SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Chandradhar Sharma Guleri(Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2014
- Pages:112 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8174831541
- ISBN-13 :9788174831545
DESCRIPTION:
हिन्दी कहानी की साहित्यिक यात्रा में ‘उसने कहा था’ पहली आधुनिक कहानी मानी जाती है। यथार्थवाद पर आधारित यह कहानी गुलेरी ने 1920 के दशक में लिखी जिस पर प्रेमचन्द ने सान चढ़ाई। चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ की लोकप्रियता का मुख्य कारण तो उनकी यह कहानी है ही लेकिन उन्होंने कहानियों के अतिरिक्त निबंध, आलोचना-समीक्षा, विमर्श और शोध जैसी उस समय की अविकसित विधाओं में भी लिखा। उनकी लेखन-शैली अनूठी और बहुत प्रभावपूर्ण थी। जहां एक ओर उनकी कहानियाँ-‘उसने कहा था’, ‘सुखमय जीवन’ और ‘बुद्धू का कांटा’ उल्लेखनीय मानी जाती हैं तो दूसरी ओर उनके दो निबंध-‘कछुआ धरम’ और ‘मारेसि मोहिं मुठाँव’ बहुत महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। गुलेरी की कुछेक कहानियों को छोड़कर बाकी कहानियाँ बहुत छोटी हैं लेकिन छोटी होते हुए भी प्रभावशाली हैं। हिन्दी के वरिष्ठ आलोचक डा. नामवर सिंह का कहना है-‘‘सस्कृत के पंडित उस जमाने में और भी थे, लेकिन ‘उसने कहा था’ जैसी कहानी और ‘कछुआ धरम’ जैसा लेख लिखने का श्रेय गुलेरी जी को ही है। इसलिए वे हिन्दी के बंकिमचन्द भी हैं और ईश्वरचन्द्र विद्यासागर भी।’’
Description
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Chandradhar Sharma Guleri(Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2014
- Pages:112 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8174831541
- ISBN-13 :9788174831545
DESCRIPTION:
हिन्दी कहानी की साहित्यिक यात्रा में ‘उसने कहा था’ पहली आधुनिक कहानी मानी जाती है। यथार्थवाद पर आधारित यह कहानी गुलेरी ने 1920 के दशक में लिखी जिस पर प्रेमचन्द ने सान चढ़ाई। चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ की लोकप्रियता का मुख्य कारण तो उनकी यह कहानी है ही लेकिन उन्होंने कहानियों के अतिरिक्त निबंध, आलोचना-समीक्षा, विमर्श और शोध जैसी उस समय की अविकसित विधाओं में भी लिखा। उनकी लेखन-शैली अनूठी और बहुत प्रभावपूर्ण थी। जहां एक ओर उनकी कहानियाँ-‘उसने कहा था’, ‘सुखमय जीवन’ और ‘बुद्धू का कांटा’ उल्लेखनीय मानी जाती हैं तो दूसरी ओर उनके दो निबंध-‘कछुआ धरम’ और ‘मारेसि मोहिं मुठाँव’ बहुत महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। गुलेरी की कुछेक कहानियों को छोड़कर बाकी कहानियाँ बहुत छोटी हैं लेकिन छोटी होते हुए भी प्रभावशाली हैं। हिन्दी के वरिष्ठ आलोचक डा. नामवर सिंह का कहना है-‘‘सस्कृत के पंडित उस जमाने में और भी थे, लेकिन ‘उसने कहा था’ जैसी कहानी और ‘कछुआ धरम’ जैसा लेख लिखने का श्रेय गुलेरी जी को ही है। इसलिए वे हिन्दी के बंकिमचन्द भी हैं और ईश्वरचन्द्र विद्यासागर भी।’’
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