Subah Ka Chintan

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SPECIFICATION:
  • Publisher : Rajpal and Sons
  • By: Acharya Mahaprajna (Author)
  • Binding :Paperback
  • Language : Hindi
  • Edition :2010
  • Pages: 204 pages
  • Size : 20 x 14 x 4 cm
  • ISBN-10: 8170288738
  • ISBN-13 :9788170288732

DESCRIPTION: 

हर सुबह हमारे लिए एक खूबसूरत तोहफ़ा लाती है। दिन के उन चबीस घंटों का तोहफ़ा, जिन्हें हम जैसे चाहें इस्तेमाल कर सकते हैं। इनमें से हर घंटे को हम कैसे खर्च करते हैं, यही तय करता है कि हम जीवन में क्या पाएंगे और क्या नहीं। हम एक खुशहाल और इत्मीनान भरा जीवन जी सकें, इसलिए इस किताब में साल के हर दिन के लिए एक खूबसूरत विचार दिया गया है। विद्वान् लेखक और विचारक आचार्य महाप्रज्ञ के लिखे ये 365 विचार उनके ज्ञान का सार हैं और संतुलित एवं मर्यादित जीवन की राह दिखाते हैं। आचार्य महाप्रज्ञ जैन श्वेताम्बर तेरापंथ समाज के दसवें आध्यात्मिक गुरु हैं। उन्होंने बाईस साल की उम्र में लिखना शुरू किया था और अब तक वे ध्यान और अध्यात्म सहित मानव मस्तिष्क और मानव व्यवहार के विभिन्न पहलुओं पर दो सौ से भी ज़्यादा पुस्तकें लिख चुके हैं। ये किताबें हिंदी, संस्कृत, प्राकृत और राजस्थानी में हैं।

                          Description

                          SPECIFICATION:
                          • Publisher : Rajpal and Sons
                          • By: Acharya Mahaprajna (Author)
                          • Binding :Paperback
                          • Language : Hindi
                          • Edition :2010
                          • Pages: 204 pages
                          • Size : 20 x 14 x 4 cm
                          • ISBN-10: 8170288738
                          • ISBN-13 :9788170288732

                          DESCRIPTION: 

                          हर सुबह हमारे लिए एक खूबसूरत तोहफ़ा लाती है। दिन के उन चबीस घंटों का तोहफ़ा, जिन्हें हम जैसे चाहें इस्तेमाल कर सकते हैं। इनमें से हर घंटे को हम कैसे खर्च करते हैं, यही तय करता है कि हम जीवन में क्या पाएंगे और क्या नहीं। हम एक खुशहाल और इत्मीनान भरा जीवन जी सकें, इसलिए इस किताब में साल के हर दिन के लिए एक खूबसूरत विचार दिया गया है। विद्वान् लेखक और विचारक आचार्य महाप्रज्ञ के लिखे ये 365 विचार उनके ज्ञान का सार हैं और संतुलित एवं मर्यादित जीवन की राह दिखाते हैं। आचार्य महाप्रज्ञ जैन श्वेताम्बर तेरापंथ समाज के दसवें आध्यात्मिक गुरु हैं। उन्होंने बाईस साल की उम्र में लिखना शुरू किया था और अब तक वे ध्यान और अध्यात्म सहित मानव मस्तिष्क और मानव व्यवहार के विभिन्न पहलुओं पर दो सौ से भी ज़्यादा पुस्तकें लिख चुके हैं। ये किताबें हिंदी, संस्कृत, प्राकृत और राजस्थानी में हैं।

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