Shesh Prashn

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SPECIFICATION:
  • Publisher : Rajpal and Sons
  • By: Sharat Chandra Chattopadhyaya (Author)
  • Binding :Paperback
  • Language : Hindi
  • Edition :2016
  • Pages: 292 pages
  • Size : 20 x 14 x 4 cm
  • ISBN-10: 8174831770
  • ISBN-13 :9788174831774

DESCRIPTION: 

बीसवीं सदी के प्रारम्भिक दौर में बांगला समाज में जहाँ नारी को कुछ बोलने की आज़ादी नहीं थी, उस परिवेश में जब कमल अलग-अलग मुद्दों पर अपने पति से प्रश्न करती है तो उसे यह फूटी आँख नहीं भाता। स्वतंत्र विचार वाली मुँहफट कमल का हर प्रश्न पुरुष के नारी के ऊपर स्वामित्व की नींव पर चोट पहुँचाता है। जैसे-जैसे कमल के प्रश्न बढ़ते हैं, उसके और उसके पति शिवनाथ, जिससे वह पूरे रीति-रिवाज़ से ब्याही भी नहीं है, के बीच टकराव और तनाव बढ़ता जाता है और कमल अपने अलग रास्ते पर निकल जाती है... 1931 में लिखा शरतचन्द्र का यह उपन्यास आज भी उतना ही प्रासंगिक है, क्योंकि नारी जिन प्रश्नों के उत्तर तब तलाश रही थी वे आज भी अनुत्तरित हैं।

                          Description

                          SPECIFICATION:
                          • Publisher : Rajpal and Sons
                          • By: Sharat Chandra Chattopadhyaya (Author)
                          • Binding :Paperback
                          • Language : Hindi
                          • Edition :2016
                          • Pages: 292 pages
                          • Size : 20 x 14 x 4 cm
                          • ISBN-10: 8174831770
                          • ISBN-13 :9788174831774

                          DESCRIPTION: 

                          बीसवीं सदी के प्रारम्भिक दौर में बांगला समाज में जहाँ नारी को कुछ बोलने की आज़ादी नहीं थी, उस परिवेश में जब कमल अलग-अलग मुद्दों पर अपने पति से प्रश्न करती है तो उसे यह फूटी आँख नहीं भाता। स्वतंत्र विचार वाली मुँहफट कमल का हर प्रश्न पुरुष के नारी के ऊपर स्वामित्व की नींव पर चोट पहुँचाता है। जैसे-जैसे कमल के प्रश्न बढ़ते हैं, उसके और उसके पति शिवनाथ, जिससे वह पूरे रीति-रिवाज़ से ब्याही भी नहीं है, के बीच टकराव और तनाव बढ़ता जाता है और कमल अपने अलग रास्ते पर निकल जाती है... 1931 में लिखा शरतचन्द्र का यह उपन्यास आज भी उतना ही प्रासंगिक है, क्योंकि नारी जिन प्रश्नों के उत्तर तब तलाश रही थी वे आज भी अनुत्तरित हैं।

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