Ghuspaithiye

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SPECIFICATION:
  • Publisher : Rajpal and Sons
  • By:  Hari Joshi (Author)
  • Binding : Paperback 
  • Language :  English
  • Edition :2015
  • Pages: 152 pages
  • Size : 20 x 14 x 4 cm
  • ISBN-10: 9350643235
  • ISBN-13 :9789350643235

DESCRIPTION: 

घुसपेठिये जाने माने लेखक हरि जोशी की अब तक की साहितियक यात्रा में एक और कड़ी है | 2013 में इन्हें 'व्यंग्श्री सम्मान' व 'साहित्य मनीषी', और 2002 में 'मध्यप्रदेश लेखक संघ सम्मान' से नवाज़ा गया था | इनकी अधिकांश रचनाए व्यंगात्मक होती है और कई बार अपने व्यंग के माध्यम से सरकार और उसके तौर-तरीको पर तीखा व्यंग करते है| ऐसे ही एक व्यंग लेख पर 1982 में तब के मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने उन्हें नौकरी से हटा दिया| इस पर देश के अनेक अखबारों और पत्रिकायो में विरोध हुआ और कुछ महीने बाद उनकी नौकरी पर वापिस रखना पड़ा | फिर 1997 में सरकारी तंत्र पर तीखा व्यंग करने के कारण उन्हें मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड ने कानूनी नोटिस दिया | व्यंग के ज़रिये समाज और सरकार पर अपनी पैनी नज़र डालते हुए अब तक उनकी बीस पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं जिसमे से पांच उपन्यास हैं| घुसपेठिये उनका नवीनतम व्यंगात्मक उपन्यास हैं|

                          Description

                          SPECIFICATION:
                          • Publisher : Rajpal and Sons
                          • By:  Hari Joshi (Author)
                          • Binding : Paperback 
                          • Language :  English
                          • Edition :2015
                          • Pages: 152 pages
                          • Size : 20 x 14 x 4 cm
                          • ISBN-10: 9350643235
                          • ISBN-13 :9789350643235

                          DESCRIPTION: 

                          घुसपेठिये जाने माने लेखक हरि जोशी की अब तक की साहितियक यात्रा में एक और कड़ी है | 2013 में इन्हें 'व्यंग्श्री सम्मान' व 'साहित्य मनीषी', और 2002 में 'मध्यप्रदेश लेखक संघ सम्मान' से नवाज़ा गया था | इनकी अधिकांश रचनाए व्यंगात्मक होती है और कई बार अपने व्यंग के माध्यम से सरकार और उसके तौर-तरीको पर तीखा व्यंग करते है| ऐसे ही एक व्यंग लेख पर 1982 में तब के मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने उन्हें नौकरी से हटा दिया| इस पर देश के अनेक अखबारों और पत्रिकायो में विरोध हुआ और कुछ महीने बाद उनकी नौकरी पर वापिस रखना पड़ा | फिर 1997 में सरकारी तंत्र पर तीखा व्यंग करने के कारण उन्हें मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड ने कानूनी नोटिस दिया | व्यंग के ज़रिये समाज और सरकार पर अपनी पैनी नज़र डालते हुए अब तक उनकी बीस पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं जिसमे से पांच उपन्यास हैं| घुसपेठिये उनका नवीनतम व्यंगात्मक उपन्यास हैं|

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