SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Roberto Arlt
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 256 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9389373115
- ISBN-13 :9789389373110
DESCRIPTION:
रोबेर्तो आल्र्ट (1900-1942) अर्जेंटीना के एक जाने माने पत्रकार व लेखक थे जिन्होंने कई उपन्यास और कहानियाँ लिखीं। रोबेर्तो आल्र्ट लैटिन अमेरिकन साहित्य में उतना ही प्रतिष्ठित और उल्लेखनीय स्थान रखते हैं जितना गेब्रियल गार्सिया मार्केज़ और इसाबेल अल्लेंदे। 1929 में लिखा गया उपन्यास सात पागल विनाश के कगार पर खड़े अर्जेंटीना को प्रतिबिंबित करता है। यह अपने कथानक और कहानी कहने के अंदाज के संदर्भ में श्रेष्ठ आधुनिक उपन्यासों में गिना जा सकता है। सपने देखने वालों, क्रांतिकारियों, षड्यंत्र करने में मशगूल सेना के जनरलों से भरी ये दुनिया दरअसल रोबेर्तो आल्र्ट की अपने देश की बीसवीं सदी के गहन पीड़ादायक दौर से गुज़रने की भविष्यवाणी की तरह है। सरल भाषा में लेखक ऐसे किरदार, ऐसा माहौल रचते हैं कि पाठक ना चाहते हुए भी खुद को उस दुनिया का एक हिस्सा महसूस करने लगता है। खास बात ये कि नौ दशक पहले लिखे गए इस उपन्यास में रची गयी दुनिया आज किसी भी देश के सामाजिक, राजनीतिक परिवेश को ही चित्रित करती है, जहाँ धर्मान्धता, स्त्रियों को लेकर दोहरे मापदंड, भ्रष्टाचार चरम पर है और आम आदमी अपनी नैतिकता में फँसा जीवन के अर्थ, इसकी अहमियत ढूँढने की एक अजीब जद्दोजहद में व्यस्त है। सात पागल एक तरह से सिद्ध करता है कि लेखक देश दुनिया के लिए भविष्यवक्ता होता है।
Description
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Roberto Arlt
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 256 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9389373115
- ISBN-13 :9789389373110
DESCRIPTION:
रोबेर्तो आल्र्ट (1900-1942) अर्जेंटीना के एक जाने माने पत्रकार व लेखक थे जिन्होंने कई उपन्यास और कहानियाँ लिखीं। रोबेर्तो आल्र्ट लैटिन अमेरिकन साहित्य में उतना ही प्रतिष्ठित और उल्लेखनीय स्थान रखते हैं जितना गेब्रियल गार्सिया मार्केज़ और इसाबेल अल्लेंदे। 1929 में लिखा गया उपन्यास सात पागल विनाश के कगार पर खड़े अर्जेंटीना को प्रतिबिंबित करता है। यह अपने कथानक और कहानी कहने के अंदाज के संदर्भ में श्रेष्ठ आधुनिक उपन्यासों में गिना जा सकता है। सपने देखने वालों, क्रांतिकारियों, षड्यंत्र करने में मशगूल सेना के जनरलों से भरी ये दुनिया दरअसल रोबेर्तो आल्र्ट की अपने देश की बीसवीं सदी के गहन पीड़ादायक दौर से गुज़रने की भविष्यवाणी की तरह है। सरल भाषा में लेखक ऐसे किरदार, ऐसा माहौल रचते हैं कि पाठक ना चाहते हुए भी खुद को उस दुनिया का एक हिस्सा महसूस करने लगता है। खास बात ये कि नौ दशक पहले लिखे गए इस उपन्यास में रची गयी दुनिया आज किसी भी देश के सामाजिक, राजनीतिक परिवेश को ही चित्रित करती है, जहाँ धर्मान्धता, स्त्रियों को लेकर दोहरे मापदंड, भ्रष्टाचार चरम पर है और आम आदमी अपनी नैतिकता में फँसा जीवन के अर्थ, इसकी अहमियत ढूँढने की एक अजीब जद्दोजहद में व्यस्त है। सात पागल एक तरह से सिद्ध करता है कि लेखक देश दुनिया के लिए भविष्यवक्ता होता है।
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