूरी आँसुओं का तर्जुमा इरशाद ख़ान सिकन्दर की पहली किताब है जो अब नयी साज-सज्जा में हाज़िर है। इसके कई शे’र बहुत लोकप्रिय हुए जिन्हें अन्य लेखकों ने अपनी किताबों या लेखों में उद्धृत किया है। दूसरा इश्क़ इरशाद की दूसरी किताब भी शायरी के पाठकों के बीच बहुचर्चित है। 8 अगस्त 1983 को उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर ज़िले में जन्मे इरशाद ने अपना खास पाठक वर्ग तैयार कर लिया है। वे शायरी, कहानी और नाट्य लेखन के साथ-साथ सिनेमा जगत में बतौर गीतकार सक्रिय हैं। इनका संपर्क है: ik.sikandar@gmail.com, www.irshadkhansikandar.com


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: A.P.J. Abdul Kalam
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2018
- Pages: 224 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350642816
- ISBN-13 :9789350642818
DESCRIPTION:
‘‘अगर सारी कठिनाइयों से हार न मान कर मैं इतना कुछ हासिल कर सका हूँ तो कोई भी ऐसा कर सकता है-यही संदेश है जो मैं इस पुस्तक के ज़रिये अपने देश के युवाओं को देना चाहता हूँ। इस पुस्तक से प्रेरित होकर यदि एक भी युवा अपना सपना हासिल कर लेता है तो मैं मानूँगा कि इसे लिखने का मेरा प्रयास सफल हुआ। यह पुस्तक देश-भर से प्राप्त युवाओं के ई-मेल और उनके प्रश्नों पर आधारित है और मेरे जवाब मेरे जीवन के अनुभव और जो कुछ मैंने सीखा है-उस सबका सार है और ये इस तरह पेश किए गए हैं कि मिलती-जुलती समस्याओं का सामना कर रहे किसी भी पाठक के लिए जवाबों में छुपे संदेश कारगर हो सकें।’’-इस पुस्तक की भूमिका से। 2002 से लेकर 2007 तक डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के राष्ट्रपति रहे। राष्ट्रपति पद पर रहते हुए वह जितने लोकप्रिय तब थे उतने ही आज भी हैं। प्रेरणा, सलाह, मार्गदर्शन या फिर एक जुड़ाव के अहसास के लिए लोग उनसे सम्पर्क करते हैं। उनकी सोच, उनके जीवन-मूल्य और समस्याओं के समाधान उनके अपने जीवन की कठिन राह पर चलते हुए सच्चाई की कसौटी पर खरे उतरे वे सबक हैं जिनसे हम सब बहुत कुछ सीख सकते हैं। व्यक्तिगत विकास की चुनौती-जिसका हम सब अपनी ज़िन्दगी में हर रोज़ सामना करते है-से शुरुआत करते हुए समाज और राष्ट्र के बहुआयामी, जटिल सवालों से जूझने तक यह पुस्तक सम्पूर्ण और सार्थक ज़िन्दगी जीने की प्रेरणा देती है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Lala Hardayal (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2015
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170286441
- ISBN-13 :9788170286448
DESCRIPTION:
किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए व्यक्ति के व्यक्तित्व की निर्णायक भूमिका होती है। व्यक्तित्व का विकास हम स्वयं भी कर सकते हैं। प्रसिद्ध क्रांतिकारी और विचारक लाला हरदयाल की इस युगांतकारी अमर कृति में व्यक्तित्व के विकास के सूत्र अत्यन्त सरल और रोचक भाषा-शैली में सुझाए गए हैं। एक अत्यन्त उपयोगी एवं प्रेरणादायी पुस्तक!

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: J. Krishnamurti
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2017
- Pages: 224 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170287243
- ISBN-13 :9788170287247
DESCRIPTION:
क्या आपकी दिलचस्पी महज किसी कैरियर की दौड़ में है, या आपकी मंशा यह जानने की है कि आप जीवन में वस्तुतः क्या करना पसंद करेंगे-ऐसा काम जिससे आपको सचमुच लगाव हो? क्या आज की दुनिया में जीने के लिए महत्त्वाकांक्षा और होड़ वाकई जरूरी है? व्यक्ति और समाज की समस्याओं जैसे कि गरीबी, भ्रष्टाचार और हिंसा के बारे में आपकी क्या सोच है? अपने माता-पिता और शिक्षकों के साथ आपके संबंध की बुनियाद क्या है? आज्ञापालन? विद्रोह?...या फिर समझ? प्रेम और विवाह के प्रति आपका नज़रिया क्या है? ऊब, ईष्र्या, किसी के बर्ताव से चोट पहुंचना, मज़ा कायम रखने की चाह, डर और दुख-अपने जीवन के इन सवालों से आप किस तरह दो-चार होते हैं? क्या हो सकता है मनुष्य के जीवन का उद्देश्य? मृत्यु, ध्यान, धर्म और ईश्वर के बारे में आपका क्या रुख है? जीवन से जुड़े इन जीवंत प्रश्नों का गहन अन्वेषण जे. कृष्णमूर्ति का बीसवीं सदी के मनोवैज्ञानिक व शैक्षिक विचार में मौलिक तथा प्रामाणिक योगदान है। विश्व के विभिन्न भागों में कृष्णमूर्ति जब युवावर्ग को संबोधित करते थे, उनसे वार्तालाप करते थे, तो वह उन्हें कोई फलसफा नहीं सिखा रहे होते थे, वह तो जीवन को सीधे-सीधे देख पाने की कला के बारे में चर्चा कर रहे होते थे-और वह उनसे बात करते थे एक मित्र की तरह, किसी गुरु या किन्हीं मसलों के विशेषज्ञों के तौर पर नहीं। ‘आपको अपने जीवन में क्या करना है?’ कृष्णमूर्ति की विभिन्न पुस्तकों से संकलित अपने प्रकार का पहला संग्रह है, जिसमें विशेषकर युवावर्ग को शिक्षा तथा जीवन के विषय में कृष्णमूर्ति की विशद दृष्टि का व्यवस्थित एवम् क्रमबद्ध परिचय प्राप्त होता है।
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