Nani Ki Kahani

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SPECIFICATION:
  • Publisher : Rajpal and Sons
  • By: R. K Narayan
  • Binding : Paperback
  • Language :  Hindi
  • Edition :2016
  • Pages: 128 pages
  • Size : 20 x 14 x 4 cm
  • ISBN-10:9350643766
  • ISBN-13 :9789350643761

DESCRIPTION:

लेखक आर.के. नारायण की पड़नानी, बाला, के जीवन पर आधारित है यह पुस्तक। सात साल की मासूम बाला का विवाह दस वर्षीय विश्वा से होता है। एक दिन विश्वा कुछ तीर्थयात्रियों के साथ यात्रा पर निकल जाता है और वर्षों तक उसकी कोई खबर नहीं मिलती। रिश्तेदारों, पास-पड़ोस के तानों से परेशान होकर बाला पति को खोजने खुद ही निकल पड़ती है और पूना में उसे ढूँढ लेती है। अपने पति को किसी तरह वापस घर आने के लिए मना लेती है। परदेस में बाला को कैसी-कैसी कठिनाइयों से दो-चार होना पड़ता है, कैसे रोमांचक और खट्टे-मीठे अनुभव होते हैं, पढि़ये इस पुस्तक में.... नानी की कहानी आर.के. नारायण की पड़नानी के जीवन पर लिखी रचना है जो उन्होंने अपनी नानी से सुनी। ज्यों-ज्यों उनकी नानी यह कहानी बताती हैं त्यों-त्यों लेखक की रचना भी विस्तार लेती है। जीवन्त चरित्रों और रोज़मर्रा की जि़न्दगी की छोटी-छोटी बातों पर पैनी नज़र से कलम चलाना आर.के. नारायण की विशेषता थी जिसकी झलक इस पुस्तक के प्रत्येक पृष्ठ पर मिलती है।

                          Description

                          SPECIFICATION:
                          • Publisher : Rajpal and Sons
                          • By: R. K Narayan
                          • Binding : Paperback
                          • Language :  Hindi
                          • Edition :2016
                          • Pages: 128 pages
                          • Size : 20 x 14 x 4 cm
                          • ISBN-10:9350643766
                          • ISBN-13 :9789350643761

                          DESCRIPTION:

                          लेखक आर.के. नारायण की पड़नानी, बाला, के जीवन पर आधारित है यह पुस्तक। सात साल की मासूम बाला का विवाह दस वर्षीय विश्वा से होता है। एक दिन विश्वा कुछ तीर्थयात्रियों के साथ यात्रा पर निकल जाता है और वर्षों तक उसकी कोई खबर नहीं मिलती। रिश्तेदारों, पास-पड़ोस के तानों से परेशान होकर बाला पति को खोजने खुद ही निकल पड़ती है और पूना में उसे ढूँढ लेती है। अपने पति को किसी तरह वापस घर आने के लिए मना लेती है। परदेस में बाला को कैसी-कैसी कठिनाइयों से दो-चार होना पड़ता है, कैसे रोमांचक और खट्टे-मीठे अनुभव होते हैं, पढि़ये इस पुस्तक में.... नानी की कहानी आर.के. नारायण की पड़नानी के जीवन पर लिखी रचना है जो उन्होंने अपनी नानी से सुनी। ज्यों-ज्यों उनकी नानी यह कहानी बताती हैं त्यों-त्यों लेखक की रचना भी विस्तार लेती है। जीवन्त चरित्रों और रोज़मर्रा की जि़न्दगी की छोटी-छोटी बातों पर पैनी नज़र से कलम चलाना आर.के. नारायण की विशेषता थी जिसकी झलक इस पुस्तक के प्रत्येक पृष्ठ पर मिलती है।

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