Literature & Fiction Books
Literature & Fiction Books
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SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Govind Mishra (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2013
- Pages: 128 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350641259
- ISBN-13 :9789350641255
DESCRIPTION:
जिसके लिए हर रचना जीवन-मरण का प्रश्न हो, उसकी संवेदना की गहराई कितनी होगी-यह उत्सुकता स्वाभाविक है। व्यास सम्मान और साहित्य अकादमी (केन्द्रीय) पुरस्कार से सम्मानित गोविन्द मिश्र का लेखन विविध और विस्तृत है, जिसमें उपन्यास, कहानियाँ, यात्रावृत्त, निबन्ध, कविताएँ और बालकथाएँ...यहाँ तक कि आलोचना भी है...लेकिन अगर केवल कुछ कहानियों को ही पढ़कर उनकी संवेदनात्मक गहराई तक पहुँचना हो तो इस संकलन की कहानियाँ, यथेष्ट मदद कर सकती हैं...यहाँ भारतीय गाँव, कस्बे, महानगर से लेकर विदेश तक फैली कथा-भूमि है, बच्चों से लेकर बूढ़ों तक उपस्थिति है...।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Govind Mishra (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2013
- Pages: 128 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350641267
- ISBN-13 :9789350641262
DESCRIPTION:
जिसके लिए हर रचना जीवन-मरण का प्रश्न हो, उसकी संवेदना की गहराई कितनी होगी-यह उत्सुकता स्वाभाविक है। व्यास सम्मान और साहित्य अकादमी (केन्द्रीय) पुरस्कार से सम्मानित गोविन्द मिश्र का लेखन विविध और विस्तृत है, जिसमें उपन्यास, कहानियाँ, यात्रावृत्त, निबन्ध, कविताएँ और बालकथाएँ...यहाँ तक कि आलोचना भी है...लेकिन अगर केवल कुछ कहानियों को ही पढ़कर उनकी संवेदनात्मक गहराई तक पहुँचना हो तो इस संकलन की कहानियाँ, यथेष्ट मदद कर सकती हैं...यहाँ भारतीय गाँव, कस्बे, महानगर से लेकर विदेश तक फैली कथा-भूमि है, बच्चों से लेकर बूढ़ों तक उपस्थिति है...।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Bhagwatisharan Mishra (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 500 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350643499
- ISBN-13 :9789350643495
DESCRIPTION:
यह उपन्यास मीरा के जीवन के विविध रूपों और आयामों को अत्यन्त रोचकता से चित्रित करता है। कृष्णदीवानी मीरा पर आधारित यह उपन्यास प्रचलित भ्रान्तियों का निवारण करने के साथ-साथ महत्त्वपूर्ण तथ्यों का विवरण प्रस्तुत करता है। उपन्यास में जो कुछ लिखा गया है वह इतिहास ही है जिसमें चरित्रों एवं घटनाओं को यथासम्भव सही परिप्रेक्ष्य में रखा गया है।

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Bhagwatisharan Mishra (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2012
- Pages: 284 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170285704
- ISBN-13 :9788170285700
DESCRIPTION:
यह उपन्यास मीरा के जीवन के विविध रूपों और आयामों को अत्यन्त रोचकता से चित्रित करता है। कृष्णदीवानी मीरा पर आधारित यह उपन्यास प्रचलित भ्रान्तियों का निवारण करने के साथ-साथ महत्त्वपूर्ण तथ्यों का विवरण प्रस्तुत करता है। उपन्यास में जो कुछ लिखा गया है वह इतिहास ही है जिसमें चरित्रों एवं घटनाओं को यथासम्भव सही परिप्रेक्ष्य में रखा गया है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Bhagwatisharan Mishra (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2014
- Pages: 628 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170281431
- ISBN-13 :9788170281436
DESCRIPTION:
यह उपन्यास मीरा के जीवन के विविध रूपों और आयामों को अत्यन्त रोचकता से चित्रित करता है। कृष्णदीवानी मीरा पर आधारित यह उपन्यास प्रचलित भ्रान्तियों का निवारण करने के साथ-साथ महत्त्वपूर्ण तथ्यों का विवरण प्रस्तुत करता है। उपन्यास में जो कुछ लिखा गया है वह इतिहास ही है जिसमें चरित्रों एवं घटनाओं को यथासम्भव सही परिप्रेक्ष्य में रखा गया है।

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Bhagwatisharan Mishra (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 360 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170285666
- ISBN-13 :9788170285663
DESCRIPTION:
देश में महाबली हनुमान के मंदिर बिखरे पड़े हैं और सभी भारतीय ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ भी करते हैं परन्तु कितने हैं जो उनके जीवन तथा इतिहास से ज़रा भी परिचित हैं? यह उपन्यास उनके जीवन को बहुत विस्तार से प्रस्तुत करता है और इसमें वह सब कुछ उपलब्ध है जो हनुमानजी के सम्बन्ध में किसी भी धर्मग्रन्थ में लिखा गया है। अपने विषय का अकेला आदि से अन्त तक पठनीय उपन्यास।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Bhagwatisharan Mishra (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 220 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350641615
- ISBN-13 :9789350641613
DESCRIPTION:
हिन्दी का उपन्यास साहित्य बहुत समृद्ध है। हिन्दी के उपन्यासकारों के मौलिक उपन्यास संसार की विभिन्न भाषाओं के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों के समकक्ष रखे जा सकते हैं। उनके कई उपन्यासों के अंग्रेज़ी तथा अन्य विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुए हैं और ये अनुवाद उन भाषाओं के विद्वानों ने किए हैं। इससे इन कृतियों की श्रेष्ठता का पता चलता है। इस पुस्तक में कुछ चुने हुए चर्चित उपन्यासकारों और उनके उपन्यासों को ही लिया गया है। प्रत्येक उपन्यासकार का जीवन-परिचय, लेखन-शैली और उनके कुछ विशिष्ट उपन्यासों के कथानक इस पुस्तक में दिए गए हैं। इस पुस्तक को पढ़ते समय इसमें आप उपन्यासों की रोचकता का आनन्द भी लेंगे। डॉ. भगवतीशरण मिश्र स्वयं एक प्रतिष्ठित उपन्यासकार हैं। उन्होंने बड़ी सूझबूझ और संवेदना से अन्य उपन्यासकारों के संबंध में लिखा है और उनकी कृतियों का सार संक्षेप दिया है। हिन्दी उपन्यास साहित्य पर एक प्रामाणिक संदर्भ पुस्तक है ‘हिन्दी के चर्चित उपन्यासकार’।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Pravin Kumar(Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 224 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534150
- ISBN-13 :9789386534156
DESCRIPTION:
ज़ोरदार कथानक, कहानी कहने की अपनी अनोखी शैली, सशक्त और सजीव चित्रांकन कि कहानी पढ़ते हुए पाठक उसी परिवेश में सराबोर हो जाता है जिस कारण हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार काशीनाथ सिंह ने इसे सराहा है। युवा लेखक प्रवीण कुमार की इन चार लम्बी कहानियों में छोटे-बड़े शहरों और कस्बों की ज़िन्दगी का हर पहलू, वहाँ की बोली, पहनावे, सबको बहुत बारीकी से उकेरा है और इतना रोचक बना दिया है कि छबीला रंगबाज़ एक यादगार किरदार बन जाता है। रुझान से इतिहास, अवधारणा और साहित्य के शोधार्थी प्रवीण कुमार दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज में हिन्दी के सहायक प्रोफ़ेसर हैं। ddविभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित इनके लेखों और कहानियों ने इन्हें एक उभरते हुए कहानीकार की पहचान दी है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kamal Kumar (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2010
- Pages: 286 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170288541
- ISBN-13 :9788170288541
DESCRIPTION:
गजानन माधव मुक्तिबोध राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित लेखिका कमल कुमार का उपन्यास ‘मैं घूमर नाचूँ’ राजस्थान की पृष्ठभूमि पर आधारित है। आज के आधुनिक परिवेश में भी राजस्थान में रूढ़िवादिता और अंधविश्वास अपने चरम पर है। इसी को लेखिका ने अपने उपन्यास का आधार बनाया है। इस उपन्यास की कहानी ‘पैराडाइम शिफ्ट’ की, अर्थात् औरत के सशक्तीकरण की कहानी है। उपन्यास में राजस्थान की जीवन पद्धति, जीवनदृष्टि और मान्यताओं का निर्वाह करता समाज है। उपन्यास की नायिका कृष्णा इन्हीं सबके बीच अपने लिए नई राह बनाती है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Narendra Kohli (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 136 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534142
- ISBN-13 :9789386534149
DESCRIPTION:
2017 में ‘पद्मश्री’ और 2012 में ‘व्यास सम्मान’ से नवाज़े गये नरेन्द्र कोहली की गणना हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों में होती है। 1947 के बाद रचित हिन्दी साहित्य में उनका योगदान अमूल्य है। उन्होंने प्राचीन महाकाव्यों को आधुनिक पाठकों के लिए गद्य रूप में लिखने का एक नया चलन शुरू किया और पुराणों पर आधारित अनेक साहित्यिक कृतियाँ रचीं। नरेन्द्र कोहली ने अपनी चिरपरिचित छवि से हटकर वरुणपुत्री की रचना की है। इसमें पौराणिक कथाएँ, इतिहास, समकालीन घटनाएँ, कल्पित विज्ञान-कथा और फ़ैंटेसी का एक अद्भुत ताना-बाना रचा है। इसकी कथा वस्तु का फ़लक इतना व्यापक है कि इसमें उन्होंने धरती के सभी देशों के अतिरिक्त अन्य ग्रहों और आकाश गंगा को भी सम्मिलित किया है। राजनीति, पर्यावरण सुरक्षा, विश्व-शांति को समेटे हुए यह कथा समय और भूगोल की सारी सीमाओं को लाँघती ही चली जाती है और पाठक आनन्द और विस्मय भरी इस रचना में डुबकी के बाद डुबकी लगाता रहता है। तोड़ो कारा तोड़ो, वासुदेव, साथ सहा गया दुख, हत्यारे, अभिज्ञान और आतंक उनकी अन्य लोकप्रिय पुस्तकें हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Narendra Kohli (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 152 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350640201
- ISBN-13 :9789350640203
DESCRIPTION:
दिल्ली प्रशासन के ‘शलाका सम्मान’ से सम्मानित सुप्रतिष्ठित उपन्यासकार नरेन्द्र कोहली का यह सामाजिक उपन्यास उनकी अन्य रचनाओं की भाँति अत्यंत मार्मिक और प्रभावी है, यह इस उपन्यास से स्पष्ट है। बच्चे की बीमारी और मृत्यु की घटना में पति और पत्नी का साथ सहा और एक-दूसरे में बांटा गया दुख उपन्यास का विषय है-जो पाठक के अन्तरंग को छू लेता है।लम से।

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Narendra Kohli (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 136 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170282667
- ISBN-13 :9788170282662
DESCRIPTION:
दिल्ली प्रशासन के ‘शलाका सम्मान’ से सम्मानित सुप्रतिष्ठित उपन्यासकार नरेन्द्र कोहली का यह सामाजिक उपन्यास उनकी अन्य रचनाओं की भाँति अत्यंत मार्मिक और प्रभावी है, यह इस उपन्यास से स्पष्ट है। बच्चे की बीमारी और मृत्यु की घटना में पति और पत्नी का साथ सहा और एक-दूसरे में बांटा गया दुख उपन्यास का विषय है-जो पाठक के अन्तरंग को छू लेता है।लम से।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Narendra Kohli (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2011
- Pages: 104 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 81702830610
- ISBN-13 :9788170283065
DESCRIPTION:
गॉव, उसके पेडों से भरे जंगल, लकडी की चिराई और उसका ठेका- और ढेकैदारों की अजीबोगरीब दुनिया से संबंधित एक शक्तिशाली उपन्यास.. प्रसिद्ध लेखक नरेंद्र कोहली की कलम से।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Narendra Kohli (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 168 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350641178
- ISBN-13 :9789350641170
DESCRIPTION:
2017 में ‘पद्मश्री’ और 2012 में ‘व्यास सम्मान’ से अलंकृत नरेन्द्र कोहली की गणना हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों में होती है। 1947 के बाद के हिन्दी साहित्य में उनका योगदान अमूल्य है। उन्होंने प्राचीन महाकाव्यों को आधुनिक पाठकों के लिए गद्य रूप में लिखने का एक नया चलन शुरू किया और पौराणिक कथानकों पर अनेक साहित्यिक कृतियाँ रचीं। ‘अभिज्ञान’ के कथानक की रचना गीता में वर्णित कृष्ण के कर्म-सिद्धान्त की आधार भूमि है। लेकिन यह उपन्यास कर्म-सिद्धान्त की पुष्टि के लिए नहीं, उसे समझाने के लिए है, जिससे साधारण मनुष्य भी अपने जीवन में इसका पालन कर सकता है। एक सांस्कृतिक उपन्यास जो प्राचीन और आज की शिक्षा-प्रणाली, गुरु-शिष्य परंपरा की अंतर्कथा भी है। तोड़ो कारा तोड़ो, वसुदेव, साथ सहा गया दुख, हत्यारे, आतंक और वरुणपुत्री उनकी अन्य लोकप्रिय पुस्तकें हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Narendra Kohli (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 93506426210
- ISBN-13 :9789350642627
DESCRIPTION:
सुपरिचित उपन्यासकार नरेन्द्र कोहली की गणना आधुनिक युग के सशक्त कथाकारों में की जाती है। सामाजिक उपन्यासों के अतिरिक्त उन्होंने धार्मिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को लेकर अनेक उपन्यासों की रचना की है जो अत्यन्त लोकप्रिय हुए हैं। प्रस्तुत उपन्यास आतंक उनका एक सफल उपन्यास है जिसमें उन्होंने आधुनिक समाज में चारों ओर बढ़ती अव्यवस्था, बिखराव और असुरक्षा का सशक्त चित्रण किया है। यह आदि से अंत तक रोचक और पठनीय है। नरेन्द्र कोहली की अन्य लोकप्रिय पुस्तकें हैं-साथ सहा गया दुख, अभिज्ञान, जंगल, सबसे बड़ा सत्य और हत्यारे।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Dronveer Kohli (Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 276 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350640163
- ISBN-13 :9789350640166
DESCRIPTION:
सुपरिचित कथाकार द्रोणवीर कोहली का यह नया उपन्यास प्रेम को आसमानी ऊँचाइयों तक ले जाता है और अस्थि-मज्जा से बने ‘सहायता’ के चरित्र को महानता की श्रेणी में ले जा खड़ा करता है। ‘पोटली’ प्रेम का एक ऐसा अनूठा शाहकार है, जिसे पढ़ना शुरू करने के बाद, आप अंत तक पहुँचने की बेसब्री से भरे रहेंगे, और तब भी वह बेसब्री आपका पीछा नहीं छोड़ेगी...।

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Giriraj Kishore (Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170289505
- ISBN-13 :9788170289500
DESCRIPTION:


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Giriraj Kishore (Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 128 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170289491
- ISBN-13 :9788170289494
DESCRIPTION:
उपन्यास हो, कहानी, नाटक या निबंध, हर विधा के लिए गिरिराज किशोर प्रायः सामयिक विषय को ही अपना कथानक बनाते हैं। वह कल्पना की ऊंची-ऊंची उड़ानें नहीं भरते वरन् ज़िंदगी की विविधताओं और जटिलताओं को जीने में मदद करते हैं। उपन्यास यातनाघर में विष्णु नारायण अपने आला अफसरों की तानाशाही और मनमानी झेलता-झेलता इतना बेबस हो जाता है। कि उसे लगने लगता है कि वह इन्सान नहीं ‘कोल्हू का बैल’ बन गया है। जिसे दिन-रात पेरा जाता है। लेखक ने घर बाहर की जद्दोजहद में जूझते व्यक्ति के मनोभावों का ऐसा सजीव चित्रण किया है कि पाठक की सहानुभूति सहज उसके साथ हो जाती है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Vishambarnath Sharma Kaushik (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2014
- Pages: 184 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8174831517
- ISBN-13 : 9788174831514
DESCRIPTION:
‘ताई’ हिन्दी कहानियों में एक मील का पत्थर मानी जाती है। इसके कहानीकार विश्वम्भरनाथ शर्मा कौशिक की गणना प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, गुलेरी के साथ आधुनिक हिन्दी कहानी के निर्माताओं में की जाती है। काल-क्रम की दृष्टि से ये सभी लेखक एक आध साल के अन्तर से आए और प्रत्येक ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। जहां प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद का नाम हिन्दी साहित्य में आज भी बहुत लोकप्रिय है और उनका साहित्य आसानी से उपलब्ध है, वहीं कौशिक जी की रचनाएँ पाठक की नज़रों से कुछ ओझल-सी हो गई हैं। उनकी कहानियों का यह संकलन इस अभाव को पूरा करता है। विश्वम्भरनाथ शर्मा कौशिक की अधिकांश कहानियाँ उत्तर भारत के सामाजिक जीवन का चित्रण करती हैं। यादगार चरित्रों को पैदा करना कौशिक जी की विशेषता थी और वे अपने पात्रों को अपनी कहानियों के माध्यम से इस तरह जीवंत करते थे कि पाठक को वर्षों तक याद रहे।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Vishambarnath Sharma Kaushik (Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2014
- Pages: 184 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8174831525
- ISBN-13 : 9788174831521
DESCRIPTION:
‘ताई’ हिन्दी कहानियों में एक मील का पत्थर मानी जाती है। इसके कहानीकार विश्वम्भरनाथ शर्मा कौशिक की गणना प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, गुलेरी के साथ आधुनिक हिन्दी कहानी के निर्माताओं में की जाती है। काल-क्रम की दृष्टि से ये सभी लेखक एक आध साल के अन्तर से आए और प्रत्येक ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। जहां प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद का नाम हिन्दी साहित्य में आज भी बहुत लोकप्रिय है और उनका साहित्य आसानी से उपलब्ध है, वहीं कौशिक जी की रचनाएँ पाठक की नज़रों से कुछ ओझल-सी हो गई हैं। उनकी कहानियों का यह संकलन इस अभाव को पूरा करता है। विश्वम्भरनाथ शर्मा कौशिक की अधिकांश कहानियाँ उत्तर भारत के सामाजिक जीवन का चित्रण करती हैं। यादगार चरित्रों को पैदा करना कौशिक जी की विशेषता थी और वे अपने पात्रों को अपनी कहानियों के माध्यम से इस तरह जीवंत करते थे कि पाठक को वर्षों तक याद रहे।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kushwaha Kant(Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9389373034
- ISBN-13 :9789389373035
DESCRIPTION:
लाल रेखा हिन्दी के लोकप्रिय उपन्यासों में मील का पत्थर है जिसने बड़े पैमाने पर हिन्दी के पाठक बनाए। 1950 में लिखे इस उपन्यास में उस समय हिन्दी उपन्यास की जितनी धाराएँ थीं, सभी को एक साथ इसमें समाहित किया गया है। रोमांस, रहस्य, राष्ट्रवाद और सामाजिक मूल्यों से ओत-प्रोत कथानक एक मानक की तरह है। देश की आज़ादी के संग्राम की पृष्ठभूमि पर लिखे इस उपन्यास में लाल और रेखा की प्रेम कहानी है लेकिन इसमें प्रेम से बढ़कर देश-प्रेम दिखाया गया है। देशहित व्यक्तिगत हितों से अधिक महत्त्वपूर्ण माना गया है। जहाँ एक ओर निज और समाज के हितों की बात है वहीं दूसरी ओर स्त्री और पुरुष की समानता की बात भी है। लाल रेखा अपने विषय के लिए ही नहीं, काव्यात्मक भाषा के लिए भी आज तक जाना जाता है। आज से करीब 75 साल पहले लिखा यह उपन्यास आज भी उतना ही प्रासंगिक है। कुशवाहा कान्त जिनका पूरा नाम कान्त प्रसाद कुशवाहा था, वे 34 वर्ष की छोटी उम्र में हिन्दी साहित्य जगत को बहुत कुछ दे गये। वे विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। जहाँ एक ओर उन्होंने रोमांटिक और सामाजिक उपन्यास लिखे वहीं दूसरी ओर जासूसी और क्रान्तिकारी उपन्यासों का सृजन किया। निस्संदेह लाल रेखा उनका सबसे लोकप्रिय उपन्यास है। इसके अलावा उनके कुछ नामी उपन्यास पारस, विद्रोही सुभाष, आहुति, नीलम, नगीना इत्यादि हैं। उन्होंने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। 1952 में 34 वर्ष की उम्र में एक जानलेवा आक्रमण में साहित्य का यह चिराग बुझ गया।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kamtanath (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2015
- Pages: 152 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350641127
- ISBN-13 :9789350641125
DESCRIPTION:
कामतानाथ की मुख्य पहचान एक कहानीकार के रूप में थी। नयी कहानी के बाद 1960 के दशक में जो युवा कथाकारों की पीढ़ी सामने आईं, वे उसके अग्रणी हस्ताक्षर थे। उनकी कृतियों में वर्गीय दृष्टि और क्रांतिकारी चेतना अलग से ध्यान खींचती है। ‘मुक्तिबोध पुरस्कार’, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की ओर से ‘यशपाल पुरस्कार’, ‘साहित्य भूषण’ और ‘महात्मा गांधी सम्मान’ से अलंकृत कामतानाथ की साहित्यिक यात्रा 8 दिसम्बर 2012 को संपूर्ण हुई, लेकिन उनकी सृजनात्मकता उनकी कृतियों के माध्यम से हमेशा जीवित रहेगी।

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kamtanath (Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2013
- Pages: 152 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350641119
- ISBN-13 :9789350641118
DESCRIPTION:
कामतानाथ की मुख्य पहचान एक कहानीकार के रूप में थी। नयी कहानी के बाद 1960 के दशक में जो युवा कथाकारों की पीढ़ी सामने आईं, वे उसके अग्रणी हस्ताक्षर थे। उनकी कृतियों में वर्गीय दृष्टि और क्रांतिकारी चेतना अलग से ध्यान खींचती है। ‘मुक्तिबोध पुरस्कार’, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की ओर से ‘यशपाल पुरस्कार’, ‘साहित्य भूषण’ और ‘महात्मा गांधी सम्मान’ से अलंकृत कामतानाथ की साहित्यिक यात्रा 8 दिसम्बर 2012 को संपूर्ण हुई, लेकिन उनकी सृजनात्मकता उनकी कृतियों के माध्यम से हमेशा जीवित रहेगी।

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Gayatri Kamleshwar(Author)
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2005
- Pages: 192 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170285674
- ISBN-13 :9788170285670
DESCRIPTION:
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