Nachyo Bahut Gopal (Hindi Edition)

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SPECIFICATION:
  • Publisher : Rajpal and Sons
  • By : Amritlal Nagar
  • Cover : Paperback
  • Language : Hindi
  • Edition : 2013
  • Pages : 328
  • Weight : 450 g.
  • Size : 7.9 x 5.5 x 1.6 inches
  • ISBN-10: 8170280052
  • ISBN-13: 978-8170280057
DESCRIPTION:
‘नाच्यौ बहुत गोपाल’ यशस्वी साहित्यकार अमृतलाल नागर का, उनके अन्य उपन्यासों की लीक से हटकर सर्वथा मौलिक उपन्यास है। इसमें ‘मेहतर’ कहे जानेवाले अछूतों में भी अछूत, अभागे अंत्यजों के चारों ओर कथा का ताना-बाना बुना गया है और उनके अंतरंग जीवन की करुणामयी, रसार्द्र और हृदयग्राही झांकी प्रस्तुत की गई है। ‘मेहतर’ जाति किन सामाजिक परिस्थितियों में अस्तित्व में आई, उसकी धार्मिक-सांस्कृतिक मान्यताएं क्या हैं, आदि प्रश्नों के उत्तर तो दिए ही गए हैं, साथ ही वर्तमान शताब्दी के पूर्वार्द्ध की राष्ट्रीय और सामाजिक हलचलों का दिग्दर्शन भी जीवंतता के साथ कराया गया है। वस्तुतः ‘नाच्यौ बहुत गोपाल’ की कथा का संगुम्फन एक बहुत व्यापक कैनवास पर किया गया है। ढाई-तीन वर्षों के अथक परिश्रम से, विभिन्न मेहतर-बस्तियों के सर्वेक्षण व वहां के निवासियों के ‘इंटरव्यू’ के आधार पर लिखी गई इस बृहत् औपन्यासिक कृति में नागरजी के सहृदय कथाकार और सजग समाजशास्त्री का अद्भुत समन्वय हुआ है।

Description

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  • Publisher : Rajpal and Sons
  • By : Amritlal Nagar
  • Cover : Paperback
  • Language : Hindi
  • Edition : 2013
  • Pages : 328
  • Weight : 450 g.
  • Size : 7.9 x 5.5 x 1.6 inches
  • ISBN-10: 8170280052
  • ISBN-13: 978-8170280057
DESCRIPTION:
‘नाच्यौ बहुत गोपाल’ यशस्वी साहित्यकार अमृतलाल नागर का, उनके अन्य उपन्यासों की लीक से हटकर सर्वथा मौलिक उपन्यास है। इसमें ‘मेहतर’ कहे जानेवाले अछूतों में भी अछूत, अभागे अंत्यजों के चारों ओर कथा का ताना-बाना बुना गया है और उनके अंतरंग जीवन की करुणामयी, रसार्द्र और हृदयग्राही झांकी प्रस्तुत की गई है। ‘मेहतर’ जाति किन सामाजिक परिस्थितियों में अस्तित्व में आई, उसकी धार्मिक-सांस्कृतिक मान्यताएं क्या हैं, आदि प्रश्नों के उत्तर तो दिए ही गए हैं, साथ ही वर्तमान शताब्दी के पूर्वार्द्ध की राष्ट्रीय और सामाजिक हलचलों का दिग्दर्शन भी जीवंतता के साथ कराया गया है। वस्तुतः ‘नाच्यौ बहुत गोपाल’ की कथा का संगुम्फन एक बहुत व्यापक कैनवास पर किया गया है। ढाई-तीन वर्षों के अथक परिश्रम से, विभिन्न मेहतर-बस्तियों के सर्वेक्षण व वहां के निवासियों के ‘इंटरव्यू’ के आधार पर लिखी गई इस बृहत् औपन्यासिक कृति में नागरजी के सहृदय कथाकार और सजग समाजशास्त्री का अद्भुत समन्वय हुआ है।

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