SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Rajendra Mohan Bhatnagar
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2010
- Pages: 308 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170287448
- ISBN-13 :9788170287445
DESCRIPTION:
राजेन्द्र मोहन भटनागर का यह उपन्यास गाँधीजी के जीवन के उस बदलाव पर केन्द्रित है जिसने उन्हें एक सफल बैरिस्टर से महात्मा बना दिया। गाँधीजी विलायत से वकालत पढ़कर दक्षिण अफ्रीका गए तो थे बैरिस्टर बनने, बैरिस्टर वह बने भी और सफल भी हुए लेकिन वहाँ की रंगभेद की नीति ने उन्हें इतना द्रवित किया कि वह वैभव का जीवन छोड़कर अहिंसा और सत्याग्रह के रास्ते संघर्ष पर उतर आए। इसी राह ने उन्हें महात्मा भी बनाया। बेहद प्रभावशाली प्रस्तुति, रोचक भाषा-शिल्प ओर सहजता से ओत-प्रोत यह उपन्यास बार-बार पढ़े जाने लायक बन पड़ा है।
Description
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Rajendra Mohan Bhatnagar
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2010
- Pages: 308 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170287448
- ISBN-13 :9788170287445
DESCRIPTION:
राजेन्द्र मोहन भटनागर का यह उपन्यास गाँधीजी के जीवन के उस बदलाव पर केन्द्रित है जिसने उन्हें एक सफल बैरिस्टर से महात्मा बना दिया। गाँधीजी विलायत से वकालत पढ़कर दक्षिण अफ्रीका गए तो थे बैरिस्टर बनने, बैरिस्टर वह बने भी और सफल भी हुए लेकिन वहाँ की रंगभेद की नीति ने उन्हें इतना द्रवित किया कि वह वैभव का जीवन छोड़कर अहिंसा और सत्याग्रह के रास्ते संघर्ष पर उतर आए। इसी राह ने उन्हें महात्मा भी बनाया। बेहद प्रभावशाली प्रस्तुति, रोचक भाषा-शिल्प ओर सहजता से ओत-प्रोत यह उपन्यास बार-बार पढ़े जाने लायक बन पड़ा है।
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