Gurudutt Ke Saath Ek Dashak

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SPECIFICATION:
  • Publisher :Rajpal and Sons
  • By:  Satya Saran (Author)
  • Binding :Hardcover
  • Language: Hindi
  • Edition :2011
  • Pages: 224 pages
  • Size : 20 x 14 x 4 cm
  • ISBN-10:: 8170289106
  • ISBN-13: 9788170289104

DESCRIPTION: 

‘‘मुझे पता था कि गुरु दत्त अपनी कुण्डली पहले भी बनवा चुके थे और तो और उन्होंने मेरी भी कुण्डली बनवा दी थी, संयोग से हम दोनों की राशि कर्क ही निकली। उनका जन्म नौ को हुआ था। जब उन्हें ज्ञात हुआ कि मेरी पैदाइश एक की थी तो वह बहुत प्रसन्न हुए। ‘नौ और एक मिल कर दस होते हैं, और दस एक बहुत ही शक्तिशाली संख्या है।’ पण्डित ने कुण्डली देख कर कहा, ‘यह एक उत्तम कुण्डली है। अगला दशक चिन्तामुक्त रहेगा और जीवन मंगलमय।’ ‘और दस वर्ष के बाद?’ जिज्ञासु दत्त ने प्रश्न किया था। गुरु दत्त के प्रश्न के उत्तर में पण्डित ने उन्हें ध्यान से देख कर कहा, ‘अगले दशक के बाद मुझे एक विप्लव की सम्भावना नज़र आ रही है। तुम्हारी और अब्रार की साझेदारी के समापन के आसार हैं; अगर देखा जाये तो ज्योतिषी द्वारा की गयी यह भविष्यवाणी दत्त के व्यावसायिक जीवन के लिये प्रासंगिक थी। फिल्म जगत में किसी के लिये भी उतार चढ़ाव एक आम बात है, इसलिये मैंने ज्योतिषवाणी पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया किन्तु आगे जो घटा उसके कारण मेरा दृष्टिकोण बदल गया। मुझे अब नक्षत्रों के खेल पर विश्वास हो चला था...’’

                          Description

                          SPECIFICATION:
                          • Publisher :Rajpal and Sons
                          • By:  Satya Saran (Author)
                          • Binding :Hardcover
                          • Language: Hindi
                          • Edition :2011
                          • Pages: 224 pages
                          • Size : 20 x 14 x 4 cm
                          • ISBN-10:: 8170289106
                          • ISBN-13: 9788170289104

                          DESCRIPTION: 

                          ‘‘मुझे पता था कि गुरु दत्त अपनी कुण्डली पहले भी बनवा चुके थे और तो और उन्होंने मेरी भी कुण्डली बनवा दी थी, संयोग से हम दोनों की राशि कर्क ही निकली। उनका जन्म नौ को हुआ था। जब उन्हें ज्ञात हुआ कि मेरी पैदाइश एक की थी तो वह बहुत प्रसन्न हुए। ‘नौ और एक मिल कर दस होते हैं, और दस एक बहुत ही शक्तिशाली संख्या है।’ पण्डित ने कुण्डली देख कर कहा, ‘यह एक उत्तम कुण्डली है। अगला दशक चिन्तामुक्त रहेगा और जीवन मंगलमय।’ ‘और दस वर्ष के बाद?’ जिज्ञासु दत्त ने प्रश्न किया था। गुरु दत्त के प्रश्न के उत्तर में पण्डित ने उन्हें ध्यान से देख कर कहा, ‘अगले दशक के बाद मुझे एक विप्लव की सम्भावना नज़र आ रही है। तुम्हारी और अब्रार की साझेदारी के समापन के आसार हैं; अगर देखा जाये तो ज्योतिषी द्वारा की गयी यह भविष्यवाणी दत्त के व्यावसायिक जीवन के लिये प्रासंगिक थी। फिल्म जगत में किसी के लिये भी उतार चढ़ाव एक आम बात है, इसलिये मैंने ज्योतिषवाणी पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया किन्तु आगे जो घटा उसके कारण मेरा दृष्टिकोण बदल गया। मुझे अब नक्षत्रों के खेल पर विश्वास हो चला था...’’

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