Kankadi

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SPECIFICATION:
  • Publisher : Rajpal and Sons
  • By:  Manorma Jafa (Author)
  • Binding : Paperback
  • Language :  Hindi
  • Edition :2010
  • Pages: 120 pages
  • Size : 20 x 14 x 4 cm
  • ISBN-10: 8170288533
  • ISBN-13 :9788170288534

DESCRIPTION: 

जीवनसाथी की सबसे ज़्यादा ज़रूरत जीवन-संध्या के समय होती है। उम्र की ढलान का एकाकीपन जीवन का सबसे कठिन दौर होता है। 'कंकड़ी' के नायक आनन्द सिन्हा एक विधुर हैं। पत्नी की मृत्यु के बाद वे जीवन में रीतापन अनुभव करते हैं जिसे दूर करना उन्हें अत्यंत प्रेम करने वाले परिवार के लिए भी संभव नहीं। प्रकृति के सान्निध्य में मन की शांति तलाशने वे मनाली जाते हैं, लेकिन वहां कुछ ऐसा घटित हो जाता है जो उन्हें एक बार फिर दोराहे पर ला खड़ा करता है। लेखिका मनोरमा जफ़ा का पहली ही उपन्यास ‘देविका’ हिन्दी निदेशालय के साहित्य कृति सम्मान 2007 से सम्मानित हुआ। इसके अतिरिक्त उनका एक कहानी-संग्रह और दो उपन्यास भी प्रकाशित हो चुके हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां लिखने वाली लेखिका का हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों ही भाषाओं पर समान अधिकार है।

                          Description

                          SPECIFICATION:
                          • Publisher : Rajpal and Sons
                          • By:  Manorma Jafa (Author)
                          • Binding : Paperback
                          • Language :  Hindi
                          • Edition :2010
                          • Pages: 120 pages
                          • Size : 20 x 14 x 4 cm
                          • ISBN-10: 8170288533
                          • ISBN-13 :9788170288534

                          DESCRIPTION: 

                          जीवनसाथी की सबसे ज़्यादा ज़रूरत जीवन-संध्या के समय होती है। उम्र की ढलान का एकाकीपन जीवन का सबसे कठिन दौर होता है। 'कंकड़ी' के नायक आनन्द सिन्हा एक विधुर हैं। पत्नी की मृत्यु के बाद वे जीवन में रीतापन अनुभव करते हैं जिसे दूर करना उन्हें अत्यंत प्रेम करने वाले परिवार के लिए भी संभव नहीं। प्रकृति के सान्निध्य में मन की शांति तलाशने वे मनाली जाते हैं, लेकिन वहां कुछ ऐसा घटित हो जाता है जो उन्हें एक बार फिर दोराहे पर ला खड़ा करता है। लेखिका मनोरमा जफ़ा का पहली ही उपन्यास ‘देविका’ हिन्दी निदेशालय के साहित्य कृति सम्मान 2007 से सम्मानित हुआ। इसके अतिरिक्त उनका एक कहानी-संग्रह और दो उपन्यास भी प्रकाशित हो चुके हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां लिखने वाली लेखिका का हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों ही भाषाओं पर समान अधिकार है।

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