SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Anmol Bhagwant (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 128 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8194131812
- ISBN-13 :9788194131816
DESCRIPTION:
ज़िन्दगी 50-50 के युवा लेखक भगवंत अनमोल अपने लेखन में सामाजिक रूप से संवेदनशील विषयों को उठाते हैं और ‘बाली उमर’ में भी उन्होंने एक ऐसा ही विषय चुना है। उपन्यास का केन्द्र है - बच्चों के बचपन का अल्हड़पन, उनकी शरारतें और ज़िन्दगी के बारे में सब कुछ जान लेने की तीव्र उत्सुकता। उपन्यास के मुख्य किरदार बच्चे हैं और कथानक एक गाँव का होते हुए भी यह न बच्चों के लिए है और न ही मात्र आंचलिक है। नवाबगंज के दौलतपुर मोहल्ले के बच्चे जहाँ एक ओर अपनी शरारतों से पाठक को उसके बचपन की स्मृतियों में ले जाते हैं तो दूसरी ओर उनके मासूम सवाल हमारे देश-समाज के सम्बन्ध में सोचने पर विवश कर देते हैं। ‘बाली उमर’ बच्चों के माध्यम से अपने समय की राजनीति और जातीय-क्षेत्रीय पहचानों के संघर्ष की पहचान करता उपन्यास भी है। कहीं भाषा के नाम पर, कहीं पहचान के नाम पर वैमनस्य बढ़ता जा रहा है और इन सबके बीच भारतीयता की पहचान धुंधली होती जा रही है, आपसी खाई बढ़ती जा रही है। यह उपन्यास अपने समय के संदर्भों को सही-सही समझने की माँग करता है। शुरू से आखिर तक दिलचस्प किरदारों की मासूम शरारतों के सहारे लेखक ने बहुत रोचक शैली में अपनी बात कही है। भगवंत अनमोल उन चुनिंदा युवा लेखकों में हैं, जिन्हें हर वर्ग के पाठकों ने हाथोंहाथ लिया है। लेखक उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के ‘बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ पुरस्कार 2017 से सम्मानित हो चुके हैं। उनकी पुस्तक ‘ज़िन्दगी 50-50’ पर कई विद्यार्थी शोध कर रहे हैं। लेखक से संपर्क: contact@bhagwantanmol.com bhagwantnovelwritter@gmail.com
Description
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Anmol Bhagwant (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 128 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8194131812
- ISBN-13 :9788194131816
DESCRIPTION:
ज़िन्दगी 50-50 के युवा लेखक भगवंत अनमोल अपने लेखन में सामाजिक रूप से संवेदनशील विषयों को उठाते हैं और ‘बाली उमर’ में भी उन्होंने एक ऐसा ही विषय चुना है। उपन्यास का केन्द्र है - बच्चों के बचपन का अल्हड़पन, उनकी शरारतें और ज़िन्दगी के बारे में सब कुछ जान लेने की तीव्र उत्सुकता। उपन्यास के मुख्य किरदार बच्चे हैं और कथानक एक गाँव का होते हुए भी यह न बच्चों के लिए है और न ही मात्र आंचलिक है। नवाबगंज के दौलतपुर मोहल्ले के बच्चे जहाँ एक ओर अपनी शरारतों से पाठक को उसके बचपन की स्मृतियों में ले जाते हैं तो दूसरी ओर उनके मासूम सवाल हमारे देश-समाज के सम्बन्ध में सोचने पर विवश कर देते हैं। ‘बाली उमर’ बच्चों के माध्यम से अपने समय की राजनीति और जातीय-क्षेत्रीय पहचानों के संघर्ष की पहचान करता उपन्यास भी है। कहीं भाषा के नाम पर, कहीं पहचान के नाम पर वैमनस्य बढ़ता जा रहा है और इन सबके बीच भारतीयता की पहचान धुंधली होती जा रही है, आपसी खाई बढ़ती जा रही है। यह उपन्यास अपने समय के संदर्भों को सही-सही समझने की माँग करता है। शुरू से आखिर तक दिलचस्प किरदारों की मासूम शरारतों के सहारे लेखक ने बहुत रोचक शैली में अपनी बात कही है। भगवंत अनमोल उन चुनिंदा युवा लेखकों में हैं, जिन्हें हर वर्ग के पाठकों ने हाथोंहाथ लिया है। लेखक उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के ‘बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ पुरस्कार 2017 से सम्मानित हो चुके हैं। उनकी पुस्तक ‘ज़िन्दगी 50-50’ पर कई विद्यार्थी शोध कर रहे हैं। लेखक से संपर्क: contact@bhagwantanmol.com bhagwantnovelwritter@gmail.com
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