Karma Bhoomi

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SPECIFICATION:
  • Publisher : Rajpal and Sons 
  • By:  Premchand (Author)
  • Binding :Paperback
  • Language: Hindi
  • Edition :2015
  • Pages: 320 pages
  • Size : 20 x 14 x 4 cm
  • ISBN-10: 9350643626
  • ISBN-13: 9789350643624

DESCRIPTION: 

यह उपन्यास 1930 में लिखा गया था जब गांधीजी का सत्याग्रह आन्दोलन अपनी चरम सीमा पर था। प्रेमचंद गांधी जी से बहुत प्रभावित थे और उन्हीं की तरह उनकी सहानुभूति देश के करोड़ों किसानों और गरीब मज़दूरों के साथ थी जिसकी झलक इस उपन्यास में मिलती है। अपने घर-परिवार से नाखुश, नौजवान अमरकान्त अपने जीवन में प्रेम और मकसद पाने के लिए घर से निकल जाता है और जा बसता है शूद्रों की बस्ती में। कहानी में जहां एक तरफ हिन्दू-मुसलमान, मालिक-मज़दूर, शिक्षित-अशिक्षित के बीच का रिश्ता दर्शाया गया है, वहीं हिंसा और अहिंसा के बीच टकराव भी स्पष्ट मिलता है। आठ दशक पहले लिखे इस उपन्यास में जिस समाज का चित्रण है वही यथार्थ भारत के समाज में आज भी मिलता है। सरल भाषा और पात्रों के सटीक चित्रण के कारण ‘उपन्यास-सम्राट’ प्रेमचंद आज भी हिन्दी के सबसे अधिक लोकप्रिय लेखक हैं।

                          Description

                          SPECIFICATION:
                          • Publisher : Rajpal and Sons 
                          • By:  Premchand (Author)
                          • Binding :Paperback
                          • Language: Hindi
                          • Edition :2015
                          • Pages: 320 pages
                          • Size : 20 x 14 x 4 cm
                          • ISBN-10: 9350643626
                          • ISBN-13: 9789350643624

                          DESCRIPTION: 

                          यह उपन्यास 1930 में लिखा गया था जब गांधीजी का सत्याग्रह आन्दोलन अपनी चरम सीमा पर था। प्रेमचंद गांधी जी से बहुत प्रभावित थे और उन्हीं की तरह उनकी सहानुभूति देश के करोड़ों किसानों और गरीब मज़दूरों के साथ थी जिसकी झलक इस उपन्यास में मिलती है। अपने घर-परिवार से नाखुश, नौजवान अमरकान्त अपने जीवन में प्रेम और मकसद पाने के लिए घर से निकल जाता है और जा बसता है शूद्रों की बस्ती में। कहानी में जहां एक तरफ हिन्दू-मुसलमान, मालिक-मज़दूर, शिक्षित-अशिक्षित के बीच का रिश्ता दर्शाया गया है, वहीं हिंसा और अहिंसा के बीच टकराव भी स्पष्ट मिलता है। आठ दशक पहले लिखे इस उपन्यास में जिस समाज का चित्रण है वही यथार्थ भारत के समाज में आज भी मिलता है। सरल भाषा और पात्रों के सटीक चित्रण के कारण ‘उपन्यास-सम्राट’ प्रेमचंद आज भी हिन्दी के सबसे अधिक लोकप्रिय लेखक हैं।

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