Fiction
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SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: P.V. Narasimha Rao (Author)
- Binding :Hardcover
- Language: Hindi
- Edition :2016
- Pages: 504 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170282837
- ISBN-13: 9788170282839
DESCRIPTION:
‘‘रात जैसे-जैसे ढलने लगी और चुनाव का आखिरी सवेरा नज़दीक आता गया, एक बिलकुल ही नया दर्शन जन्म लेने लगा। जब सूरज चमकता है तो आप मुफ्त उसका फायदा उठाते हैं, आपको बदले में सूरज को कुछ देना नहीं पड़ता। धन की यही स्थिति है, यह सबकी संपत्ति है-यह जब आता है (जो बहुत कम ही होता है) तो आप उसे लेते हैं। शराब की भी स्थिति यही है-यह देवताओं का सोमरस है, और जिस प्रकार सभी भक्तों को देवता समान रूप से प्राप्त होते हैं, उसी प्रकार यह पेय सभी को प्राप्त होता है। सेक्स की भी यही स्थिति है-स्त्री सामने हो तो सब-कुछ जायज़ हो जाता है। नए नारों की जय! ज़मीन किसकी-जो बोता है! धन किसका-जो उसे ले ले! शराब किसकी-पीने वाले की! औरत किसकी-भोगने वाले की!...और इस तरह रात जब बिलकुल खत्म होकर सुबह का उजाला निकलने लगा, माया का यह नया दर्शन भी फैलने लगा था। कोई भी मतदाता किसी से बंधा महसूस नहीं कर रहा था। नशे में धुत सब सोच रहे थे कि आखि़रकार हमारा एक स्वतन्त्र देश है और यहाँ का हर स्त्री-पुरुष स्वतन्त्र है।’’ (अध्याय-34) ‘‘विनोद, तर्क और विश्लेषण से भरपूर। सेक्स-चेतना के विकास के स्पष्ट विवरण...। तीन प्रधानमंत्रियों-जवाहरलाल नेहरू, लालबहादुर शास्त्री और इंदिरा गाँधी-के नेतृत्व-गुणों, कमज़ोरियों और सिद्धान्तों का विस्तृत अध्ययन। राजनीति में भ्रष्टाचार, अनैतिकता और मक्कारी आदि के विकास के नाटकीय रोचक चित्रण।’’-दि वीक

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Mohan Rakesh (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2017
- Pages: 104 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170282772
- ISBN-13: 9788170282778
DESCRIPTION:
कहानी और उपन्यास के अतिरिक्त मोहन राकेश ने हिन्दी नाटक के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण योगदान किया और शीघ्र ही बहुत लोकप्रिय हो गए। उनके ‘आसाढ़ का एक दिन’ और ‘आधे-अधूरे’ ने प्राचीन और आधुनिक दोनों प्रकार के रंगमंच में नई ज़मीन तोड़ी और अन्य नाटक भी बहुत पसन्द किए गए। ‘पैर तले की ज़मीन’ भी इसी परंपरा में उनका एक श्रेष्ठ नाटक है जो संकट की परिस्थिति में मनुष्य के व्यवहार को व्यक्त करता है।

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Mohan Rakesh (Author)
- Binding :Hardcover
- Language: Hindi
- Edition :2018
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170283094
- ISBN-13: 9788170283096
DESCRIPTION:
प्रख्यात लेखक मोहन राकेश ने उपन्यास बहुत कम लिखे हैं परंतु वे बहुत ही लोकप्रिय हुए हैं। ‘न आने वाला कल’ आधुनिक तेजी से बदलते जीवन तथा व्यक्ति और उनकी प्रतिक्रियाओं पर बहुत प्रसिद्ध उपन्यास है जो आर्थिक संघर्ष, स्त्री-पुरुष संबंध तथा साहित्य और कला की दुनिया को बड़ी सूक्ष्मता से चित्रित करता है। यह उपन्यास प्रकाशित होते ही चर्चा का विषय बन गया था और अनेक युवक-युवती इसके चरित्रों में अपनी जीवन की झांकी पाते थे। आज भी यह उपन्यास उतना ही पठनीय तथा रोचक है, और लेखन के क्षेत्र में एक मानक का स्थान ग्रहण कर चुका है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Mohan Rakesh (Author)
- Binding :Hardcover
- Language: Hindi
- Edition :2018
- Pages: 528 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170282284
- ISBN-13: 9788170282280
DESCRIPTION:
मोहन राकेश (8 जनवरी 1925 - 3 दिसम्बर 1972) हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा-सम्पन्न लेखक थे जिन्होंने मात्र सैंतालीस वर्षों के जीवनकाल में अनेक स्मरणीय नाटक, उपन्यास और कहानियों की रचना की। उनका नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन’ हिन्दी साहित्य का पहला आधुनिक नाटक माना जाता है। 1947 के बाद हिन्दी साहित्य के फलक पर उभरने वाले लेखकों में वे अग्रणी लेखक थे जिन्होंने बदलते समय और सन्दर्भ को आगे बढ़कर अपनाया और उसे अपने लेखन में उतारा। अपने समकालीन लेखकों कमलेश्वर और राजेन्द्र यादव के साथ उन्होंने ‘नयी कहानी साहित्यिक आन्दोलन’ को प्रारम्भ किया। 1947 से 1969 तक उनकी लिखी सभी 66 कहानियाँ इस संग्रह में सम्मिलित हैं। यदि कहानियाँ क्रमानुसार परखी जायें तो उनमें निरन्तर लेखकीय विकास मिलता है। कथा-शिल्प में तो मोहन राकेश माहिर थे और थोड़े से शब्दों में बहुत कह जाना उनकी विशेषता थी जो इस बात का प्रमाण है कि भाषा पर उनका कितना अधिकार था। उनकी कुछ कहानियों की पृष्ठभूमि शहरी मध्यवर्ग है तो कुछ कहानियों में भारत विभाजन के दर्द की पुकार सुनाई देती है, लेकिन हर एक कहानी पाठक के दिल और दिमाग पर अपनी अमिट छाप छोड़ जाती है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Mohan Rakesh (Author)
- Binding :Hadcover
- Language: Hindi
- Edition :2017
- Pages: 472 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170281520
- ISBN-13:9788170281528
DESCRIPTION:
नाटककार मोहन राकेश के सभी नाटकों को एक साथ पूरी समग्रता में, इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है। इसमें सभी नाटकों के मूल पाठ, सभी संस्करणों की लेखकीय भूमिकाएं और सृजन-प्रक्रिया पर प्रकाश डालने वाले उद्धरण राकेश की डायरी से दिये गए हैं। साथ ही इन नाटकों के निर्देशकों, समीक्षकों और कलाकारों के आलेख एवं वक्तव्य हैं। भारत और विदेशों में राकेश के नाटकों की रंगमंचीय प्रस्तुतियों के छायाचित्र इस पुस्तक में एक स्थान पर पहली बार दिए गए हैं। इसके संपादक नेमिचन्द्र जैन सुप्रसिद्ध नाट्यसमीक्षक और साहित्यकार हैं। उनकी विस्तृत संपादकीय भूमिका इस पुस्तक का विशेष आकर्षण है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Mohan Rakesh (Author)
- Binding :Hadcover
- Language: Hindi
- Edition :2012
- Pages: 120 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350640619
- ISBN-13:9789350640616
DESCRIPTION:
हिन्दी कहानी को कथा और शैली दोनों ही दृष्टियों से नई दिशा देने वाले लेखकों में मोहन राकेश का अग्रणी स्थान है। उन्होंने कम ही लिखा परंतु उनकी अनेक कहानियाँ साहित्य की अमर निधि बन गईं। प्रस्तुत संकलन में उनकी अपने ही द्वारा चुनी हुई कहानियाँ हैं तथा अपने लेखन व रचना प्रक्रिया के संबंध में विशेष रूप में लिखी गई भूमिका भी है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Mohan Rakesh (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2018
- Pages: 120 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350640627
- ISBN-13:9789350640623
DESCRIPTION:
हिन्दी कहानी को कथा और शैली दोनों ही दृष्टियों से नई दिशा देने वाले लेखकों में मोहन राकेश का अग्रणी स्थान है। उन्होंने कम ही लिखा परंतु उनकी अनेक कहानियाँ साहित्य की अमर निधि बन गईं। प्रस्तुत संकलन में उनकी अपने ही द्वारा चुनी हुई कहानियाँ हैं तथा अपने लेखन व रचना प्रक्रिया के संबंध में विशेष रूप में लिखी गई भूमिका भी है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Mohan Rakesh (Author)
- Binding :Hardcover
- Language: Hindi
- Edition :2016
- Pages: 128 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170284007
- ISBN-13:9788170284000
DESCRIPTION:


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Gautam Rajrishi (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2018
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534428
- ISBN-13:9789386534422
DESCRIPTION:
गौतम राजऋषि भारतीय सेना में कर्नल हैं। उनकी अभी तक अधिकांश पोस्टिंग कश्मीर के आतंकवाद ग्रस्त इलाकों और बर्फ़ीली ऊँचाइयों पर ‘लाइन आॅफ कंट्रोल’ पर हुई है। उन्होंने दुश्मनों के साथ कई मुठभेड़ों का डटकर सामना किया और एक बार तो गम्भीर रूप से घायल भी हुए। ‘पराक्रम पदक’ और ‘सेना मैडल’ से सम्मानित कर्नल गौतम राजऋषि की राइफ़ल के अचूक निशाने की तरह ही उनकी कलम भी अपना प्रभाव छोड़ती है। एक तरफ़ जहाँ वे अपनी ड्यूटी पर तैनात रहते हैं, वहीं जो भी फ़ुरसत की घड़ियाँ मिलती हैं, उनमें कलम उठा लेते हैं। पिछले कुछ वर्षों में उनकी कहानियाँ हंस, वागर्थ, पाखी आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। चुनौतीपूर्ण फ़ौजी जीवन को उन्होंने करीब से जिया और देखा है। इस बीच कई ऐसी घटनाएँ हुईं और ऐसे पात्र मिले जो यादगार बन गये। इन्हीं अनुभवों और स्मृतियों को लेकर उन्होंने कहानियाँ लिखीं जो इस पुस्तक में सम्मिलित हैं। इन कहानियों में फ़ौजी जीवन की वो झलक मिलती है जो आम नागरिक से बहुत ही अलग है और जिसे पढ़ते पाठक फ़ौजी माहौल में पहुँच जाता है। यह गौतम राजऋषि की दूसरी पुस्तक है। पहली पुस्तक, पाल ले इक रोग नादान, जो उनकी ग़ज़लों का संकलन था, काफी लोकप्रिय और चर्चित रही। उनका संपर्क है gautam_rajrish@yahoo.co.in; mobile no. 9759479500


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Manodutt Pathak (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 672 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170288940
- ISBN-13: 9788170288947
DESCRIPTION:
वेदों को ज्ञान-विज्ञान का सार माना जाता है। राजनीति, समाज, विज्ञान, कृषि, ज्योतिष, चिकित्सा, कला, कौन-सा विषय नहीं है इनमें? भारत के अन्य प्राचीन ग्रंथों जैसे उपनिषदों, पुराणों आदि में भी जीवन के हर पक्ष पर गूढ़ और विस्तृत ज्ञान है। वैदिक युग में लोग ज्ञान के इसी अनुपम भंडार से मार्गदर्शन पाते थे। इसलिए वह हर दृष्टि से समृद्ध और सम्पन्न युग था। एक लंबे संक्रमण काल के बाद आज एक बार फिर हमारा रुझान इन प्राचीन किंतु अत्यंत तार्किक एवं वैज्ञानिक ग्रंथों की ओर हो रहा है। वेदों और वैदिक साहित्य को पढ़ और समझ पाना सबके लिए संभव नहीं है। ‘वैदिक ज्ञान विज्ञान कोश’ में विभिन्न वेद-विशेषज्ञों और संस्कृतज्ञ विद्वानों ने इन्हीं प्राचीन ग्रंथों में वर्णित योग, अंतरिक्ष विज्ञान, आयुर्वेद, वास्तु-शास्त्र आदि विषयों को सरल, सुगम भाषा में प्रस्तुत किया है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Parveen Tarana (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 112 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534940
- ISBN-13: 9789386534941
DESCRIPTION:
स्त्री विमर्श के आम मुहावरों से हटकर जिन युवा लेखिकाओं ने अपने परिवेश का जीवंत चित्रण कर विशेष पहचान बनायी है उनमें तराना परवीन प्रमुख हैं। उनका यह पहला कहानी-संग्रह अपनी विलक्षण निगाह, निजी संवेदना और गहरी पक्षधरता का परिचय देती है। गंभीर सवालों के साथ भाषा का नया मुहावरा इन कहानियों को पठनीय बनाता है जो देर तक पाठक के दिल में रहता है। पिछले पच्चीस वर्षों से अनेक विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में अंग्रेज़ी का अध्यापन कर चुकीं तराना परवीन की अब तक तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। हंस, मधुमती, इंडिया टुडे साहित्यिक वार्षिकी में प्रकाशित उनकी कहानियाँ विशेष चर्चा का विषय रही हैं। वर्तमान में वे उदयपुर के मीरा गल्र्स कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Harishankar Prasad (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 128 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350641410
- ISBN-13: 9789350641415
DESCRIPTION:
‘साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार हरिशंकर परसाई हिन्दी के सबसे समर्थ व्यंग्यकार हैं। पैनी दृष्टि और चुटीली भाषा उनके अचूक औज़ार हैं। जीवन, समाज और राजनीति में व्याप्त सभी बीमारियों और बुराइयों की पहचान वे किसी कुशल ‘सर्जन’ की तरह करते हैं। ‘अपनी-अपनी बीमारी’ की व्यंग्यपरक कहानियों में कुछ ऐसी ही बीमारियों की चीरफाड़ की गई है, जो पाठकों को बेतरह झकझोरती है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Aakanksha Pare Kashiv (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2020
- Pages: 128 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9389373166
- ISBN-13: 9789389373165
DESCRIPTION:
‘हर कहानी ज्यों की त्यों कहना बिलकुल ज़रूरी नहीं। कुछ कहानियों को उनका रूप बदल कर कहा जाए तो ही वे ज़िन्दगी की कहानियाँ लगती हैं। लेकिन किसी की ज़िन्दगी ऐसी कहानी नहीं होनी चाहिए। कहानी पर ‘सच्ची घटना’ का मुलम्मा चढ़ते ही वह कहानी झूठी हो जाती है। तो यूँ समझ लीजिए कि ये एक ‘सच्ची घटना’ झूठी कहानी है। अगर कहानीकार के पास कल्पना ही न हो तो फिर वह किस बात का कहानीकार।’’ ऐसा कहना है आकांक्षा पारे का। लेकिन इस संग्रह के कहानीकार के पास कल्पना भी है, कहानी कहने की कला भी और ज़मीन से जुड़ी संवेदना भी। इस संग्रह में उनकी बारह कहानियों को पढ़ते हुए कहना कठिन है कि कौन सी कहानी ‘सच्ची कहानी’ है और कौन सी ‘झूठी’। लेकिन यह बात तो ज़रूर है कि इनकी कहानियाँ पाठक के मन की गहराई को छू जाती है। हर कहानी का अलग विषय और कलेवर इस बात का प्रमाण है कि आकांक्षा पारे की कथा का फलक बहुत बड़ा है। आकांक्षा पारे पिछले एक दशक से पत्रकारिता में सक्रिय हैं और साथ ही साहित्यिक क्षेत्र में भी। वे ‘आउटलुक’ पत्रिका में फीचर सम्पादक हैं। उन्हें ‘प्रभाष जोशी स्मृति पत्रकारिता सम्मान’, ‘रमाकांत स्मृति कथा सम्मान’, ‘इला-त्रिवेणी सम्मान 2011’, ‘युवा कथा सम्मान’, ‘राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान’ और ‘श्यामधर पत्रकारिता सम्मान’ से सम्मानित किया गया है। उनका अब तक एक कहानी-संग्रह और एक कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुका है।

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Narayan Pandit (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 112 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170282365
- ISBN-13: 9788170282365
DESCRIPTION:
‘हितोपदेश’ का अर्थ है हितकारी उपदेश। नारायण पंडित द्वारा रचित हितोपदेश की कहानियां सदाचार, राजनीति और व्यावहारिक ज्ञान से सराबोर हैं। पशु-पक्षियों के जीवन पर आधारित होने पर भी ये कहानियां स्वाभाविक लगती हैं क्योंकि इनमें पशु-पक्षी मनुष्य की ही बोली बोलते हैं और उन्हीं के समान आचरण करते हैं। ये रोचक कहानियां हर उम्र के पाठक को पसंद आएंगी।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Ashok Kumar Pandey (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534681
- ISBN-13: 9789386534682
DESCRIPTION:
"क्या हम सिर्फ़ मज़बूत लोगों की लड़ाई लड़ रहे हैं? कमज़ोरों के हक की लड़ाई में कमज़ोरों के लिए कोई जगह नहीं?" (इस पुस्तक की एक कहानी, ‘और कितने यौवन चाहिए ययाति?’ में से) ये पंक्तियाँ सिर्फ़ इस कहानी की पंक्तियाँ नहीं हैं। ये अशोक कुमार पाण्डेय की कहानियों की समूल चिंता है। संग्रह की सारी कहानियाँ आदर्श, थ्योरी और ज़मीनी वास्तविकता के विरोधाभास से मुठभेड़ करती हैं। एक पर्यवेक्षक की तरह लेखक अपनी कहानी में घटने वाली परिस्थितियों को दर्ज करते जाते हैं मुस्तैदी से। ज़ाहिर है फिर उन परिस्थितियों के बरअक्स सवाल भी उठ खड़े होते हैं, पैने और नुकीले! और सपनीली आशाओं से भरे भी। न्याय और हक की पुकार से लबरेज़ ये कहानियाँ अपने समय और समाज पर एक करारी टिप्पणी करती हैं। इस टिप्पणी को गौर से देखने और समझने की ज़रूरत है।’’ -वंदना राग हरफ़नमौला लेखक अशोक कुमार पाण्डेय अपनी बेहद संप्रेषणीय भाषा और साहसिक प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं। दो कविता-संग्रह, आलोचना, माक्र्सवाद, भूमंडलीकरण पर दसेक किताबों तथा दो महत्त्वपूर्ण पुस्तकों के अनुवाद के साथ बेहद चर्चित किताब कश्मीरनामा: इतिहास और समकाल के बाद यह पहला कहानी संग्रह। कविता के लिए कुछ पुरस्कार भी लेकिन अक्सर सूचियों से बाहर। जनबुद्धिजीवी की भूमिका का निरन्तर निर्वाह। ई-मेल: ashokk34@gmail.com


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Mrinal Pande (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 128 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534126
- ISBN-13: 9789386534125
DESCRIPTION:
हमारे देश में किस्सा, कहानी, ज़िन्दगी और उसके साँचों-ढाँचों को कहने-सुनने की परम्परा बहुत पहले से चली आ रही है। इसी वाचिक परम्परा को किस्सा गोई के रूप में पिरोने-सँजोने की एक दिलचस्प कोशिश हिमुली हीरामणि कथा है। इन किस्सों में संस्कृत की परम्परा के उस गल्प का आस्वाद है जिसमें हमारी परम्परा की अनुगूँजें हैं। हिमुली नामक एक स्त्री की कथा से इस कथा श्रृंखला की शुरुआvत होती है और कथाओं से कथाएँ जुड़ती चली जाती हैं जिसमें रहस्य भी है, रोमांच भी, परम्परा के सूत्र भी हैं, वर्तमान की छवियाँ भी हैं और भविष्य के संकेत भी। एक प्राचीन विधा को बिलकुल समकालीन बनाकर मृणाल पांडे की यह प्रस्तुति जितनी सामयिक लगती है उतनी ही पारम्परिक भी।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Pallav (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9389373034
- ISBN-13: 9789389373035
DESCRIPTION:
लाल रेखा हिन्दी के लोकप्रिय उपन्यासों में मील का पत्थर है जिसने बड़े पैमाने पर हिन्दी के पाठक बनाए। 1950 में लिखे इस उपन्यास में उस समय हिन्दी उपन्यास की जितनी धाराएँ थीं, सभी को एक साथ इसमें समाहित किया गया है। रोमांस, रहस्य, राष्ट्रवाद और सामाजिक मूल्यों से ओत-प्रोत कथानक एक मानक की तरह है। देश की आज़ादी के संग्राम की पृष्ठभूमि पर लिखे इस उपन्यास में लाल और रेखा की प्रेम कहानी है लेकिन इसमें प्रेम से बढ़कर देश-प्रेम दिखाया गया है। देशहित व्यक्तिगत हितों से अधिक महत्त्वपूर्ण माना गया है। जहाँ एक ओर निज और समाज के हितों की बात है वहीं दूसरी ओर स्त्री और पुरुष की समानता की बात भी है। लाल रेखा अपने विषय के लिए ही नहीं, काव्यात्मक भाषा के लिए भी आज तक जाना जाता है। आज से करीब 75 साल पहले लिखा यह उपन्यास आज भी उतना ही प्रासंगिक है। कुशवाहा कान्त जिनका पूरा नाम कान्त प्रसाद कुशवाहा था, वे 34 वर्ष की छोटी उम्र में हिन्दी साहित्य जगत को बहुत कुछ दे गये। वे विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। जहाँ एक ओर उन्होंने रोमांटिक और सामाजिक उपन्यास लिखे वहीं दूसरी ओर जासूसी और क्रान्तिकारी उपन्यासों का सृजन किया। निस्संदेह लाल रेखा उनका सबसे लोकप्रिय उपन्यास है। इसके अलावा उनके कुछ नामी उपन्यास पारस, विद्रोही सुभाष, आहुति, नीलम, नगीना इत्यादि हैं। उन्होंने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। 1952 में 34 वर्ष की उम्र में एक जानलेवा आक्रमण में साहित्य का यह चिराग बुझ गया।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Pallav (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534355
- ISBN-13: 9789386534354
DESCRIPTION:
हिन्दी साहित्य के सागर में से गागर भरते हुए पहली बार ऐसी कहानियाँ एक जिल्द में संकलित हैं जिनके शीर्षक में आया गिनती का अंक न केवल उत्सुकता जगाता है बल्कि हिन्दी कहानी की व्यापकता और गहराई से भी पाठकों को जोड़ता है। प्रेमचन्द, फणीश्वरनाथ ‘रेणु’, हरिशंकर परसाई, रवीन्द्र कालिया से लेकर स्वयंप्रकाश और असग़र वजाहत-सभी दिग्गज कहानीकारों की कहानियाँ इसमें सम्मिलित हैं। इन कहानियों की एक और विशेषता यह भी है कि इनमें कहानी विधा के सभी रस मिलते हैं। प्रेम, करुणा, रहस्य, रोमांच, हास्य, व्यंग्य और जीवन के उतार-चढ़ाव के चित्र इन कहानीकारों की कलम से निकलकर यादगार बन जाते हैं। हिन्दी कहानी पर शोध कर चुके दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज के प्राध्यापक डॉ पल्लव इस अनूठी पुस्तक के संपादक हैं। इस पुस्तक में गिनती कहानियों की है, कहानियों के मार्फ़त है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amelie Nothomb (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2020
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:9389373263
- ISBN-13: 9789389373264
DESCRIPTION:
एक अधूरा उपन्यास लेखिका आमेली नोतों का पहला उपन्यास है जो उन्होंने 26 वर्ष की उम्र में लिखा था। इसके साथ ही वे एक विलक्षण लेखिका के रूप में स्थापित हो गयीं। तब से लेकर अब तक उनका हर साल एक नया उपन्यास प्रकाशित होता आ रहा है। पन्द्रह से अधिक भाषाओं में उनके उपन्यासों के अनुवाद हो चुके हैं। 1999 में उन्हें फ्रेंच अकादमी के ‘ग्रां प्री’ पुरस्कार से नवाज़ा गया और 2008 में ‘ग्रां प्री जियोनो’ प्राप्त हुआ। इस उपन्यास का मुख्य पात्र, प्रेतेक्सता ताश, साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। उनकी मृत्यु निकट है और उनसे बातचीत करने के लिए पत्रकार लगातार आ रहे हैं लेकिन तर्क-विद्या में सिद्धहस्त प्रेतेक्सता ताश अपने वाक्य-चातुर्य से सबको परास्त कर देते हैं। इसी दौरान यह भी पता चलता है कि वे अपनी निजी ज़िन्दगी में निहायत नस्लवादी और स्त्री-विरोधी ही नहीं बल्कि अव्वल दर्जे के मानव-द्वेषी भी हैं। एक महिला पत्रकार ताश की ज़िन्दगी को खंगालना शुरू करती है जो उन्हें उनके अतीत की ओर ले जाती है। वह यह भी जानने की कोशिश करती है कि आखिर ताश का एक उपन्यास वर्षों से अधूरा क्यों पड़ा है? और यहीं से कहानी एक नया मोड़ लेती है... इस पुस्तक का फ्रेंच से हिन्दी में अनुवाद किया है संजय कुमार ने, जो दस वर्षों से अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, हैदराबाद में फ्रेंच साहित्य का अध्यापन कार्य कर रहे हैं। फ्रेंच भाषा, साहित्य और संस्कृति पर उनकी अब तक दसेक पुस्तकें और दर्जन भर शोध निबंध प्रकाशित हो चुके हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amelie Nothomb (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2020
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:9389373255
- ISBN-13: 9789389373257
DESCRIPTION:
एक अधूरा उपन्यास लेखिका आमेली नोतों का पहला उपन्यास है जो उन्होंने 26 वर्ष की उम्र में लिखा था। इसके साथ ही वे एक विलक्षण लेखिका के रूप में स्थापित हो गयीं। तब से लेकर अब तक उनका हर साल एक नया उपन्यास प्रकाशित होता आ रहा है। पन्द्रह से अधिक भाषाओं में उनके उपन्यासों के अनुवाद हो चुके हैं। 1999 में उन्हें फ्रेंच अकादमी के ‘ग्रां प्री’ पुरस्कार से नवाज़ा गया और 2008 में ‘ग्रां प्री जियोनो’ प्राप्त हुआ। इस उपन्यास का मुख्य पात्र, प्रेतेक्सता ताश, साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। उनकी मृत्यु निकट है और उनसे बातचीत करने के लिए पत्रकार लगातार आ रहे हैं लेकिन तर्क-विद्या में सिद्धहस्त प्रेतेक्सता ताश अपने वाक्य-चातुर्य से सबको परास्त कर देते हैं। इसी दौरान यह भी पता चलता है कि वे अपनी निजी ज़िन्दगी में निहायत नस्लवादी और स्त्री-विरोधी ही नहीं बल्कि अव्वल दर्जे के मानव-द्वेषी भी हैं। एक महिला पत्रकार ताश की ज़िन्दगी को खंगालना शुरू करती है जो उन्हें उनके अतीत की ओर ले जाती है। वह यह भी जानने की कोशिश करती है कि आखिर ताश का एक उपन्यास वर्षों से अधूरा क्यों पड़ा है? और यहीं से कहानी एक नया मोड़ लेती है... इस पुस्तक का फ्रेंच से हिन्दी में अनुवाद किया है संजय कुमार ने, जो दस वर्षों से अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, हैदराबाद में फ्रेंच साहित्य का अध्यापन कार्य कर रहे हैं। फ्रेंच भाषा, साहित्य और संस्कृति पर उनकी अब तक दसेक पुस्तकें और दर्जन भर शोध निबंध प्रकाशित हो चुके हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Juggernaut
- By: Ali Akbar Natiq (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 204 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386228165
- ISBN-13: 9789386228161
DESCRIPTION:
सतलुज में बाढ़ आई है और गांव ख़ाली हो गया है। क्या मदद का इंतज़ार करते बेसहारा क़ायम दीन को बचाने कोई आएगा या वो डूब जाएगा? तांगे वाला शाह मोहम्मद मोटर गाड़ियों की फंतासी में जीता था, लेकिन क्या हुआ जब फंतासी से निकल कर मोटर गाड़ियां उसके रास्ते में आ खड़ी हुईं? इन कहानियों में कोई भी एक आदर्श किरदार नहीं है। दबे-कुचले तबकों से आने वाले इन किरदारों में अच्छाइयां भी हैं और बुराइयां भी। वे एक दूसरे से प्यार भी करते हैं और किसी की जान भी ले सकते हैं। अपनी सादगी में ये कहानियां प्रेमचंद के करीब हैं तो अपने कसैलेपन में मंटो की याद दिलाती हैं। नातिक़ अपनी इस शोहरत पर खरे उतरे हैं कि वे पाकिस्तानी अदब की दुनिया के सबसे चमकदार सितारे हैं।

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Shanti Narayan (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 216 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8174831045
- ISBN-13: 9788174831040
DESCRIPTION:
यह 1857 के स्वातंत्रय-संग्राम की मुख्य योद्धा, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के अदम्य साहस और वीरता की कहानी है। एक और होने के बावजूद, अपने छोटे-से राज्य, झांसी को अंग्रेज़ों से बचाने के लिए रानी ऐसी वीरता और निडरता से लड़ी कि अंग्रेज़ भी उसकी बहादुरी के कायल हो गए। अपनी आखिरी साँस तक रानी लड़ती रही और चौबीस वर्षों की छोटी उम्र में वह अपने देश के लिए वीरगति को प्राप्त हो गई। दिलो-दिमाग पर छा जाने वाली झांसी की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की यह रोमांचक ऐतिहासिक गाथा भारत के इतिहास का स्वर्णिम पृष्ठ है। रोचक और प्रेरणाप्रद।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kanhaiya Lal Nandan (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2014
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350642042
- ISBN-13: 9789350642047
DESCRIPTION:
हिन्दी साहित्य की चुनी हुई हास्य कथाओं का यह संकलन विख्यात सम्पादक-कवि कन्हैयालाल नंदन द्वारा सम्पादित है। इसमें अमृतलाल नागर, भगवतीचरण वर्मा, हरिशंकर परसाई तथा शरद जोशी से लेकर के.पी. सक्सेना, रवीन्द्रनाथ त्यागी, लक्ष्मीकान्त वैष्णव, संतोष नारायण नौटियाल आदि लेखकों की श्रेष्ठ हास्य रचनाएं सम्मिलित हैं।

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kanhaiya Lal Nandan (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 220 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170282241
- ISBN-13: 9788170282242
DESCRIPTION:
यह पुस्तक हिंदी साहित्य की उत्कृष्ट व्यंग्य रचनाओं का सशक्त संकलन है। इसमें एक और हरिशंकर परसाई की व्यंग्य-रचना है तो दूसरी और शारद जोशी की- एक तरह से पुरानी और नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व। साथ ही, भगवतीचरण वर्मा, फणीश्वरनाथ 'रेणु' और कमलेश्वर जैसे चोटी के साहित्यकारों की चुनिंदा व्यंग्य रचनाएँ भी इस पुस्तक में पढ़िए।
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