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SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Mulk Raj Anand (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350641488
- ISBN-13 :9789350641484
DESCRIPTION:
डा. मुल्कराज आनंद की गणना 20वीं सदी के उन महान भारतीय लेखकों में की जाती है जिन्होंने अंग्रेज़ी में लिखते हुए भी देशी सरोकारों को नहीं भुलाया और चाय बगानों में काम करने वाले मज़दूरों, कुलियों, अछूतों को अपने लेखन का विषय बनाया। इस दृष्टि से उन्हें चार्ल्स डिकेन्स और प्रेमचन्द की लीक का साहित्यकार माना जाता है। 1930 के दशक के शुरू में इंग्लैण्ड प्रवास में ‘प्रोग्रेसिव राइटर्स एसोसिएशन’ की स्थापना की और उसे अपना समर्थन तथा सहयोग देने के लिए प्रेमचन्द को प्रेरित किया। डा. आनन्द अपनी अन्तिम साँस तक पी.आर.ए. से जुड़े रहे। अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के कला-मर्मज्ञ के रूप में भी डा. आनन्द का महत्व अक्षुण्ण है। अनेक दशकों तक उन्होंने भारतीय कला की अनूठी पत्रिका ‘मार्ग’ का सम्पादन किया और भारतीय संस्कृति एवं कला से सम्बन्धित कई ग्रन्थों की रचना की। वे सही मायनों में भारतीय साहित्य, संस्कृति और सामाजिक जीवन के शताब्दी पुरुष थे। पूरी सदी जी कर उन्होंने अन्तिम साँस ली। ‘कुली’, ‘अनटचेबल’, ‘टू लीव्स एण्ड ए बड’ उनके महत्त्वपूर्ण उपन्यास हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Gajdit Dixit Anand
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2012
- Pages: 32 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8190801856
- ISBN-13 : 9788190801850
DESCRIPTION:
Ali Baba Aur Chalis Chor (Hindi) Paperback – 1 Jan 2012 by Gajdit Dixit Anand (Author)
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Anamika
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 112 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534746
- ISBN-13 : 9789386534743
DESCRIPTION:
लालटेन बाज़ार मीरा का मुहल्ला था जहाँ वह पली-बढ़ी थी। इस बाज़ार में शुरू से अन्त तक चपलनयन गायिकाएँ भरी थीं और उन्हीं में से एक थी मीरा की माँ। पितृहीन मीरा का जन्म ज़रूर एक गाने वाली के कोठे पर हुआ लेकिन उसकी माँ और खुद उसका सपना था उस बदनाम लालटेन बाज़ार से निकल कर एक सामान्य जीवन जीने का। 1977 में इमर्जेन्सी की पृष्ठभूमि पर लिखा गया यह उपन्यास मीरा की अपने ससुराल में उपेक्षा और यंत्रणा सहने और ससुराल से वापस लौटने की त्रास से भरी कहानी बयां करता है। लेकिन किसी भी स्थिति में मीरा टूटती नहीं है और अन्त में निर्णय करती है कि वह अपना संसार खुद निर्मित करेगी और आगे बढ़ेगी। प्रसिद्ध लेखिका अनामिका की कलम से मीरा की गाथा जितनी मार्मिक है उतनी ही स्त्री की निजी, अलहदा और तल्ख़ आवाज़ भी है। लेखिका का यह पहला उपन्यास 1983 में ‘पर कौन सुनेगा’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ था। पाठकों के आग्रह पर इतने वर्षों बाद यह नयी साज-सज्जा में लालटेन बाज़ार के नाम से फिर से उपलब्ध है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amarkant
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2015
- Pages: 132 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 93506416410
- ISBN-13 : 9789350641644
DESCRIPTION:
वर्ष 2009 में साहित्य के सर्वोच्च सम्मान भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित अमरकान्त विशेष रूप से अपनी कहानियों के लिए चर्चित रहे। ‘ज़िन्दगी और जोंक’, ‘देश के लोग’, ‘मौत का नगर’, ‘मित्र मिलन’ और ‘कुहासा’ आदि उनके बारह कहानी संग्रह और ‘इन्हीं हथियारों से’, ‘बीच की दीवार’, ‘सूखा पत्ता’ आदि ग्यारह उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। अमरकान्त ज़मीन से जुड़े ऐसे कहानीकार हैं जो बिना किसी लाग-लपेट के सीधे और सपाट शब्दों में अपनी बात कह देते हैं। उनकी कहानियों के पात्र बड़ी-बड़ी दार्शनिक उलझनों में नहीं उलझते वरन् रोज़मर्रा की ठेठ चुनौतियों से घिरे रहते हैं। यथार्थ से जुड़ी यही सच्चाई पाठकों को मंत्रमुग्ध करती है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amarkant
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2014
- Pages: 132 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350641631
- ISBN-13 : 9789350641637
DESCRIPTION:
वर्ष 2009 में साहित्य के सर्वोच्च सम्मान भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित अमरकान्त विशेष रूप से अपनी कहानियों के लिए चर्चित रहे। ‘ज़िन्दगी और जोंक’, ‘देश के लोग’, ‘मौत का नगर’, ‘मित्र मिलन’ और ‘कुहासा’ आदि उनके बारह कहानी संग्रह और ‘इन्हीं हथियारों से’, ‘बीच की दीवार’, ‘सूखा पत्ता’ आदि ग्यारह उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। अमरकान्त ज़मीन से जुड़े ऐसे कहानीकार हैं जो बिना किसी लाग-लपेट के सीधे और सपाट शब्दों में अपनी बात कह देते हैं। उनकी कहानियों के पात्र बड़ी-बड़ी दार्शनिक उलझनों में नहीं उलझते वरन् रोज़मर्रा की ठेठ चुनौतियों से घिरे रहते हैं। यथार्थ से जुड़ी यही सच्चाई पाठकों को मंत्रमुग्ध करती है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Akhilesh
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 136 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350643367
- ISBN-13 : 9789350643365
DESCRIPTION:
हिन्दी कहानी के लम्बे और समृद्ध इतिहास में अखिलेश उस ऐतिहासिक मोड़ पर हैं जहां कहानी सफेद और स्याह की पारम्परिक यथार्थ रूढि़ से मुक्ति लेती है। इसे मुक्त करने में अखिलेश की कहानियों की अग्रणी भूमिका है। व्यक्ति और समाज सबंधों और स्वार्थो की जटिलता में उलझे हुए हैं और इन्हें किसी खांचे या श्रेणी में विभक्त कर देखना नितांत असंगत मालूम होता है तब अखिलेश की कहानियाँ इस जटिलता को समझने का रास्ता देती हैं। अखिलेश सपाटबयानी से हमेशा दूर रहे हैं। दूसरी बात उनकी कहानियों की भाषा की है। कभी कभी ही ऐसा होता है जब कोई लेखक अपनी रचना में ऐसी भाषा का सृजन कर सके जो स्वयं में भी एक बड़ी उपलब्धि बन जाए। अखिलेश की कहानियाँ ऐसा करने में सक्षम और सफल रही हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Akhilesh
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 136 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350643359
- ISBN-13 : 9789350643358
DESCRIPTION:
हिन्दी कहानी के लम्बे और समृद्ध इतिहास में अखिलेश उस ऐतिहासिक मोड़ पर हैं जहां कहानी सफेद और स्याह की पारम्परिक यथार्थ रूढि़ से मुक्ति लेती है। इसे मुक्त करने में अखिलेश की कहानियों की अग्रणी भूमिका है। व्यक्ति और समाज सबंधों और स्वार्थो की जटिलता में उलझे हुए हैं और इन्हें किसी खांचे या श्रेणी में विभक्त कर देखना नितांत असंगत मालूम होता है तब अखिलेश की कहानियाँ इस जटिलता को समझने का रास्ता देती हैं। अखिलेश सपाटबयानी से हमेशा दूर रहे हैं। दूसरी बात उनकी कहानियों की भाषा की है। कभी कभी ही ऐसा होता है जब कोई लेखक अपनी रचना में ऐसी भाषा का सृजन कर सके जो स्वयं में भी एक बड़ी उपलब्धि बन जाए। अखिलेश की कहानियाँ ऐसा करने में सक्षम और सफल रही हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Akhilan
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2012
- Pages: 316 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170283450
- ISBN-13 : 9788170283454
DESCRIPTION:
"ग्यारहवें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार के विजेता प्रसिद्ध तमिल साहित्यकार श्री. पी. वी. अखिलाण्डम साहित्य में 'अखिलन' के नाम से विख्यात हैं। 'अखिलन' का जन्म तिरुचिरापल्ली जिले के एक छोटे-से नगर फेरुलूर में 7 फरवरी, 1923 को हुआ। मेट्रिकुलेशन करते-न-करते वह सम्पूर्ण रूप से देश के स्वतंत्रता संग्राम में जा कूदे, फिर अंत में स्वयं भी कारावासी हुए। अखिलन की रचनाएं, उपन्यास भी, कहानियां भी विभिन्न भारतीय भाषाओं में तो सर्वाधिक अनूदित और प्रकाशित हुई ही हैं, कई विदेशी भाषाओं में भी उनका अनुवाद हुआ है। साहित्य अकादमी ने उन्हें 'वेंगैयन मनिदन' शीर्षक उपन्यास के लिए 1964 में पुरस्कृत किया। ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता उपन्यास 'चित्तिरप्पावै' स्वयं लेखक के विचार में ही नहीं, पारखियों की दृष्टि में भी उनकी सर्वश्रेष्ठ रचना है।"
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Agyeya (Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2012
- Pages: 128 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350640554
- ISBN-13 : 9789350640555
DESCRIPTION:
प्रख्यात साहित्यकार ‘अज्ञेय’ ने यद्यपि कहानियाँ कम ही लिखीं और एक समय के बाद कहानी लिखना बिलकुल बंद कर दिया-परंतु हिन्दी कहानी को आधुनिकता की दिशा में एक नया और स्थायी मोड़ देने का श्रेय भी उन्हीं को प्राप्त है। इस संग्रह में इस प्रकार की सभी कहानियाँ, कहानी-लेखन संबंधी उनके महत्त्वपूर्ण विचारों के साथ प्रस्तुत हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Agyeya (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 184 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170282489
- ISBN-13 : 9788170282488
DESCRIPTION:
इस पुस्तक में अज्ञेय जी की चुनी हुई कविताओं को एकत्रित किया गया है। इस काव्य संग्रह को पढ़ने के बाद पाठक को तृप्ति मिलेगी साथ ही अज्ञेय जी के सम्पूर्ण काव्य संग्रह को जानने की उत्कंठता भी बढ़ेगी।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Agyeya (Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 656 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 81702806310
- ISBN-13 : 9788170280637
DESCRIPTION:
‘‘मेरी कहानियां नयी हैं या पुरानी, इस चर्चा में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। हर साहित्य धीरे या जल्दी पुराना पड़ता है, कुछ पुराना पड़ कर फिर नया भी होता है, इस बारे में कुछ पहले भी कह चुका हूं। नयी-पुरानी की काल-सापेक्ष चर्चा में कहानी को उसके काल की अन्य कहानियों के संदर्भ में देखना चाहिए। उस समय वह कितनी नयी या पुरानी, पारंपरिक या प्रयोगशील थे...इससे आगे इतना-भर जोड़ना काफी है कि मैंने प्रयोग किये तो शिल्प के भी किये, भाषा के भी किये, रूपाकार के भी किये, वस्तुचयन के भी किये, काल की संरचना को लेकर भी किये लेकिन शब्द-मात्रा की व्यंजकता और सूचकता की एकान्त उपेक्षा कभी नहीं की।’’ - पुस्तक की भूमिका से 1978 में साहित्य के सर्वोच्च सम्मान ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित हीरानन्द सच्चिदानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ (7 मार्च 1911 - 4 अप्रैल 1987) बहुमुखी प्रतिभा के लेखक थे। उन्होंने कहानी, उपन्यास, कविता और आलोचना, सभी विधाओं में लिखा। उनकी विशेषता यह थी कि उन्होंने अपने लेखन में कई नये प्रयोग किये और इसी के लिए उन्हें जाना जाता है। लेखक के अतिरिक्त लम्बे अरसे तक वे नवभारत टाइम्स के सम्पादक भी रहे। उन्होंने साहित्यिक पत्रिका सप्तक और दिनमान की शुरुआत की। इसके अतिरिक्त अमेरिका, जर्मनी और भारत के कई विश्वविद्यालयों में उन्होंने अध्यापन का कार्य भी किया। 19 वर्ष की उम्र में वे भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में कूद पड़े और दिल्ली कांस्परेंसी केस में गिरफ्तार किये गये। उन्हें तीन साल दिल्ली और मुल्तान की जेल में कैद रखा गया। कारावास के दौरान लिखी 18 कहानियों सहित उनकी 67 कहानियाँ इस पुस्तक में सम्मिलित हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Aesop (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2012
- Pages: 80 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8174830146
- ISBN-13 : 9788174830142
DESCRIPTION:
विविध भाषा-साहित्यों के देश भारत में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकारों के व्यक्तित्व, कृतित्व तथा परिवेश का रोचक, ज्ञानवर्धक परिचय-सुदूर दक्षिण के यशस्वी हिन्दी-सेवी तथा अध्यापक डॉ. आरसू के श्रम और कलम से।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Aarsu (Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2010
- Pages: 224 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170285135
- ISBN-13 : 9788170285137
DESCRIPTION:
विविध भाषा-साहित्यों के देश भारत में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकारों के व्यक्तित्व, कृतित्व तथा परिवेश का रोचक, ज्ञानवर्धक परिचय-सुदूर दक्षिण के यशस्वी हिन्दी-सेवी तथा अध्यापक डॉ. आरसू के श्रम और कलम से।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Pratibha Rai (Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2014
- Pages: 120 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170287251
- ISBN-13 : 9788170287254
DESCRIPTION:
उड़िया की प्रतिष्ठित लेखिका तथा अपने उपन्यास ‘द्रौपदी’ पर मूर्तिदेवी पुरस्कार से सम्मानित प्रतिभा राय का रचना-फलक बहुत बड़ा है और वह अपने लेखन के ज़रिये बहुत बड़े पाठक समूह तक अपनी पहुँच बनाती हैं। उनकी कहानियां पुस्तकों के अलावा फिल्म के माध्यम से भी लोगों तक पहुँचती हैं और सराही गयी हैं। ‘उसका अपना आकाश’ इसी क्रम में उनका अपने ही ढंग का उपन्यास है, जिसमें एक स्वस्थ, उल्लास भरा बचपन जी कर एक लड़की असाध्य रूप से अपंग हो जाती है, फिर भी जब तक वह जीती है, उसके जीने के अपने अर्थ हैं। उसके जीने में बहुत से लोगों का सुख-दुःख शामिल है और असमय मृत्यु को पाकर भी वह जैसे भरपूर जीवन जी गयी है। अपने कथ्य, भाषा और शिल्प के कारण यह उपन्यास अपने पाठकों को प्रभावित करेगा।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Pratibha Rai (Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2015
- Pages: 204 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350640783
- ISBN-13 : 9789350640784
DESCRIPTION:
‘‘आदमी सागर की सतह तक तो पहुंच गया है लेकिन अभी तक मानव मस्तिष्क की गहरी सतह तक नहीं पहुंच पाया है और न ही उसे पूरी तरह से समझ पाया है। शायद आज तक लोगों के बीच जो आपसी रिश्ते कायम हैं, वह इसलिए कि हम एक-दूसरे के अंदर के मन की बात को नहीं जान पाते। वर्षों साथ रहने के बाद भी शायद दो लोग एक-दूसरे को पूरी तरह से जान नहीं पाते। इसी बात को सोचते-सोचते मेरे मन में यह प्रश्न उठा कि यदि कोई ऐसी मशीन बन जाए जिससे सबके मस्तिष्क पारदर्शी हो जाएं, तो क्या होगा? मुझे जवाब मिला कि शायद मानव सभ्यता ढह जाएगी। यहीं से शुरू हुई मेरे उपन्यास की शुरुआत...’’-प्रतिभा राय जब एक संवेदनशील नारी का विवाह एक ऐसे वैज्ञानिक से होता है जो हर मनुष्य को केवल एक मशीन ही समझता है, हृदय की भावनाएँ उसके लिए कोई मायने नहीं रखतीं तब नारी के कोमल मन पर क्या बीतती है, इसी पृष्ठभूमि पर लिखा गया है यह उपन्यास। वैज्ञानिक ‘ब्रेनोविश्जॅन’ का अन्वेषण करता है जिससे कि हरेक व्यक्ति के दिमाग में जो बात चल रही है, उसको सब देख सकते हैं। इससे उसकी पत्नी के साथ रिश्ते और खुद पर उसका क्या असर होता है? जानिए इस उपन्यास में।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Pratibha Rai (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2011
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170289874
- ISBN-13 9788170289876
DESCRIPTION:
प्रतिभा राय की गिनती भारत के अग्रणी लेखकों में होती है। अभी तक इनके सत्रह उपन्यास, आठ यात्रा-वृत्तांत और तीन सौ से अधिक कहानियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। लिखती यह अपनी मातृभाषा उड़िया में हैं, लेकिन इनकी कृतियाँ कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हुई हैं जिन में से प्रमुख है ‘द्रौपदी’। इनके लेखन में उस सामाजिक न्याय और विकास की तलाश रहती है जिस में धर्म, जात, प्रांत, भाषा का कोई भेदभाव नहीं और पुरुष-स्त्री दोनों का समान दर्जा है। इस पुस्तक में उन्होंने उन बारह कहानियों को चुना है जो उन्हें विशेष प्रिय हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Pratibha Rai (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170289572
- ISBN-13 9788170289579
DESCRIPTION:
प्रतिभा राय की गिनती भारत के अग्रणी लेखकों में होती है। अभी तक इनके सत्रह उपन्यास, आठ यात्रा-वृत्तांत और तीन सौ से अधिक कहानियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। लिखती यह अपनी मातृभाषा उड़िया में हैं, लेकिन इनकी कृतियाँ कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हुई हैं जिन में से प्रमुख है ‘द्रौपदी’। इनके लेखन में उस सामाजिक न्याय और विकास की तलाश रहती है जिस में धर्म, जात, प्रांत, भाषा का कोई भेदभाव नहीं और पुरुष-स्त्री दोनों का समान दर्जा है। इस पुस्तक में उन्होंने उन बारह कहानियों को चुना है जो उन्हें विशेष प्रिय हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Pratibha Rai (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 480 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534576
- ISBN-13 9789386534576
DESCRIPTION:
माटी ने ही रची विनाशलीला और उसी माटी से फिर मिला पुनर्जीवन.... 1999 में ओड़िशा में एक ऐसा भयंकर साइक्लोन आया जो उत्तरी हिन्द महासागर में अभी तक का सबसे विनाशकारी साइक्लोन था। समुद्र का पानी तट को पार कर 35 किलोमीटर अन्दर तक पहुँच कर जगतसिंहपुर जिले के तमाम गाँवों को तहस-नहस कर गया और अनुमान है कि 50, 000 लोगों की इसमें जान गयी। साइक्लोन के चार दिन बाद लेखिका प्रतिभा राय जगतसिंहपुर ज़िला गयीं। कुछ राहत-सामग्री इकट्ठी कर उन्होंने बचे हुए लोगों में बाँटी। दिल दहलाने वाले प्रकृति के इस विनाश से प्रतिभा राय बहुत विचलित हुईं और चार साल तक लगातार जगतसिंहपुर ज़िला जाती रहीं और राहत कार्य के अतिरिक्त वहाँ जिन लोगों ने अपने परिजन खोये थे, उनकी काउंसलिंग भी की। इन चार वर्षों के अनुभव के आधार पर जगतसिंहपुर के तटवर्ती क्षेत्र के लोगों के जीवन पर उन्होंने यह उपन्यास रचा है। जगतसिंहपुर एक ज़माने में सम्पन्न कलिंग साम्राज्य का हिस्सा था-उस ऐतिहासिक समय से लेकर साइक्लोन आने तक और इसके बाद वहाँ की संस्कृति, लोगों का रहन-सहन और उनकी जीविका कैसे परिवर्तित हुई, इन सबको समेटा गया है इस उपन्यास में। साइक्लोन को केन्द्र में रखते हुए, जहाँ एक ओर मग्नमाटी इस सारे परिवर्तन विशेष की कहानी है वहीं यह मानव के अदम्य साहस की गाथा है जो सब कुछ लुट जाने के बाद भी जीने की अभिलाषा रखता है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Pratibha Rai (Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 248 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 81702803210
- ISBN-13 :9788170280323
DESCRIPTION:
उड़िया भाषा की प्रतिभासम्पन्न लेखिका प्रतिभा राय के उड़िया उपन्यास ‘शिलापद्म’ को ‘ओड़ीसा साहित्य अकादमी पुरस्कार’-1986 प्रदान किया गया था। उसी उपन्यास का हिन्दी रूपान्तर ‘कोणार्क’ के रूप में प्रस्तुत है। यह कोई इतिहास नहीं है, यहाँ इतिहास-दृष्टि भी प्रमुख नहीं है-साहित्य दृष्टि ही इसके प्राणों में है। इस कृति में केवल पत्थरों पर तराशी गईं कलाकृतियों का मार्मिक चित्रण नहीं है। उड़िया जाति की कलाप्रियता और कलात्मक ऊँचाइयों की ओर संकेत करते हुए लेखिका ने उस कोणार्क मंदिर को चित्रित किया है जो आज भारतीय कला-कौशल, कारीगरी एवं आदर्शों का एक भग्न स्तूप है। शिल्पी कमल महाराणा और वधू चंद्रभागा के त्याग, निष्ठा, उत्सर्ग, प्रेम-प्रणय-विरह की अमरगाथा को बड़े सुन्दर ढंग से इस प्रशंसित और पुरस्कृत उपन्यास में प्रस्तुत किया गया है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Pratibha Rai (Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 266 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170282721
- ISBN-13 :9788170282723
DESCRIPTION:
द्रौपदी महाभारत ही नहीं, भारतीय जीवन तथा संस्कृति का एक अत्यन्त विलक्षण और महत्त्वपूर्ण चरित्र है-परन्तु साहित्य ने अब तक उसे प्रायः छुआ नहीं था। उपन्यास के रूप में इस रचना का एक विशिष्ट पक्ष यह भी है कि इसे एक महिला ने उठाया और वाणी दी है, जिस कारण वे इसके साथ न्याय करने में पूर्ण सफल हुई हैं। डा. प्रतिभा राय उड़िया की अग्रणी लेखिका हैं जिनके अनेक उपन्यास प्रकाशित होकर लोकप्रिय हो चुके हैं। उन पर अनेक पुरस्कार मिले हैं, फिल्में बनी हैं तथा कई कृतियां हिन्दी में भी सामने आ चुकी हैं। कृष्ण समर्पित तथा पांच पांडवों की ब्याही द्रौपदी का जीवन अनेक दिशाओं में विभक्त है, फिर भी उसका व्यक्तित्व बँटता नहीं, टूटता नहीं, वह एक ऐसी इकाई के रूप में निरन्तर जीती है जो तत्कालीन घटनाचक्र को अनेक विशिष्ट आयाम देने में समर्थ है। नारी-मन की वास्तविक पीड़ा, सुख-दुःख और व्यक्तिगत अन्तर्संबंधों की जटिलता को गहराई से पकड़ पाना, इस उपन्यास की विशेषता है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: R. K Narayan
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2012
- Pages: 148 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170288754
- ISBN-13 :9788170288756
DESCRIPTION:
स्वामी एक चुलबुला और शरारती लड़का है जिसका एकमात्र मकसद है अपने दोस्तों के साथ मस्ती करना एवं स्कूल और होमवर्क से पीछा छुड़ाना। लेकिन स्वामी की एक मासूम शरारत उसे मुसीबत में डाल देती है और नौबत यहाँ तक आ जाती है कि उसे घर से भाग जाना पड़ता है...अपने अनूठे अंदाज़ में लिखा आर.के. नारायण का यह उपन्यास उनकी पुस्तक मालगुडी की कहानियाँ की तरह ही अत्यंत मनोरंजक है, जो कभी तो पाठक के चेहरे पर हँसी लाता है और कभी स्वामी का दुःख उसके मन को छू लेता है। साहित्य अकादमी से पुरस्कृत लेखक आर.के. नारायण की अन्य प्रसिद्ध पुस्तकें हैं: गाइड, मालगुडी की कहानियाँ, डार्क रूम, मिस्टर बी.ए., नागराज की दुनिया, मालगुडी का प्रिन्टर, इंग्लिश टीचर, महात्मा का इन्तज़ार, मालगुडी का मिठाईवाला, मालगुडी का चलता पुर्ज़ा, मालगुडी का मेहमान, बरगद के पेड़ तले, मेरी जीवन गाथा और नानी की कहानी।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: R. K Narayan
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 148 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170287855
- ISBN-13 :9788170287858
DESCRIPTION:
स्वामी एक चुलबुला और शरारती लड़का है जिसका एकमात्र मकसद है अपने दोस्तों के साथ मस्ती करना एवं स्कूल और होमवर्क से पीछा छुड़ाना। लेकिन स्वामी की एक मासूम शरारत उसे मुसीबत में डाल देती है और नौबत यहाँ तक आ जाती है कि उसे घर से भाग जाना पड़ता है...अपने अनूठे अंदाज़ में लिखा आर.के. नारायण का यह उपन्यास उनकी पुस्तक मालगुडी की कहानियाँ की तरह ही अत्यंत मनोरंजक है, जो कभी तो पाठक के चेहरे पर हँसी लाता है और कभी स्वामी का दुःख उसके मन को छू लेता है। साहित्य अकादमी से पुरस्कृत लेखक आर.के. नारायण की अन्य प्रसिद्ध पुस्तकें हैं: गाइड, मालगुडी की कहानियाँ, डार्क रूम, मिस्टर बी.ए., नागराज की दुनिया, मालगुडी का प्रिन्टर, इंग्लिश टीचर, महात्मा का इन्तज़ार, मालगुडी का मिठाईवाला, मालगुडी का चलता पुर्ज़ा, मालगुडी का मेहमान, बरगद के पेड़ तले, मेरी जीवन गाथा और नानी की कहानी।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: R. K Narayan
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2015
- Pages: 156 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350640082
- ISBN-13 :9789350640081
DESCRIPTION:
‘पेन्टर की प्रेम कहानी’ आर.के. नारायण के चहेते काल्पनिक शहर ‘मालगुडी’ पर आधारित है। यह कहानी पेन्टर रमन की है, जो विभिन्न प्रकार के विज्ञापन साइन बोर्ड पेन्ट कर अपना गुज़ारा करता है और एक दिन उसकी ज़िंदगी में आती है डेज़ी, जो परिवार नियोजन क्लिनिक चलाती है और रमन से परिवार नियोजन को प्रोत्साहन देने वाला साइन बोर्ड बनाने के लिए कहती है। रमन एक तरफ तो डेज़ी के सौन्दर्य के मायाजाल में अपने को फंसता पाता है और दूसरी तरफ उसके काम करने के स्वतंत्र स्वभाव से कुछ हिचकिचाता भी है। डेज़ी और रमन एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं तब भी एक दूसरे की तरफ़ आकर्षित हैं। आर.के. नारायण भारत के पहले ऐसे लेखक थे जिनके अंग्रेज़ी लेखन को विश्व-भर में प्रसिद्धि मिली। अपनी रचनाओं के लिए रोचक कथानक चुनने और फिर उसे शालीन हास्य मंर पिरोने के कारण वे पुस्तक-प्रेमियों के पसंदीदा लेखक बन गए हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: R. K Narayan
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2015
- Pages: 156 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350640155
- ISBN-13 :9789350640159
DESCRIPTION:
‘पेन्टर की प्रेम कहानी’ आर.के. नारायण के चहेते काल्पनिक शहर ‘मालगुडी’ पर आधारित है। यह कहानी पेन्टर रमन की है, जो विभिन्न प्रकार के विज्ञापन साइन बोर्ड पेन्ट कर अपना गुज़ारा करता है और एक दिन उसकी ज़िंदगी में आती है डेज़ी, जो परिवार नियोजन क्लिनिक चलाती है और रमन से परिवार नियोजन को प्रोत्साहन देने वाला साइन बोर्ड बनाने के लिए कहती है। रमन एक तरफ तो डेज़ी के सौन्दर्य के मायाजाल में अपने को फंसता पाता है और दूसरी तरफ उसके काम करने के स्वतंत्र स्वभाव से कुछ हिचकिचाता भी है। डेज़ी और रमन एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं तब भी एक दूसरे की तरफ़ आकर्षित हैं। आर.के. नारायण भारत के पहले ऐसे लेखक थे जिनके अंग्रेज़ी लेखन को विश्व-भर में प्रसिद्धि मिली। अपनी रचनाओं के लिए रोचक कथानक चुनने और फिर उसे शालीन हास्य मंर पिरोने के कारण वे पुस्तक-प्रेमियों के पसंदीदा लेखक बन गए हैं।
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