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SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Mrinal Pande (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 128 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534126
- ISBN-13: 9789386534125
DESCRIPTION:
हमारे देश में किस्सा, कहानी, ज़िन्दगी और उसके साँचों-ढाँचों को कहने-सुनने की परम्परा बहुत पहले से चली आ रही है। इसी वाचिक परम्परा को किस्सा गोई के रूप में पिरोने-सँजोने की एक दिलचस्प कोशिश हिमुली हीरामणि कथा है। इन किस्सों में संस्कृत की परम्परा के उस गल्प का आस्वाद है जिसमें हमारी परम्परा की अनुगूँजें हैं। हिमुली नामक एक स्त्री की कथा से इस कथा श्रृंखला की शुरुआvत होती है और कथाओं से कथाएँ जुड़ती चली जाती हैं जिसमें रहस्य भी है, रोमांच भी, परम्परा के सूत्र भी हैं, वर्तमान की छवियाँ भी हैं और भविष्य के संकेत भी। एक प्राचीन विधा को बिलकुल समकालीन बनाकर मृणाल पांडे की यह प्रस्तुति जितनी सामयिक लगती है उतनी ही पारम्परिक भी।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Pallav (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9389373034
- ISBN-13: 9789389373035
DESCRIPTION:
लाल रेखा हिन्दी के लोकप्रिय उपन्यासों में मील का पत्थर है जिसने बड़े पैमाने पर हिन्दी के पाठक बनाए। 1950 में लिखे इस उपन्यास में उस समय हिन्दी उपन्यास की जितनी धाराएँ थीं, सभी को एक साथ इसमें समाहित किया गया है। रोमांस, रहस्य, राष्ट्रवाद और सामाजिक मूल्यों से ओत-प्रोत कथानक एक मानक की तरह है। देश की आज़ादी के संग्राम की पृष्ठभूमि पर लिखे इस उपन्यास में लाल और रेखा की प्रेम कहानी है लेकिन इसमें प्रेम से बढ़कर देश-प्रेम दिखाया गया है। देशहित व्यक्तिगत हितों से अधिक महत्त्वपूर्ण माना गया है। जहाँ एक ओर निज और समाज के हितों की बात है वहीं दूसरी ओर स्त्री और पुरुष की समानता की बात भी है। लाल रेखा अपने विषय के लिए ही नहीं, काव्यात्मक भाषा के लिए भी आज तक जाना जाता है। आज से करीब 75 साल पहले लिखा यह उपन्यास आज भी उतना ही प्रासंगिक है। कुशवाहा कान्त जिनका पूरा नाम कान्त प्रसाद कुशवाहा था, वे 34 वर्ष की छोटी उम्र में हिन्दी साहित्य जगत को बहुत कुछ दे गये। वे विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। जहाँ एक ओर उन्होंने रोमांटिक और सामाजिक उपन्यास लिखे वहीं दूसरी ओर जासूसी और क्रान्तिकारी उपन्यासों का सृजन किया। निस्संदेह लाल रेखा उनका सबसे लोकप्रिय उपन्यास है। इसके अलावा उनके कुछ नामी उपन्यास पारस, विद्रोही सुभाष, आहुति, नीलम, नगीना इत्यादि हैं। उन्होंने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। 1952 में 34 वर्ष की उम्र में एक जानलेवा आक्रमण में साहित्य का यह चिराग बुझ गया।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Pallav (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534355
- ISBN-13: 9789386534354
DESCRIPTION:
हिन्दी साहित्य के सागर में से गागर भरते हुए पहली बार ऐसी कहानियाँ एक जिल्द में संकलित हैं जिनके शीर्षक में आया गिनती का अंक न केवल उत्सुकता जगाता है बल्कि हिन्दी कहानी की व्यापकता और गहराई से भी पाठकों को जोड़ता है। प्रेमचन्द, फणीश्वरनाथ ‘रेणु’, हरिशंकर परसाई, रवीन्द्र कालिया से लेकर स्वयंप्रकाश और असग़र वजाहत-सभी दिग्गज कहानीकारों की कहानियाँ इसमें सम्मिलित हैं। इन कहानियों की एक और विशेषता यह भी है कि इनमें कहानी विधा के सभी रस मिलते हैं। प्रेम, करुणा, रहस्य, रोमांच, हास्य, व्यंग्य और जीवन के उतार-चढ़ाव के चित्र इन कहानीकारों की कलम से निकलकर यादगार बन जाते हैं। हिन्दी कहानी पर शोध कर चुके दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज के प्राध्यापक डॉ पल्लव इस अनूठी पुस्तक के संपादक हैं। इस पुस्तक में गिनती कहानियों की है, कहानियों के मार्फ़त है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Nana Palkhiwala(Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2012
- Pages: 208 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:8170283728
- ISBN-13: 9788170283720
DESCRIPTION:
पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के शब्दों में नानी पालखीवाला ‘देश के सर्वश्रेष्ठ बुद्धिजीवी’ हैं। भारत की राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक सभी प्रकार की समस्याओं का आपने विश्लेषण किया है और समाधान भी दिये हैं। इन विषयों पर उनके भाषण तथा पुस्तकें बहुत लोकप्रिय हुई हैं। प्रस्तुत पुस्तक उनके समग्र कृतित्व में से चुनी हुई ऐसी रचनाओं का संकलन है जिनमें देश की सभी वर्तमान समस्याओं पर प्रकाश डाला गया है और उनको हल करने के उपाय सुझाए गए हैं। भारत के नवनिर्माण में लगे प्रत्येक भारतीय के लिए यह पुस्तक अवश्य पठनीय है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Archana Painuly (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 192 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:9350643936
- ISBN-13: 9789350643938
DESCRIPTION:
ऐसी क्या खासियत है पति पत्नी के रिश्ते में जो दोनों के जीवन में इंद्रधनुषी रंगों की बहार तो बिखेरती है , लेकिन भारतीय मूल की नीना और उसके डेनिस पति , पॉल ,डेनमार्क में अपना सुखी जीवन व्यतीत कर रहे होते है . जब अचानक ......ऐसी ही परतो , यादो और साथ सहे सुख दुःख के ताने बाने को बुनता यह दिल को छु लेने वाला उपन्यास बहुत लम्बे समय तक पाठको के मन में मीठी टीस छोड़ता है .
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Dasharath Oza (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 420 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:8170284023
- ISBN-13: 9788170284024
DESCRIPTION:
"इतना कहने में कोई संकोच नहीं कि प्रथम बार इतनी विशाल पृष्ठ भूमि पर रखकर हिंदी के नाटक देखे और जाँचे गए हैं।मेरा विश्वास है कि इस पुस्तक से हिन्दी नाटकों के अध्ययन को बहुत बल मिलेगा और यह हिंदी-संसार के विद्यार्थियों के द्वारा आदर-सम्मान प्राप्त करेंगी। हिंदी में लोक-नाट्य की परम्परा बहुत पुरानी है। ओझा जी ने परिश्रम के साथ प्राकृत, अपभ्रंश आदि पूर्ववर्ती और बंगला, गुजराती आदि पार्श्ववर्ती साहित्य में पाए जाने वाले संकेतों के आधार पर प्राचीन नाटकीय परम्परा के छिन्न सूत्रों को खोज निकालने का प्रयास किया है। - हजारीप्रसाद द्विवेदी"
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amelie Nothomb (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2020
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:9389373263
- ISBN-13: 9789389373264
DESCRIPTION:
एक अधूरा उपन्यास लेखिका आमेली नोतों का पहला उपन्यास है जो उन्होंने 26 वर्ष की उम्र में लिखा था। इसके साथ ही वे एक विलक्षण लेखिका के रूप में स्थापित हो गयीं। तब से लेकर अब तक उनका हर साल एक नया उपन्यास प्रकाशित होता आ रहा है। पन्द्रह से अधिक भाषाओं में उनके उपन्यासों के अनुवाद हो चुके हैं। 1999 में उन्हें फ्रेंच अकादमी के ‘ग्रां प्री’ पुरस्कार से नवाज़ा गया और 2008 में ‘ग्रां प्री जियोनो’ प्राप्त हुआ। इस उपन्यास का मुख्य पात्र, प्रेतेक्सता ताश, साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। उनकी मृत्यु निकट है और उनसे बातचीत करने के लिए पत्रकार लगातार आ रहे हैं लेकिन तर्क-विद्या में सिद्धहस्त प्रेतेक्सता ताश अपने वाक्य-चातुर्य से सबको परास्त कर देते हैं। इसी दौरान यह भी पता चलता है कि वे अपनी निजी ज़िन्दगी में निहायत नस्लवादी और स्त्री-विरोधी ही नहीं बल्कि अव्वल दर्जे के मानव-द्वेषी भी हैं। एक महिला पत्रकार ताश की ज़िन्दगी को खंगालना शुरू करती है जो उन्हें उनके अतीत की ओर ले जाती है। वह यह भी जानने की कोशिश करती है कि आखिर ताश का एक उपन्यास वर्षों से अधूरा क्यों पड़ा है? और यहीं से कहानी एक नया मोड़ लेती है... इस पुस्तक का फ्रेंच से हिन्दी में अनुवाद किया है संजय कुमार ने, जो दस वर्षों से अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, हैदराबाद में फ्रेंच साहित्य का अध्यापन कार्य कर रहे हैं। फ्रेंच भाषा, साहित्य और संस्कृति पर उनकी अब तक दसेक पुस्तकें और दर्जन भर शोध निबंध प्रकाशित हो चुके हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amelie Nothomb (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2020
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:9389373255
- ISBN-13: 9789389373257
DESCRIPTION:
एक अधूरा उपन्यास लेखिका आमेली नोतों का पहला उपन्यास है जो उन्होंने 26 वर्ष की उम्र में लिखा था। इसके साथ ही वे एक विलक्षण लेखिका के रूप में स्थापित हो गयीं। तब से लेकर अब तक उनका हर साल एक नया उपन्यास प्रकाशित होता आ रहा है। पन्द्रह से अधिक भाषाओं में उनके उपन्यासों के अनुवाद हो चुके हैं। 1999 में उन्हें फ्रेंच अकादमी के ‘ग्रां प्री’ पुरस्कार से नवाज़ा गया और 2008 में ‘ग्रां प्री जियोनो’ प्राप्त हुआ। इस उपन्यास का मुख्य पात्र, प्रेतेक्सता ताश, साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। उनकी मृत्यु निकट है और उनसे बातचीत करने के लिए पत्रकार लगातार आ रहे हैं लेकिन तर्क-विद्या में सिद्धहस्त प्रेतेक्सता ताश अपने वाक्य-चातुर्य से सबको परास्त कर देते हैं। इसी दौरान यह भी पता चलता है कि वे अपनी निजी ज़िन्दगी में निहायत नस्लवादी और स्त्री-विरोधी ही नहीं बल्कि अव्वल दर्जे के मानव-द्वेषी भी हैं। एक महिला पत्रकार ताश की ज़िन्दगी को खंगालना शुरू करती है जो उन्हें उनके अतीत की ओर ले जाती है। वह यह भी जानने की कोशिश करती है कि आखिर ताश का एक उपन्यास वर्षों से अधूरा क्यों पड़ा है? और यहीं से कहानी एक नया मोड़ लेती है... इस पुस्तक का फ्रेंच से हिन्दी में अनुवाद किया है संजय कुमार ने, जो दस वर्षों से अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, हैदराबाद में फ्रेंच साहित्य का अध्यापन कार्य कर रहे हैं। फ्रेंच भाषा, साहित्य और संस्कृति पर उनकी अब तक दसेक पुस्तकें और दर्जन भर शोध निबंध प्रकाशित हो चुके हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kanhaiyalal Nandan (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:9350641801
- ISBN-13: 9789350641804
DESCRIPTION:
भारत के उर्दू शायरों में कृष्ण बिहारी ‘नूर’ एक मशहूर नाम है। एक तरफ़ उनकी शायरी जहाँ सूफ़ियाना अन्दाज़ में मस्त कलन्दरों की तरह अपना दर्ज कराती है, वहीं दूसरी तरफ़ हिन्दू दर्शन और अध्यात्म की खुशबुएँ बिखेरती है। उनके कलाम को गुलाम अली, असलम खाँ, पीनाज़ मसानी, भूपेन्द्र और रवीन्द्र जैन जैसे चोटी के गायकों ने स्वर प्रदान किये हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons (
- By: Nandan Nilekani (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 368 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:9350642727
- ISBN-13: 9789350642726
DESCRIPTION:
120 करोड़ नागरिकों को उनकी आकांक्षाओं को साकार करने में सक्षम बनाने की भारत के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती है। दूसरी चुनौती है, एक वैश्विक महाशक्ति बनने की जो तभी सम्भव होगा जब हम विरोधाभासों को दूर करने के साथ-साथ समाज को विकृत बनाने वाली दूरी को खत्म करेंगे। नन्दन निलेकणी और विरल शाह के अनुसार, प्रौद्योगिकी के उपयोग से बुनियादी तौर पर सरकार की पुनर्कल्पना से ही यह सम्भव हो पायेगा। रीबूटिंग इंडिया में भारत में ऐसे एक दर्जन उपक्रमों की पहचान की गयी है जो भारत की चुनौतियों के लिए नागरिक-अनुकूल, उच्च तकनीक सार्वजनिक संस्थाओं की एक शृंखला के द्वारा कम लागत के समाधान मुहैया करा सके। दुनिया के सबसे बड़े सामाजिक पहचान कार्यक्रम ‘आधार’ निर्माण के दौरान हुए अनुभवों पर आधारित, निलेकणी और शाह द्वारा प्रस्तावित उपक्रमों के द्वारा सरकार इन दोनों चुनौतियों पर खरी उतर सकती है और साथ ही कम से कम 1,00,000 करोड़ रुपये सालाना की बचत हो सकती है। निलेकणी और शाह का मानना है कि ऐसा करने के लिए 10,000 या यहाँ तक कि हज़ार लोग भी नहीं चाहिए; चाहिए तो सिर्फ़ छोटी, अत्यधिक कुशल, उद्यमी व्यक्तियों की टीम और समर्थन देने वाले प्रधानमन्त्री।
SPECIFICATION:
- Publisher : Juggernaut
- By: Ali Akbar Natiq (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 204 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386228165
- ISBN-13: 9789386228161
DESCRIPTION:
सतलुज में बाढ़ आई है और गांव ख़ाली हो गया है। क्या मदद का इंतज़ार करते बेसहारा क़ायम दीन को बचाने कोई आएगा या वो डूब जाएगा? तांगे वाला शाह मोहम्मद मोटर गाड़ियों की फंतासी में जीता था, लेकिन क्या हुआ जब फंतासी से निकल कर मोटर गाड़ियां उसके रास्ते में आ खड़ी हुईं? इन कहानियों में कोई भी एक आदर्श किरदार नहीं है। दबे-कुचले तबकों से आने वाले इन किरदारों में अच्छाइयां भी हैं और बुराइयां भी। वे एक दूसरे से प्यार भी करते हैं और किसी की जान भी ले सकते हैं। अपनी सादगी में ये कहानियां प्रेमचंद के करीब हैं तो अपने कसैलेपन में मंटो की याद दिलाती हैं। नातिक़ अपनी इस शोहरत पर खरे उतरे हैं कि वे पाकिस्तानी अदब की दुनिया के सबसे चमकदार सितारे हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Shanti Narayan (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 216 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8174831045
- ISBN-13: 9788174831040
DESCRIPTION:
यह 1857 के स्वातंत्रय-संग्राम की मुख्य योद्धा, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के अदम्य साहस और वीरता की कहानी है। एक और होने के बावजूद, अपने छोटे-से राज्य, झांसी को अंग्रेज़ों से बचाने के लिए रानी ऐसी वीरता और निडरता से लड़ी कि अंग्रेज़ भी उसकी बहादुरी के कायल हो गए। अपनी आखिरी साँस तक रानी लड़ती रही और चौबीस वर्षों की छोटी उम्र में वह अपने देश के लिए वीरगति को प्राप्त हो गई। दिलो-दिमाग पर छा जाने वाली झांसी की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की यह रोमांचक ऐतिहासिक गाथा भारत के इतिहास का स्वर्णिम पृष्ठ है। रोचक और प्रेरणाप्रद।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kanhaiya Lal Nandan (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2014
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350642042
- ISBN-13: 9789350642047
DESCRIPTION:
हिन्दी साहित्य की चुनी हुई हास्य कथाओं का यह संकलन विख्यात सम्पादक-कवि कन्हैयालाल नंदन द्वारा सम्पादित है। इसमें अमृतलाल नागर, भगवतीचरण वर्मा, हरिशंकर परसाई तथा शरद जोशी से लेकर के.पी. सक्सेना, रवीन्द्रनाथ त्यागी, लक्ष्मीकान्त वैष्णव, संतोष नारायण नौटियाल आदि लेखकों की श्रेष्ठ हास्य रचनाएं सम्मिलित हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kanhaiya Lal Nandan (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 220 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170282241
- ISBN-13: 9788170282242
DESCRIPTION:
यह पुस्तक हिंदी साहित्य की उत्कृष्ट व्यंग्य रचनाओं का सशक्त संकलन है। इसमें एक और हरिशंकर परसाई की व्यंग्य-रचना है तो दूसरी और शारद जोशी की- एक तरह से पुरानी और नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व। साथ ही, भगवतीचरण वर्मा, फणीश्वरनाथ 'रेणु' और कमलेश्वर जैसे चोटी के साहित्यकारों की चुनिंदा व्यंग्य रचनाएँ भी इस पुस्तक में पढ़िए।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Sudeep Nagarkar (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350643189
- ISBN-13: 9789350643181
DESCRIPTION:
जिसने कभी दोस्ती नहीं की मानो उसने तो ज़िन्दगी जी ही नहीं गीत और शिबानी बैस्ट फ्रेंड्स हैं- गीत, जिसे काॅलेज में कोई पसन्द नहीं करता और खूबसूरत शिबानी जिससे हर कोई दोस्ती करना चाहता है। लोकप्रिय होने के लिए गीत, काॅलेज के चहेते, रुद्र की मदद लेती है। रुद्र गीत का ब्वाॅयफ्रेंड होने का नाटक करने की बात मान जाता है क्योंकि इसमें उसे शिबानी के नज़दीक आने का मौका दिखता है। लेकिन शिबानी के मन में और ही कोई बसा है, इस बात से रुद्र बिलकुल बेखबर है। ईष्र्या और गलतफहमियों से दोस्ती में दरार पड़ने लगती है। गीत ऐसे मुकाम पर पहुँच जाती है जहाँ उसे एक फैसला लेना है जो उसकी और उसके करीबी लोगों की ज़िन्दगी को हमेशा के लिए बदल कर रख देगा
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Sudeep Nagarkar (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 192 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 93865341010
- ISBN-13:9789386534101
DESCRIPTION:
सभी की ज़िन्दगी में एक ऐसा व्यक्ति होता है जिसके बिना ज़िन्दगी, ज़िन्दगी नहीं लगती विराट और काव्या, एक-दूसरे से बिलकुल अलग होने के बावजूद बहुत पक्के दोस्त हैं। विराट शांत और गम्भीर स्वभाव का है जबकि काव्या हमेशा मस्ती-भरी ज़िन्दगी जीना चाहती है। दोनों दोस्तों के बीच कोई तीसरा नहीं आ सकता, यहाँ तक कि विराट की प्रेमिका, महक, भी नहीं। लेकिन जब एक ऐसी घटना घट जाती है जिसकी किसी ने कभी कल्पना भी नहीं की थी, तो उनकी दोस्ती को एक कठिन अग्नि-परीक्षा से गुज़रना पड़ता है। दिल को छू लेने वाली दोस्ती की यह कहानी इस बात को साबित करती है कि सच्चे दोस्त कभी अपनी दोस्ती नहीं छोड़ते।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Sudeep Nagarkar (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534096
- ISBN-13: 9789386534095
DESCRIPTION:
चार दोस्त.... चार ज़िन्दगियाँ.... एक फ़ैसला कॉलेज में पढ़ रहे चार दोस्त मुम्बई के एक फ्लैट में इकट्ठे रहते हैं। वरुण लापरवाह और कुछ सुस्त स्वभाव का है, लेकिन है बहुत ही प्यारा, अहाना साहसी है और कई बार बिना सोचे-समझे काम करती है, मालविका ‘सेल्फी-क्वीन’ है और गरिमा इन सबमें चुपचाप रहने वाली सबसे गम्भीर और संयमी स्वभाव वाली है। चारों की आपस में खूब बनती है और समय के साथ उनकी दोस्ती और गहरी होती है। लेकिन जब उनमें से एक बहुत बड़ी मुसीबत में फँस जाता है तो सभी की ज़िन्दगी में बवाल मच जाता है। क्या ये चारों दोस्त एक-दूसरे का साथ निभा पायेंगे या फिर अपना अलग-अलग रास्ता पकड़ लेंगे... पुस्तक मेरे सपनों में ट्रैन्ड करने वाली एक सच्ची कहानी है जो दोस्ती और प्यार की भावनाओं से आपको मुग्ध कर लेगी।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2014
- Pages: 230 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170283159
- ISBN-13: 9788170283157
DESCRIPTION:
ज़िन्दगी के ऐतिहासिक दस्तावेज़ की तरह लिखी जाने वाली सामान्य आत्मकथाओं से भिन्न परंतु उनसे अधिक पठनीय और सार्थक-प्रख्यात लेखक अमृतलाल नागर की विशिष्ट आत्मकथा।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 112 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170285569
- ISBN-13: 9788170285564
DESCRIPTION:
यह उपन्यास अठारहवीं शताब्दी के प्रारम्भिक दौर में उत्तर भारत की राजनीति में जबरदस्त हलचल मचा देने वाली बेगम समरू के रहस्य और रोमांच से भरे जीवन पर आधारित है। जब औरतें पर्दे से बाहर नहीं निकलती थीं, कोठे पर मुजरा करने वाली समरू ने एक यूरोपीय सेनानी को अपना दीवाना बनाकर शादी कर ली। समरू ने पति के साथ अपनी एक छोटी सी सेना खड़ी कर ली और बड़े-बड़े सूरमाओं को अपनी बहादुरी और रणकौशल से धूल चटा कर मेरठ के समीप सरदाना की गद्दी पर जा बैठी। सिर पर पगड़ी बांधे, घोड़े पर सवार होकर सेना का नेतृत्व करती वीरांगना...कल्पना कीजिए उस आश्चर्यचकित कर देने वाले दृश्य की!
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 104 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170288215
- ISBN-13: 9788170288213
DESCRIPTION:
यह उपन्यास अठारहवीं शताब्दी के प्रारम्भिक दौर में उत्तर भारत की राजनीति में जबरदस्त हलचल मचा देने वाली बेगम समरू के रहस्य और रोमांच से भरे जीवन पर आधारित है। जब औरतें पर्दे से बाहर नहीं निकलती थीं, कोठे पर मुजरा करने वाली समरू ने एक यूरोपीय सेनानी को अपना दीवाना बनाकर शादी कर ली। समरू ने पति के साथ अपनी एक छोटी सी सेना खड़ी कर ली और बड़े-बड़े सूरमाओं को अपनी बहादुरी और रणकौशल से धूल चटा कर मेरठ के समीप सरदाना की गद्दी पर जा बैठी। सिर पर पगड़ी बांधे, घोड़े पर सवार होकर सेना का नेतृत्व करती वीरांगना...कल्पना कीजिए उस आश्चर्यचकित कर देने वाले दृश्य की!
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 408 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 93506420010
- ISBN-13: 9788170280804
DESCRIPTION:
अमृतलाल नागर की गिनती हिन्दी के अग्रणी साहित्यकारों में होती है। उपन्यास और कहानी के अतिरिक्त उन्होंने बच्चों के लिए कविताएं भी लिखीं। प्रस्तुत पुस्तक की कविताएँ बच्चों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उन्हें संस्कार भी देती हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 16 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 93506420010
- ISBN-13: 9789350642009
DESCRIPTION:
अमृतलाल नागर की गिनती हिन्दी के अग्रणी साहित्यकारों में होती है। उपन्यास और कहानी के अतिरिक्त उन्होंने बच्चों के लिए कविताएं भी लिखीं। प्रस्तुत पुस्तक की कविताएँ बच्चों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उन्हें संस्कार भी देती हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2013
- Pages: 96 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170280931
- ISBN-13: 9788170280934
DESCRIPTION:
आधी सदी पहले सन 1937 में 'चकल्लस' चबूतरे पर यह 'नवाबी मसनद' आबाद हुई थी। गुलजार सड़के जिस मकान में मेरे 'चकल्लस' अख़बार का दफ्तर था, उसके नीचे ही खुदाबख्श तंबाकूवाले, मौला पहलवान और उनके साझेदार प्यारे साहब ड्राइवर की बर्फ की दुकान थी और कुछ सब्जी फरोश कुनबों की दुकानें भी थीं। खुदाबख्श के बेटे कादिर बक्श बड़ी रंगीन तबीयत के आदमी थे, कबाडिनो के कन्हैया। 'चकल्लस' दफ्तर के नीचे इन दुकानों और फुटपाथ की दुनिया। कादिर मियां की मस्ती से खुशरंग रहती थी। मौला पहलवान और प्यारे साहब भी मुजस्सिम याजूज़-माज़ूज़ की जोड़ी ही थे। एक कुश्तिया पहलवान तो दूसरे अक्ल के अखाड़े के खलीफा। 'अवध अखबार' की खबरों के परखचे उड़ाये जाते, आसपास की बातों पर होने वाली बहसों में लालबुझक्कडी लाजिक के ऐसे-ऐसे कमाल नजर आते कि दिल बाग-बाग हो हो जाता था। 'नवाबी मसनद' अपने समय में लोकप्रिय हुई। निराला जी इसके नियमित पाठक और प्रशंसक थे। आशा करता हूं कि पचास वर्षों के बाद आज भी पाठक इसे पसंद करेंगे। (भूमिका से)
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 40 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170285496
- ISBN-13: 9788170285496
DESCRIPTION:
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