Youn Manovigyan

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SPECIFICATION:
  • Publisher : Rajpal and Sons
  • By: Havloc Ellis (Author)
  • Binding :Paperback
  • Language : Hindi
  • Edition :2017
  • Pages: 292 pages
  • Size : 20 x 14 x 4 cm
  • ISBN-10: 8170289831
  • ISBN-13 :9788170289838

DESCRIPTION: 

इस ग्रंथ की गणना बीसवीं शताब्दी के क्लासिक ग्रंथों में की जाती है-जिन्होंने मनुष्य के जीवन और धारणाओं को गहराई से प्रभावित किया। मनोविज्ञान में यौन भावनाओं के प्रभाव का विचार यद्यपि पहले-पहल फ्रायड ने दिया था परंतु इस विषय पर व्यापक अध्ययन और लेखन हैवलाक एलिस ने किया। अनेक खण्डों में प्रकाशित उनके अध्ययन दुनिया भर में फैले और पढ़े गये और उन सबका सार-संक्षेप उन्होंने दि साइकालाजी ऑफ सैक्स नामक ग्रंथ में किया जिसके अनुवाद दुनिया भर की बहुत-सी भाषाओं में प्रकाशित हुए। हिन्दी में इस ग्रंथ का अनुवाद प्रसिद्ध लेखक और संपादक तथा स्वयं यौन शिक्षा के समर्थक, मन्मथनाथ गुप्त ने बड़ी लगन और योग्यता से सम्पन्न किया है। यह मूल ग्रंथ के ही समान धाराप्रवाह और स्पष्ट है और पाठकों ने इसे बहुत पसंद किया है। इसके कई संस्करण प्रकाशित हुए। काफी समय से यह ग्रंथ बाज़ार में उपलब्ध नहीं था। अब इसे नई सज्जा के साथ पुनः प्रकाशित किया जा रहा है।

                          Description

                          SPECIFICATION:
                          • Publisher : Rajpal and Sons
                          • By: Havloc Ellis (Author)
                          • Binding :Paperback
                          • Language : Hindi
                          • Edition :2017
                          • Pages: 292 pages
                          • Size : 20 x 14 x 4 cm
                          • ISBN-10: 8170289831
                          • ISBN-13 :9788170289838

                          DESCRIPTION: 

                          इस ग्रंथ की गणना बीसवीं शताब्दी के क्लासिक ग्रंथों में की जाती है-जिन्होंने मनुष्य के जीवन और धारणाओं को गहराई से प्रभावित किया। मनोविज्ञान में यौन भावनाओं के प्रभाव का विचार यद्यपि पहले-पहल फ्रायड ने दिया था परंतु इस विषय पर व्यापक अध्ययन और लेखन हैवलाक एलिस ने किया। अनेक खण्डों में प्रकाशित उनके अध्ययन दुनिया भर में फैले और पढ़े गये और उन सबका सार-संक्षेप उन्होंने दि साइकालाजी ऑफ सैक्स नामक ग्रंथ में किया जिसके अनुवाद दुनिया भर की बहुत-सी भाषाओं में प्रकाशित हुए। हिन्दी में इस ग्रंथ का अनुवाद प्रसिद्ध लेखक और संपादक तथा स्वयं यौन शिक्षा के समर्थक, मन्मथनाथ गुप्त ने बड़ी लगन और योग्यता से सम्पन्न किया है। यह मूल ग्रंथ के ही समान धाराप्रवाह और स्पष्ट है और पाठकों ने इसे बहुत पसंद किया है। इसके कई संस्करण प्रकाशित हुए। काफी समय से यह ग्रंथ बाज़ार में उपलब्ध नहीं था। अब इसे नई सज्जा के साथ पुनः प्रकाशित किया जा रहा है।

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