Dilli Ab Door Nahin

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SPECIFICATION:
  • Publisher : Rajpal and Sons
  • By:  Ruskin Bond
  • Binding : Paperback
  • Language :  Hindi
  • Edition : 2019
  • Pages: 112 pages
  • Size : 20 x 14 x 4 cm
  • ISBN-10: 9350642581
  • ISBN-13 :9789350642580

DESCRIPTION:

धूल और सुस्ती में लिपटा पीपलनगर उत्तर भारत का एक छोटा-सा शहर है जहाँ ज़िंदगी बड़ी धीमी गति से चलती है और एक दिन से दूसरे दिन में कोई फर्क नहीं लगता। न कोई बड़ी घटना घटती और न ही बड़ी कोई खबर पैदा होती है। छोटे-से पीपल नगर के वासियों के सपने भी छोटे हैं जिनकी उड़ान दिल्ली पहुँच कर रुक जाती है। नाई दीपचंद का सपना है दिल्ली जाकर अपनी दुकान खोले और प्रधानमंत्री के बाल काटे। साइकिल-रिक्शा की जगह दिल्ली में स्कूटर-रिक्शा चलाना पीतांबर का सपना है और अज़ीज चाँदनी चौक में अपनी कबाड़ी की दुकान खोलने का सपना देखता है अपने को लेखक समझने वाला अरुण जासूसी उपन्यास लिखने के सपने देखता है और वेश्या कमला से भी प्यार करता है। इनमें से कौन अपने सपने पूरे कर पाते हैं और कौन पीपल नगर में ही रह जाते हैं-पढ़िए इस उपन्यास में। सरल भाषा, चुस्त कहानी और दिल को छू लेने वाले किस्सों से भरपूर रस्किन बान्ड का यह उपन्यास पाठकों को बहुत देर तक याद रहेगा। ‘‘वर्तमान भारत के एक बेहतरीन कहानीकार’’-ट्रिब्यून ‘‘एक लाजवाब किताब’’-आउट्लुक

                          Description

                          SPECIFICATION:
                          • Publisher : Rajpal and Sons
                          • By:  Ruskin Bond
                          • Binding : Paperback
                          • Language :  Hindi
                          • Edition : 2019
                          • Pages: 112 pages
                          • Size : 20 x 14 x 4 cm
                          • ISBN-10: 9350642581
                          • ISBN-13 :9789350642580

                          DESCRIPTION:

                          धूल और सुस्ती में लिपटा पीपलनगर उत्तर भारत का एक छोटा-सा शहर है जहाँ ज़िंदगी बड़ी धीमी गति से चलती है और एक दिन से दूसरे दिन में कोई फर्क नहीं लगता। न कोई बड़ी घटना घटती और न ही बड़ी कोई खबर पैदा होती है। छोटे-से पीपल नगर के वासियों के सपने भी छोटे हैं जिनकी उड़ान दिल्ली पहुँच कर रुक जाती है। नाई दीपचंद का सपना है दिल्ली जाकर अपनी दुकान खोले और प्रधानमंत्री के बाल काटे। साइकिल-रिक्शा की जगह दिल्ली में स्कूटर-रिक्शा चलाना पीतांबर का सपना है और अज़ीज चाँदनी चौक में अपनी कबाड़ी की दुकान खोलने का सपना देखता है अपने को लेखक समझने वाला अरुण जासूसी उपन्यास लिखने के सपने देखता है और वेश्या कमला से भी प्यार करता है। इनमें से कौन अपने सपने पूरे कर पाते हैं और कौन पीपल नगर में ही रह जाते हैं-पढ़िए इस उपन्यास में। सरल भाषा, चुस्त कहानी और दिल को छू लेने वाले किस्सों से भरपूर रस्किन बान्ड का यह उपन्यास पाठकों को बहुत देर तक याद रहेगा। ‘‘वर्तमान भारत के एक बेहतरीन कहानीकार’’-ट्रिब्यून ‘‘एक लाजवाब किताब’’-आउट्लुक

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