SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Rangey Raghav (Author)
- Binding :Hardcover
- Language: Hindi
- Edition :2011
- Pages: 104 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170288398
- ISBN-13:9788170288398
DESCRIPTION:
जैसे पतझर में वृक्ष के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और उनकी जगह नए पत्ते ले लेते हैं, उसी प्रकार पुरानी विचारधाराएं समय के साथ अपना महत्त्व खोने लगती हैं और उसके स्थान पर नई विचारधाराएं जन्म लेती हैं। कथा में एक युवक और युवती के प्रेम को आधार बनाकर आदिम युग से आज तक की सभ्यता, संस्कृति को दिखाया गया है। साथ ही प्रेम के संदर्भ में उठने वाले प्रश्नों को उठाया गया है। जैसे; क्या प्रेम शाश्वत है? क्या प्रेम अपना आधार आप ही है? और क्या प्रेम जीवन, परिवार और सन्तान की अपेक्षा नहीं रखता? रांगेय राघव के पात्र हमेशा जीवन्त होते हैं। चाहे वे दार्शनिक हों, डाक्टर हों, कलाकार हों या किसान। यही कारण है कि उपन्यास के पात्र पाठक से सहज ही तालमेल बैठा लेते हैं। जो लेखक की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
Description
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Rangey Raghav (Author)
- Binding :Hardcover
- Language: Hindi
- Edition :2011
- Pages: 104 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170288398
- ISBN-13:9788170288398
DESCRIPTION:
जैसे पतझर में वृक्ष के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और उनकी जगह नए पत्ते ले लेते हैं, उसी प्रकार पुरानी विचारधाराएं समय के साथ अपना महत्त्व खोने लगती हैं और उसके स्थान पर नई विचारधाराएं जन्म लेती हैं। कथा में एक युवक और युवती के प्रेम को आधार बनाकर आदिम युग से आज तक की सभ्यता, संस्कृति को दिखाया गया है। साथ ही प्रेम के संदर्भ में उठने वाले प्रश्नों को उठाया गया है। जैसे; क्या प्रेम शाश्वत है? क्या प्रेम अपना आधार आप ही है? और क्या प्रेम जीवन, परिवार और सन्तान की अपेक्षा नहीं रखता? रांगेय राघव के पात्र हमेशा जीवन्त होते हैं। चाहे वे दार्शनिक हों, डाक्टर हों, कलाकार हों या किसान। यही कारण है कि उपन्यास के पात्र पाठक से सहज ही तालमेल बैठा लेते हैं। जो लेखक की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
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