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SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Shailesh Matiyani (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2000
- Pages: 136 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170283760
- ISBN-13 :9788170283768
DESCRIPTION:
प्रख्यात साहित्यकार शैलेश मटियानी की स्वयं अपने जीवन पर आधारित एक मार्मिक औपन्यासिक रचना - आदि से अंत तक पाठक को बाँधे रखने में समर्थ


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Saadat Hasan Manto (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 152 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350641763
- ISBN-13 :9789350641767
DESCRIPTION:
अगर आपको मेरी कहानियाँ अश्लील या गंदी लगती हैं, तो जिस समाज में आप रह रहे हैं, वह अश्लील और गंदा है। मेरी कहानियाँ तो केवल सच दर्शाती हैं... अक्सर ऐसा कहते थे मंटो जब उन पर अश्लीलता के इल्ज़ाम लगते। बेबाक सच लिखने वाले मंटो बहुत से ऐसे मुद्दों पर भी लिखते जिन्हें उस समय के समाज में बंद दरवाज़ों के पीछे दबा कर, छुपा कर रखा जाता था। सच सामने लाने के साथ, कहानी कहने की अपनी बेमिसाल अदा और उर्दू ज़बान पर बेजोड़ पकड़ ने सआदत हसन मंटो को कहानी का बेताज बादशाह बना दिया। मात्र 43 सालों की ज़िंदगी में उन्होंने 200 से अधिक कहानियाँ, एक उपन्यास, तीन निबन्ध-संग्रह और अनेक नाटक, रेडियो और फ़िल्म पटकथाएँ लिखीं। फ्रेंच और रूसी लेखकों से प्रभावित, वामपंथी सोच वाले मंटो के लेखन में सच्चाई को ऐसे पेश करने की ताकत है जो लंबे अर्से तक पाठक के दिलोदिमाग पर अपनी पकड़ बनाए रखती है। 2012 में पूरे हिन्दुस्तान में मनाई गई मंटो की जन्म-शताब्दी इस बात का सबूत है कि मंटो आज भी अपने पाठकों और प्रशंसकों के लिए ज़िंदा हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Saadat Hasan Manto (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2013
- Pages: 152 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350641534
- ISBN-13 :9789350641538
DESCRIPTION:
अगर आपको मेरी कहानियाँ अश्लील या गंदी लगती हैं, तो जिस समाज में आप रह रहे हैं, वह अश्लील और गंदा है। मेरी कहानियाँ तो केवल सच दर्शाती हैं... अक्सर ऐसा कहते थे मंटो जब उन पर अश्लीलता के इल्ज़ाम लगते। बेबाक सच लिखने वाले मंटो बहुत से ऐसे मुद्दों पर भी लिखते जिन्हें उस समय के समाज में बंद दरवाज़ों के पीछे दबा कर, छुपा कर रखा जाता था। सच सामने लाने के साथ, कहानी कहने की अपनी बेमिसाल अदा और उर्दू ज़बान पर बेजोड़ पकड़ ने सआदत हसन मंटो को कहानी का बेताज बादशाह बना दिया। मात्र 43 सालों की ज़िंदगी में उन्होंने 200 से अधिक कहानियाँ, एक उपन्यास, तीन निबन्ध-संग्रह और अनेक नाटक, रेडियो और फ़िल्म पटकथाएँ लिखीं। फ्रेंच और रूसी लेखकों से प्रभावित, वामपंथी सोच वाले मंटो के लेखन में सच्चाई को ऐसे पेश करने की ताकत है जो लंबे अर्से तक पाठक के दिलोदिमाग पर अपनी पकड़ बनाए रखती है। 2012 में पूरे हिन्दुस्तान में मनाई गई मंटो की जन्म-शताब्दी इस बात का सबूत है कि मंटो आज भी अपने पाठकों और प्रशंसकों के लिए ज़िंदा हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Saadat Hasan Manto (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350643812
- ISBN-13 :9789350643815
DESCRIPTION:
अगर आपको मेरी कहानियाँ अश्लील या गंदी लगती हैं, तो जिस समाज में आप रह रहे हैं, वह अश्लील और गंदा है। मेरी कहानियाँ तो केवल सच दर्शाती हैं... अक्सर ऐसा कहते थे मंटो जब उन पर अश्लीलता के इल्ज़ाम लगते। बेबाक सच लिखने वाले मंटो बहुत से ऐसे मुद्दों पर भी लिखते जिन्हें उस समय के समाज में बंद दरवाज़ों के पीछे दबा कर, छुपा कर रखा जाता था। सच सामने लाने के साथ, कहानी कहने की अपनी बेमिसाल अदा और उर्दू ज़बान पर बेजोड़ पकड़ ने सआदत हसन मंटो को कहानी का बेताज बादशाह बना दिया। मात्र 43 सालों की ज़िंदगी में उन्होंने 200 से अधिक कहानियाँ, एक उपन्यास, तीन निबन्ध-संग्रह और अनेक नाटक, रेडियो और फ़िल्म पटकथाएँ लिखीं। फ्रेंच और रूसी लेखकों से प्रभावित, वामपंथी सोच वाले मंटो के लेखन में सच्चाई को ऐसे पेश करने की ताकत है जो लंबे अर्से तक पाठक के दिलोदिमाग पर अपनी पकड़ बनाए रखती है। 2012 में पूरे हिन्दुस्तान में मनाई गई मंटो की जन्म-शताब्दी इस बात का सबूत है कि मंटो आज भी अपने पाठकों और प्रशंसकों के लिए ज़िंदा हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Saadat Hasan Manto (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350643804
- ISBN-13 :9789350643808
DESCRIPTION:
अगर आपको मेरी कहानियाँ अश्लील या गंदी लगती हैं, तो जिस समाज में आप रह रहे हैं, वह अश्लील और गंदा है। मेरी कहानियाँ तो केवल सच दर्शाती हैं... अक्सर ऐसा कहते थे मंटो जब उन पर अश्लीलता के इल्ज़ाम लगते। बेबाक सच लिखने वाले मंटो बहुत से ऐसे मुद्दों पर भी लिखते जिन्हें उस समय के समाज में बंद दरवाज़ों के पीछे दबा कर, छुपा कर रखा जाता था। सच सामने लाने के साथ, कहानी कहने की अपनी बेमिसाल अदा और उर्दू ज़बान पर बेजोड़ पकड़ ने सआदत हसन मंटो को कहानी का बेताज बादशाह बना दिया। मात्र 43 सालों की ज़िंदगी में उन्होंने 200 से अधिक कहानियाँ, एक उपन्यास, तीन निबन्ध-संग्रह और अनेक नाटक, रेडियो और फ़िल्म पटकथाएँ लिखीं। फ्रेंच और रूसी लेखकों से प्रभावित, वामपंथी सोच वाले मंटो के लेखन में सच्चाई को ऐसे पेश करने की ताकत है जो लंबे अर्से तक पाठक के दिलोदिमाग पर अपनी पकड़ बनाए रखती है। 2012 में पूरे हिन्दुस्तान में मनाई गई मंटो की जन्म-शताब्दी इस बात का सबूत है कि मंटो आज भी अपने पाठकों और प्रशंसकों के लिए ज़िंदा हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Saadat Hasan Manto (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 200 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534088
- ISBN-13 :9789386534088
DESCRIPTION:
अगर आपको मेरी कहानियाँ अश्लील या गंदी लगती हैं, तो जिस समाज में आप रह रहे हैं, वह अश्लील और गंदा है। मेरी कहानियाँ तो केवल सच दर्शाती हैं... अक्सर ऐसा कहते थे मंटो जब उन पर अश्लीलता के इल्ज़ाम लगते। बेबाक सच लिखने वाले मंटो बहुत से ऐसे मुद्दों पर भी लिखते जिन्हें उस समय के समाज में बंद दरवाज़ों के पीछे दबा कर, छुपा कर रखा जाता था। सच सामने लाने के साथ, कहानी कहने की अपनी बेमिसाल अदा और उर्दू ज़बान पर बेजोड़ पकड़ ने सआदत हसन मंटो को कहानी का बेताज बादशाह बना दिया। मात्र 43 सालों की ज़िंदगी में उन्होंने 200 से अधिक कहानियाँ, एक उपन्यास, तीन निबन्ध-संग्रह और अनेक नाटक, रेडियो और फ़िल्म पटकथाएँ लिखीं। फ्रेंच और रूसी लेखकों से प्रभावित, वामपंथी सोच वाले मंटो के लेखन में सच्चाई को ऐसे पेश करने की ताकत है जो लंबे अर्से तक पाठक के दिलोदिमाग पर अपनी पकड़ बनाए रखती है। 2012 में पूरे हिन्दुस्तान में मनाई गई मंटो की जन्म-शताब्दी इस बात का सबूत है कि मंटो आज भी अपने पाठकों और प्रशंसकों के लिए ज़िंदा हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Saadat Hasan Manto (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350643839
- ISBN-13 :9789350643839
DESCRIPTION:
अगर आपको मेरी कहानियाँ अश्लील या गंदी लगती हैं, तो जिस समाज में आप रह रहे हैं, वह अश्लील और गंदा है। मेरी कहानियाँ तो केवल सच दर्शाती हैं... अक्सर ऐसा कहते थे मंटो जब उन पर अश्लीलता के इल्ज़ाम लगते। बेबाक सच लिखने वाले मंटो बहुत से ऐसे मुद्दों पर भी लिखते जिन्हें उस समय के समाज में बंद दरवाज़ों के पीछे दबा कर, छुपा कर रखा जाता था। सच सामने लाने के साथ, कहानी कहने की अपनी बेमिसाल अदा और उर्दू ज़बान पर बेजोड़ पकड़ ने सआदत हसन मंटो को कहानी का बेताज बादशाह बना दिया। मात्र 43 सालों की ज़िंदगी में उन्होंने 200 से अधिक कहानियाँ, एक उपन्यास, तीन निबन्ध-संग्रह और अनेक नाटक, रेडियो और फ़िल्म पटकथाएँ लिखीं। फ्रेंच और रूसी लेखकों से प्रभावित, वामपंथी सोच वाले मंटो के लेखन में सच्चाई को ऐसे पेश करने की ताकत है जो लंबे अर्से तक पाठक के दिलोदिमाग पर अपनी पकड़ बनाए रखती है। 2012 में पूरे हिन्दुस्तान में मनाई गई मंटो की जन्म-शताब्दी इस बात का सबूत है कि मंटो आज भी अपने पाठकों और प्रशंसकों के लिए ज़िंदा हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Saadat Hasan Manto (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350643820
- ISBN-13 :9789350643822
DESCRIPTION:
अगर आपको मेरी कहानियाँ अश्लील या गंदी लगती हैं, तो जिस समाज में आप रह रहे हैं, वह अश्लील और गंदा है। मेरी कहानियाँ तो केवल सच दर्शाती हैं... अक्सर ऐसा कहते थे मंटो जब उन पर अश्लीलता के इल्ज़ाम लगते। बेबाक सच लिखने वाले मंटो बहुत से ऐसे मुद्दों पर भी लिखते जिन्हें उस समय के समाज में बंद दरवाज़ों के पीछे दबा कर, छुपा कर रखा जाता था। सच सामने लाने के साथ, कहानी कहने की अपनी बेमिसाल अदा और उर्दू ज़बान पर बेजोड़ पकड़ ने सआदत हसन मंटो को कहानी का बेताज बादशाह बना दिया। मात्र 43 सालों की ज़िंदगी में उन्होंने 200 से अधिक कहानियाँ, एक उपन्यास, तीन निबन्ध-संग्रह और अनेक नाटक, रेडियो और फ़िल्म पटकथाएँ लिखीं। फ्रेंच और रूसी लेखकों से प्रभावित, वामपंथी सोच वाले मंटो के लेखन में सच्चाई को ऐसे पेश करने की ताकत है जो लंबे अर्से तक पाठक के दिलोदिमाग पर अपनी पकड़ बनाए रखती है। 2012 में पूरे हिन्दुस्तान में मनाई गई मंटो की जन्म-शताब्दी इस बात का सबूत है कि मंटो आज भी अपने पाठकों और प्रशंसकों के लिए ज़िंदा हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Saadat Hasan Manto (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534924
- ISBN-13 :9789386534927
DESCRIPTION:
अगर आपको मेरी कहानियाँ अश्लील या गंदी लगती हैं, तो जिस समाज में आप रह रहे हैं, वह अश्लील और गंदा है। मेरी कहानियाँ तो केवल सच दर्शाती हैं... अक्सर ऐसा कहते थे मंटो जब उन पर अश्लीलता के इल्ज़ाम लगते। बेबाक सच लिखने वाले मंटो बहुत से ऐसे मुद्दों पर भी लिखते जिन्हें उस समय के समाज में बंद दरवाज़ों के पीछे दबा कर, छुपा कर रखा जाता था। सच सामने लाने के साथ, कहानी कहने की अपनी बेमिसाल अदा और उर्दू ज़बान पर बेजोड़ पकड़ ने सआदत हसन मंटो को कहानी का बेताज बादशाह बना दिया। मात्र 43 सालों की ज़िंदगी में उन्होंने 200 से अधिक कहानियाँ, एक उपन्यास, तीन निबन्ध-संग्रह और अनेक नाटक, रेडियो और फ़िल्म पटकथाएँ लिखीं। फ्रेंच और रूसी लेखकों से प्रभावित, वामपंथी सोच वाले मंटो के लेखन में सच्चाई को ऐसे पेश करने की ताकत है जो लंबे अर्से तक पाठक के दिलोदिमाग पर अपनी पकड़ बनाए रखती है। 2012 में पूरे हिन्दुस्तान में मनाई गई मंटो की जन्म-शताब्दी इस बात का सबूत है कि मंटो आज भी अपने पाठकों और प्रशंसकों के लिए ज़िंदा हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Saadat Hasan Manto (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534290
- ISBN-13 :9789386534293
DESCRIPTION:
अगर आपको मेरी कहानियाँ अश्लील या गंदी लगती हैं, तो जिस समाज में आप रह रहे हैं, वह अश्लील और गंदा है। मेरी कहानियाँ तो केवल सच दर्शाती हैं... अक्सर ऐसा कहते थे मंटो जब उन पर अश्लीलता के इल्ज़ाम लगते। बेबाक सच लिखने वाले मंटो बहुत से ऐसे मुद्दों पर भी लिखते जिन्हें उस समय के समाज में बंद दरवाज़ों के पीछे दबा कर, छुपा कर रखा जाता था। सच सामने लाने के साथ, कहानी कहने की अपनी बेमिसाल अदा और उर्दू ज़बान पर बेजोड़ पकड़ ने सआदत हसन मंटो को कहानी का बेताज बादशाह बना दिया। मात्र 43 सालों की ज़िंदगी में उन्होंने 200 से अधिक कहानियाँ, एक उपन्यास, तीन निबन्ध-संग्रह और अनेक नाटक, रेडियो और फ़िल्म पटकथाएँ लिखीं। फ्रेंच और रूसी लेखकों से प्रभावित, वामपंथी सोच वाले मंटो के लेखन में सच्चाई को ऐसे पेश करने की ताकत है जो लंबे अर्से तक पाठक के दिलोदिमाग पर अपनी पकड़ बनाए रखती है। 2012 में पूरे हिन्दुस्तान में मनाई गई मंटो की जन्म-शताब्दी इस बात का सबूत है कि मंटो आज भी अपने पाठकों और प्रशंसकों के लिए ज़िंदा हैं।

SPECIFICATION:
- Publisher : Juggernaut
- By: Sunny Leone(Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 212 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 81932841610
- ISBN-13 :9788193284162
DESCRIPTION:
‘इन कहानियों को लिखते हुए मुझे बहुत मज़ा आया-उम्मीद है आप भी इन्हें एन्जॉय करेंगे’-सनी। ‘मर्द कसे हुए पेट, मजबूत हाथों और बेधती हुई आंखों वाले हैं...औरतें सेक्सी, कामुक और कभी-कभी लीक से हटकर सेक्सुअल मुलाकातों की शुरुआत करने वाली हैं’-टाइम्स ऑफ इंडिया। सनी लियोनी भारत की सबसे ज़्यादा चाही जाने वाली और ग्लैमरस महिला हैं। जोश और दिल्लगी से भरी उनकी दिलकश कहानियां आपकी ज़िन्दगी को फिर से जादू से भर देंगी। ‘मादक चाहतों और कई बार जोश में पगे रोमांस की तलाश करती हुई कहानियों का एक चुनिंदा संग्रह’


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Manisha Kulshreshtha (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 93865346910
- ISBN-13 :9789386534699
DESCRIPTION:
मल्लिका आधुनिक हिन्दी के निर्माता भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की वह प्रेमिका थी जिसके संबंध में इतिहास और साहित्य मौन है। भारतेन्दु के घर के पास रहने वाली बाल-विधवा, मल्लिका ने भारतेन्दु से हिन्दी पढ़ना-लिखना सीखकर बांग्ला के तीन उपन्यासों का हिन्दी में अनुवाद किया। उन्हीं अनुवादों ने भारतेन्दु को ‘उपन्यास’ विधा से परिचित करवाया और इसी से प्रेरणा पाकर वे आधुनिक हिन्दी के निर्माता बने। लेकिन भाग्य की ऐसी विडंबना कि मल्लिका ने जो स्वयं मौलिक उपन्यास लिखा, उसका कहीं कोई ज़िक्र तक नहीं मिलता; जबकि उनका वह उपन्यास हिन्दी का प्रथम उपन्यास माने जाने वाले, परीक्षागुरु, से पहले का है। इतिहास के धुंधलके से गल्प के सहारे मनीषा कुलश्रेष्ठ ने उसी विस्मृत और उपेक्षित नायिका को खोज निकाला है और उसके जीवन पर एक काल्पनिक जीवनीपरक उपन्यास रचा है। मनीषा कुलश्रेष्ठ एक सुपरिचित लेखिका हैं जो कथा साहित्य के कई महत्त्वपूर्ण सम्मान और फ़ैलोशिप प्राप्त कर चुकी हैं। इनके अब तक सात कहानी-संग्रह और चार उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें शिगाफ़, पंचकन्या, स्वप्नपाश और किरदार उल्लेखनीय हैं। इनकी कई कहानियाँ विदेशी भाषाओं में भी अनूदित हो चुकी हैं। इनका संपर्क है: manishakuls@gmail.com


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Manisha Kulshreshtha (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 93865344110
- ISBN-13 :9789386534415
DESCRIPTION:
‘‘मेरे क़िरदार थोड़ा इसी समाज से आते हैं, लेकिन समाज से कुछ दूरी बरतते हुए। मेरी कहानियों में ‘फ्रीक’ भी जगह पाते हैं, सनकी, लीक से हटेले और जो बरसों किसी परजीवी की तरह मेरे ज़हन में रहते हैं। जब मुकम्मल आकार प्रकार ले लेते हैं, तब ये क़िरदार मुझे विवश करते हैं, उतारो हमें कागज पर। कोई कठपुतली वाले की लीक से हट कर चली पत्नी, कोई बहरूपिया, कोई डायन क़रार कर दी गई आवारा औरत, बिगड़ैल टीनेजर, न्यूड माॅडलिंग करने वाली,...’’ अछूते क़िरदार और विषय तो मनीषा कुलश्रेष्ठ के लेखन की पहचान है और यही बात उनकी इन कहानियों में भी पूरी उतरती है। जहाँ एक ओर क़िरदार की कहानियों में कथ्य और परिवेश की विविधता है तो दूसरी ओर, माला में धागे की तरह, एक केन्द्रीय विषय-वस्तु भी है। कथ्य, कहने की धार और लोकरंग इन कहानियों को बेहद पठनीय बनाता है। किरदारों के भीतर हो रही उथल-पुथल को बड़ी संवेदना से अंतर्मन को झकझोरती ये कहानियाँ पाठकों को बहुत समय तक याद रहेंगी। मनीषा कुलश्रेष्ठ सभी विधाओं में लिखती हैं और उनके अनेक कहानी संग्रह और उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Giriraj Kishore (Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2012
- Pages: 116 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170289769
- ISBN-13 :9788170289760
DESCRIPTION:
'पहला गिरमिटिया' जैसे कालजयी उपन्यास के लेखक गिरिराज किशोर का नवीनतम उपन्यास है 'स्वर्णमृग'। इसमें वैश्वीकरण के ज्वंलत प्रश्न को, कथानायक 'पुरुषोत्तम' के माध्यम से उभारा गया है, और उसमें छिपे खतरनाक सत्य को उद्घाटित किया गया है। एक अत्यंत प्रभावशाली और विचारोत्तेजक उपन्यास!


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Giriraj Kishore (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 906 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170289521
- ISBN-13 :9788170289524
DESCRIPTION:
‘गिरमिटिया’ अंग्रेज़ी के शब्द ‘एग्रीमेंट’ का बिगड़ा हुआ रूप है। यह वह एग्रीमेंट या ‘गिरमिट’ है जिसके तहत हज़ारों भारतीय मज़दूर आज से डेढ़ सौ साल पहले दक्षिण अफ्रीका में काम की तलाश में गये थे। एक अजनबी देश, जिसके लोग, भाषा, रहन-सहन, खान-पान एकदम अलग...और सारे दिन की कड़ी मेहनत के बाद न उनके पास कोई सुविधा, न कोई अधिकार। तभी इंग्लैण्ड से वकालत की पढ़ाई पूरी कर 1893 में मोहनदास करमचंद गांधी दक्षिण अफ्रीका पहुंचते हैं। रेलगाड़ी का टिकट होने के बावजूद उन्हें रेल के डिब्बे से सामान समेत बाहर निकाल फेंका जाता है। इस रंगभेद नीति के पहले अनुभव ने युवा गाँधी पर गहरी छाप छोड़ी। रंगभेद नीति की आड़ में दक्षिण अफ्रीका में काम कर रहे भारतीय मज़दूरों पर हो रहे अन्याय गाँधी को बर्दाश्त नहीं होते और वे उन्हें उनके अधिकार दिलाने के संघर्ष में पूरी तरह जुट जाते हैं। बंधुआ मज़दूरों के साथ अपनी एकता को प्रदर्शित करने के लिए अपने आप को ‘पहला गिरमिटिया’ कहते हैं। 19वीं और 20वीं सदी के दक्षिण अफ्रीका की सामाजिक, राजनीतिक पृष्ठभूमि पर आधारित इस उपन्यास को सन् 2000 के व्यास सम्मान से पुरस्कृत किया गया। ‘शतदल सम्मान’ और ‘गाँधी सम्मान’ से सुसज्जित ‘पहला गिरमिटिया’ गाँधी जी को समझने का एक सफल प्रयास है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Giriraj Kishore (Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 64 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170288061
- ISBN-13 :9788170288060
DESCRIPTION:
गाँधी को फाँसी दो!’ ‘गाँधी को फाँसी दो!’ के नारों, सड़े अंडों और पत्थरों से दक्षिणी अफ्रीका की अंग्रेज़ हुकूमत ने गाँधी का ‘स्वागत’ किया, जब वह 1897 में वहाँ वापस लौटे। इस रोष और गुस्से का कारण था गाँधी द्वारा राजकोट में प्रकाशित एक पुस्तिका ‘ग्रीन पेपर’, जिसमें उन्होंने अंग्रेज़ सरकार की रंगभेद-नीति की कड़ी निंदा की थी और दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों की दयनीय स्थिति के बारे में भारत की जनता को जागरूक किया था। दक्षिण अफ्रीका गाँधी की कर्मभूमि थी जहाँ उन्होंने अपने जीवन के बीस वर्ष बिताए और वहीं पर अहिंसा और सत्याग्रह का पहला प्रयोग किया। गाँधीजी का कहना था, ‘‘मेरा ‘जन्म’ तो भारत में हुआ, लेकिन मैं ‘तराशा’ गया दक्षिण अफ्रीका में।’’ इसी दक्षिण अफ्रीका की पृष्ठभूमि पर आधारित है यह नाटक। दक्षिण अफ्रीका की अंग्रेज़ सरकार और पड़ोसी अफ्रीकी देशों के बीच लड़ा जा रहा था ‘बोअर युद्ध’, जिसमें गाँधी ने युद्ध में घायल लोगों के इलाज के लिए ‘एम्बुलेंस कोर’ का आयोजन किया था। उस समय गाँधी के मन की क्या स्थिति थी-जहाँ एक तरफ वे अंग्रेज़ सरकार की नीतियों के खिलाफ अपनी सत्याग्रह की लड़ाई लड़ रहे थे और दूसरी ओर उसी सरकार का साथ दे रहे थे-युद्ध में पीड़ितों को राहत देकर इन सब जज़्बातों को बखूबी पेश किया गया है इस नाटक में। इस नाटक के लेखक हैं जाने-माने हिन्दी साहित्यकार गिरिराज किशोर, जो अब तक अनेक उपन्यास और नाटक लिख चुके हैं। अपने इस सातवें नाटक में लेखक ने एक अनोखा प्रयोग किया है-नाटक के दो अंत दिए हैं! पाठक अपनी पसंद के अनुसार नाटक का कोई भी अंत चुन सकता है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Giriraj Kishore (Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2009
- Pages: 152 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 81702880710
- ISBN-13 :9788170288077
DESCRIPTION:
गिरिराज किशोर मानवमात्र के मनोभावों को शब्दों में उतार कर किस तरह कहानियों का ताना-बाना बुनते हैं, यह उनके इस कहानी-संग्रह में संकलित कहानियों में देखा जा सकता है। ‘कविताएं’ कहानी में मृत्युशैया पर पड़ी पत्नी के सिरहाने बैठे पति की अन्तव्र्यथा, ‘फाइल दाखिल दफ्तर’ में पुत्र और बहू की गुमशुदगी से परेशान पिता की आँखों में कभी खत्म न होने वाली तलाश, या ‘पापा, मैं अंग्रेज़ी नहीं जानता’ में दूसरों के सम्मुख स्वयं को उपेक्षित पाते शिशु का करुण क्रन्दन...सभी का ऐसा जीवंत चित्रण किया है कि घटनाएं चलचित्र की तरह आँखों के सामने आ जाती हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Giriraj Kishore (Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 396 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170289475
- ISBN-13 :9788170289470
DESCRIPTION:
साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित उपन्यास ‘ढाई घर’ के लेखक गिरिराज किशोर प्रख्यात उपन्यासकार, सफल कहानीकार, नाटककार और निबन्धकार भी हैं। और यह केवल इसलिए कि उनका लेखन ज़िन्दगी की विविधताओं और जटिलताओं को समझने और जीने में मदद करता है। उनकी कहानियों में भी यह गुण पूरी तरह विद्यमान है। मुज़फ्फरनगर (उ.प्र.) में जन्मे गिरिराज जी आई.आई.टी. कानपुर के ‘रचनात्मक लेखन एवं प्रकाशन केन्द्र’ के निदेशक रह चुके हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Juggernaut
- By: Twinkle Khanna (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 240 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386228122
- ISBN-13 : 9789386228123
DESCRIPTION:
एक दुबली और लंबी सी लड़की पूरे गांव को बदल देती है. अड़सठ साल की बूढ़ी नोनी आपा एक शादीशुदा आदमी की ओर आकर्षित हैं और सोचती हैं कि रिश्तों को परिभाषित करना ज़रूरी क्यों है. बबलू केवट का परिवार आतंकित है कि उसपर सेनिटरी नैपकिन्स का जुनून सवार है और पांच शादियां करनेवाली एक नौजवान लड़की अपनी हरेक शादी के मंसूबे बनाते वक्त मौसम की भविष्यवाणियों पर नज़र रखती है. इस मज़ेदार, बारीक निगाहों वाली और समझदार क़िस्सागोई से आप खुद को दूर नहीं रख सकेंगे।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kamleshwar (Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2012
- Pages: 184 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350640716
- ISBN-13 :9789350640715
DESCRIPTION:
कश्मीरी कहानी की शुरुआत का समय पिछली शताब्दी के मध्य में माना जाता है, लेकिन इस थोड़े से समय में ही कश्मीरी कहानी ने अपना एक विशेष स्थान बना लिया है, जिसमें हिन्दू-मुस्लिम संस्कृति का अनोखा मिश्रण देखने को मिलता है। अख्तर मुहीउद्दीन, दीनानाथ ‘नादिम’, उमेश कौल, बशीर अहमद बशीर, विजय माम जैसे जाने-माने लेखकों की कहानियों के साथ छब्बीस और कहानीकारों की कहानियों का संकलन इस पुस्तक में प्रस्तुत है, जिनका चुनाव हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार कमलेश्वर ने किया है और एक विस्तृत भूमिका भी लिखी है। यह पुस्तक हिन्दी के पाठकों को कश्मीरी साहित्य को जानने का अवसर प्रदान करती है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kamleshwar (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2014
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170287049
- ISBN-13 :9788170287049
DESCRIPTION:
प्रख्यात लेखक कमलेश्वर का एक नया प्रयोग-‘जनमंच’ के रूप में ‘साइट एण्ड साउंड’ (जिसमें मंच एक न होकर विस्तृत भूमि में 10-12 मंच या ‘स्पाट्स’ होते हैं) के माध्यम से स्वाधीनता-संग्राम की रोमांचक कथा-1857 की क्रान्ति, नील विद्रोह, वासुदेव बलवन्त फड़के, बिरसा भगवान, राजा राममोहन राय, स्वामी दयानंद, सर सैयद अहमद, लोकमान्य तिलक, गांधी आदि आज तक के सभी आन्दोलनों का सशक्त चित्रण।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kamleshwar (Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 232 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170289238
- ISBN-13 :9788170289234
DESCRIPTION:
आबिद सुरती, अंजलि खांड़वाला, धीरेन्द्र मेहता, मोहनभाई पटेल गुजराती साहित्य के जाने-माने नाम हैं। उनकी और अन्य गुजराती लेखकों की चुनी हुई कहानियाँ इस पुस्तक में प्रस्तुत हैं जिनका चुनाव हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार कमलेश्वर ने किया है और साथ ही एक विस्तृत भूमिका भी लिखी है। प्रत्येक भाषा की अपनी प्रकृति होती है, औरों से कुछ हटकर। इस संकलन में आप गुजराती कहानी की अपनी विशेष शैली, अपना विशिष्ट प्रवाह पाएंगे। यह पुस्तक हिन्दी के पाठकों को गुजराती की उत्कृष्ट कहानियों और गुजराती साहित्य को जानने का अवसर प्रदान करती है।

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kamleshwar (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2007
- Pages: 80 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170282683
- ISBN-13 : 9788170282686
DESCRIPTION:


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kamleshwar (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 112 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170283817
- ISBN-13 : 9788170283812
DESCRIPTION:
‘‘यह मेरा पहला उपन्यास है। लिखा सन् 1956 में गया था, यह उसी समय पूरा का पूरा हंस में छपा था। फिर सन् 68-69 या शायद इसके बाद श्री प्रेम कपूर ने इस पर फ़िल्म बनाई ‘बदनाम बस्ती’। मेरे लिए यह उपन्यास उतना ही प्रिय है जितनी प्रिय मेरे लिए मेरी माँ और मेरी जन्मभूमि मैनपुरी। तब यह उपन्यास बदनाम बस्ती के नाम से छपा और लोकप्रिय हुआ। अब तक मेरी ही तरह गर्दिश में चकराता हुआ यह उपन्यास अब अपने मूल नाम से प्रस्तुत है: एक सड़क सत्तावन गलियां’’
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