Raptiley Rajpath

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SPECIFICATION:
  • Publisher :  Rajpal and Sons 
  • By: Indira Dangi (Author)
  • Binding :Paperback
  • Language : Hindi
  • Edition :2017
  • Pages: 240 pages
  • Size : 20 x 14 x 4 cm
  • ISBN-10: 9386534193
  • ISBN-13 :9789386534194

DESCRIPTION: 

साहित्यिक चकाचौन्ध से आकर्षित एक दलित नौजवान साहित्य की दुनिया में अपना सिक्का जमाने के लिए दिल्ली आ पहुँचता है। एक छोटे शहर से आये, विराट को जल्द ही समझ आने लगता है कि इस प्रतिस्पर्धी माहौल में सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ने के लिए लेखन-प्रतिभा के अतिरिक्त और भी बहुत कुछ चाहिए। साहित्यिक राजनीति, पुरस्कारों के लिए दाँवपेंच और लालफीताशाही को करीब से अनुभव कर विराट का मोहभंग हो जाता है और अपने शहर दतिया जाने वाली ट्रेन में बैठकर वह अपना पहला उपन्यास लिखना शुरू करता है - रपटीले राजपथ। पिछले कुछ वर्षों में इंदिरा दाँगी को उनके लेखन के लिए कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया है जिनमें उल्लेखनीय हैं – ‘भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन अनुशंसा पुरस्कार २०१४’ और ‘दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय पुरस्कार २०१५’। उनकी अभी तक पाँच पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें उपन्यास और कहानी संकलन शामिल हैं। कई भाषाओं की जानकार इंदिरा दाँगी ने मौलिक लेखन के अलावा अन्य भाषाओं में कहानियों का अनुवाद भी किया है।

                          Description

                          SPECIFICATION:
                          • Publisher :  Rajpal and Sons 
                          • By: Indira Dangi (Author)
                          • Binding :Paperback
                          • Language : Hindi
                          • Edition :2017
                          • Pages: 240 pages
                          • Size : 20 x 14 x 4 cm
                          • ISBN-10: 9386534193
                          • ISBN-13 :9789386534194

                          DESCRIPTION: 

                          साहित्यिक चकाचौन्ध से आकर्षित एक दलित नौजवान साहित्य की दुनिया में अपना सिक्का जमाने के लिए दिल्ली आ पहुँचता है। एक छोटे शहर से आये, विराट को जल्द ही समझ आने लगता है कि इस प्रतिस्पर्धी माहौल में सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ने के लिए लेखन-प्रतिभा के अतिरिक्त और भी बहुत कुछ चाहिए। साहित्यिक राजनीति, पुरस्कारों के लिए दाँवपेंच और लालफीताशाही को करीब से अनुभव कर विराट का मोहभंग हो जाता है और अपने शहर दतिया जाने वाली ट्रेन में बैठकर वह अपना पहला उपन्यास लिखना शुरू करता है - रपटीले राजपथ। पिछले कुछ वर्षों में इंदिरा दाँगी को उनके लेखन के लिए कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया है जिनमें उल्लेखनीय हैं – ‘भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन अनुशंसा पुरस्कार २०१४’ और ‘दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय पुरस्कार २०१५’। उनकी अभी तक पाँच पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें उपन्यास और कहानी संकलन शामिल हैं। कई भाषाओं की जानकार इंदिरा दाँगी ने मौलिक लेखन के अलावा अन्य भाषाओं में कहानियों का अनुवाद भी किया है।

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