Code Kakori (Hindi)

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SPECIFICATION:
  • Publisher : ‎ Eka
  • By : Manoj Rajan Tripathi
  • Cover : Paperback
  • Language : Hind
  • Edition : 2021
  • Pages : ‎ 264 pages
  • Weight : 240 g
  • Size : 12.9 x 1.68 x 19.8 cm
  • ISBN-10 : 9391234321
  • ISBN-13 : 978-9391234324
DESCRIPTION: 

इस कहानी का बीज मेरे सामने बोया गया था और आज कहानी फसल बन कर लहलहा रही है, CODE काकोरी को दिल से मुबारकबाद— साजिद नाडियाडवाला काकोरी अस्पताल के वॉर्ड में एक डेड बॉडी पड़ी है, जो पूरी तरह काली पड़ चुकी है। लाश पर सोने-चांदी के ब्रिटिश कॉइंस पड़े हैं। हर सिक्के पर क्वीन विक्टोरिया की तस्वीर छपी है। क़ातिल ने लाश के सीने पर पीतल की थंब पिन से एक ए फोर साइज़ का कागज़ टैग किया है, जिस पर लिखा है—हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन। आख़िर क़ातिल का इशारा क्या है? क्यों छोड़े हैं उसने ये सुराग़? पुलिस को क्यों चैलेंज कर रहा है ये क़ातिल? असल में ये वही विक्टोरियन कॉइंस हैं, जो 1925 के ‘काकोरी कांड’ में लूटे गए थे। ये वही हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन है जो 1924 में चंद्रशेखर आज़ाद ने बनाई थी। तब मक़सद था ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ बारूदी जंग छेड़ना, और बारूद उगलने वाले हथियार ख़रीदने के लिये 9 अगस्त 1925 को ट्रेन रोककर काकोरी में ही लूटा गया, अंग्रेज़ों का खज़ाना।मनोज राजन त्रिपाठी के इस उपन्यास में थ्रिल है, सस्पेंस है, एक्शन है, कॉमेडी है, ड्रामा है; कहने का मतलब, एक पूरी फ़िल्म का मज़ा है।

Description

SPECIFICATION:
  • Publisher : ‎ Eka
  • By : Manoj Rajan Tripathi
  • Cover : Paperback
  • Language : Hind
  • Edition : 2021
  • Pages : ‎ 264 pages
  • Weight : 240 g
  • Size : 12.9 x 1.68 x 19.8 cm
  • ISBN-10 : 9391234321
  • ISBN-13 : 978-9391234324
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इस कहानी का बीज मेरे सामने बोया गया था और आज कहानी फसल बन कर लहलहा रही है, CODE काकोरी को दिल से मुबारकबाद— साजिद नाडियाडवाला काकोरी अस्पताल के वॉर्ड में एक डेड बॉडी पड़ी है, जो पूरी तरह काली पड़ चुकी है। लाश पर सोने-चांदी के ब्रिटिश कॉइंस पड़े हैं। हर सिक्के पर क्वीन विक्टोरिया की तस्वीर छपी है। क़ातिल ने लाश के सीने पर पीतल की थंब पिन से एक ए फोर साइज़ का कागज़ टैग किया है, जिस पर लिखा है—हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन। आख़िर क़ातिल का इशारा क्या है? क्यों छोड़े हैं उसने ये सुराग़? पुलिस को क्यों चैलेंज कर रहा है ये क़ातिल? असल में ये वही विक्टोरियन कॉइंस हैं, जो 1925 के ‘काकोरी कांड’ में लूटे गए थे। ये वही हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन है जो 1924 में चंद्रशेखर आज़ाद ने बनाई थी। तब मक़सद था ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ बारूदी जंग छेड़ना, और बारूद उगलने वाले हथियार ख़रीदने के लिये 9 अगस्त 1925 को ट्रेन रोककर काकोरी में ही लूटा गया, अंग्रेज़ों का खज़ाना।मनोज राजन त्रिपाठी के इस उपन्यास में थ्रिल है, सस्पेंस है, एक्शन है, कॉमेडी है, ड्रामा है; कहने का मतलब, एक पूरी फ़िल्म का मज़ा है।

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