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SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Bashir Badra
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:9350640759
- ISBN-13 :9789350640753
DESCRIPTION:
बशीर बद्र मुहब्बत के शायर हैं और उनकी शायरी का एक-एक लफ़्ज़ इसका गवाह है। मुहब्बत का हर रंग उनकी ग़ज़लों में मौजूद है। उनका पैग़ाम मुहब्बत है-जहाँ तक पहुँचे। यह संकलन उनकी समूची शायरी का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी लाजवाब भूमिका हिन्दी के प्रसिद्ध कवि-सम्पादक कन्हैयालाल नंदन ने लिखी है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Rajendra Awasthi
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 81702847
- ISBN-13 :9788170289784
DESCRIPTION:
तरक्कीपसंद शायर कैफ़ी आज़मी की समग्र शायरी में से चुनी हुई उनकी श्रेष्ठ ग़ज़लें, नज़्में और शे’र साथ ही, उनकी सुप्रसिद्ध बेटी शबाना आज़मी द्वारा लिखा जीवन-परिचय जिसका शीर्षक है-‘अब्बा’। खुशवन्त सिंह ने कैफ़ी आज़मी को ‘आज की उर्दू शायरी का बादशाह’ करार दिया है-और सचमुच वे हैं भी। कैफ़ी आज़मी के समूचे कलाम में से चुनी हुई रचनाओं का विशेष संकलन-फिल्मी गीतों सहित।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kanhaiyalal Nandan (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:9350641801
- ISBN-13: 9789350641804
DESCRIPTION:
भारत के उर्दू शायरों में कृष्ण बिहारी ‘नूर’ एक मशहूर नाम है। एक तरफ़ उनकी शायरी जहाँ सूफ़ियाना अन्दाज़ में मस्त कलन्दरों की तरह अपना दर्ज कराती है, वहीं दूसरी तरफ़ हिन्दू दर्शन और अध्यात्म की खुशबुएँ बिखेरती है। उनके कलाम को गुलाम अली, असलम खाँ, पीनाज़ मसानी, भूपेन्द्र और रवीन्द्र जैन जैसे चोटी के गायकों ने स्वर प्रदान किये हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Nida Fazli(Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350641046
- ISBN-13 :9789350641040
DESCRIPTION:
भारत के उर्दू शायरों में निदा फ़ाज़ली आज एक महत्त्वपूर्ण नाम है। उन्होंने नयी शैली में नए विषयों पर लिखकर शायरी को एक नया मोड़ दिया है। उनके कलाम में देश की ज़िन्दगी अपने लोकरंगों के लिबास में पूरी तरह मौजूद है।


SPECIFICATION:
- Publisher :Rajpal and Sons
- By: Shaharyaar) (Author)
- Binding : Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2017
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10 : 8170289793
- ISBN-13: 9788170289791
DESCRIPTION:
मशहूर उर्दू शायर शहरयार के समूचे कलाम में से उनके क़रीबी दोस्त, प्रसिद्ध साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा विशेष रूप से तैयार संकलन, शायर की ज़िन्दगी और उनके लेखन पर रोचक भूमिका सहित चैंकानेवाली आतिशबाज़ी से हटकर, शाइस्तगी से भरी कुछ ऐसी शायरी जो अजाने ही वक्त की पुकार में बदल जाती है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Rangey Raghav (Author)
- Binding :Hardcover
- Language: Hindi
- Edition :2015
- Pages: 348 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170288002
- ISBN-13:9788170288008
DESCRIPTION:
‘आखिरी आवाज़’ हिन्दी के विख्यात साहित्यकार रांगेय राघव का एक उत्कृष्ट उपन्यास है। अपनी अद्भुत कल्पना-शक्ति, असाधारण प्रतिभा के द्वारा उन्होंने एक साधारण से कथानक को इतनी खूबसूरती से वर्णित किया है कि पढ़ते-पढ़ते पाठक रोमांचित हो उठता है। गांव में सरपंच, दरोगा और ऊंची पहुंच वालों की किस तरह तूती बोलती है कि साधारण ग्रामीण अन्याय के विरुद्ध आवाज़ तक नहीं उठा सकता। साथ ही मानवीय उद्वेगों, दंभ और घूसखोरी आदि सामाजिक बुराइयों को भी लेखक ने बड़ी ही सहजता से बेनकाब किया है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: J. Krishnamurti
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2019
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9389373077
- ISBN-13 :9789389373073
DESCRIPTION:
‘दि अर्जेन्सी ऑव चेन्ज’ कृष्णमूर्ति की सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण पुस्तक है, जैसा कि 1971 में लंदन से प्रकाशित इसके मूल अंग्रेज़ी संस्करण के मुखपृष्ठ पर इंगित किया गया था। जीवन से जुड़े विविध विषयों पर इस पुस्तक में बेबाकी के साथ प्रश्न-दर-प्रश्न पूछे गये हैं और कृष्णमूर्ति ने बड़ी बारीकी से उनकी पड़ताल की है। वे उत्तर देकर प्रश्न को निपटा नहीं देते, बल्कि इस सहसंवाद में उन प्रश्नों के नये, अनदेखे पहलुओं को उजागर करते चलते हैं, और साथ ही पूछ भी लिया करते हैं कि साथ-साथ की जा रही इस परख के दौरान प्रश्नकर्ता के अंतर्जगत में घटित क्या हो रहा है। प्रश्नकर्ता: आप मुझसे पूछ रहे हैं कि हो क्या रहा है? मैं तो बस आपको समझने की कोशिश कर रहा हूँ। कृष्णमूर्ति: क्या आप मुझे समझने की कोशिश कर रहे हैं या कि, जिस विषय में हम बात कर रहे हैं, आप उसकी सच्चाई को देख रहे हैं जो मुझ पर निर्भर नहीं करती? यदि आप, जिस विषय में हम बात कर रहे हैं, उसकी सच्चाई को वस्तुतः देख रहे होते हैं, तब आप स्वयं अपने गुरु होते हैं, और स्वयं के ही आप शिष्य होते हैं, जो कि अपने आप को समझना है। यह समझ किसी और से नहीं सीखी जा सकती।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By : J Krishnamurti
- Cover : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2019
- Pages : 176
- Weight : 200 gm.
- Size : 5.5 x 0.41 x 8.5 inches
- ISBN-10 : 9389373077
- ISBN-13 : 978-9389373073
DESCRIPTION:
‘दि अर्जेन्सी ऑव चेन्ज’ कृष्णमूर्ति की सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण पुस्तक है, जैसा कि 1971 में लंदन से प्रकाशित इसके मूल अंग्रेज़ी संस्करण के मुखपृष्ठ पर इंगित किया गया था। जीवन से जुड़े विविध विषयों पर इस पुस्तक में बेबाकी के साथ प्रश्न-दर-प्रश्न पूछे गये हैं और कृष्णमूर्ति ने बड़ी बारीकी से उनकी पड़ताल की है। वे उत्तर देकर प्रश्न को निपटा नहीं देते, बल्कि इस सहसंवाद में उन प्रश्नों के नये, अनदेखे पहलुओं को उजागर करते चलते हैं, और साथ ही पूछ भी लिया करते हैं कि साथ-साथ की जा रही इस परख के दौरान प्रश्नकर्ता के अंतर्जगत में घटित क्या हो रहा है।
प्रश्नकर्ता: आप मुझसे पूछ रहे हैं कि हो क्या रहा है? मैं तो बस आपको समझने की कोशिश कर रहा हूँ।
कृष्णमूर्ति: क्या आप मुझे समझने की कोशिश कर रहे हैं या कि, जिस विषय में हम बात कर रहे हैं, आप उसकी सच्चाई को देख रहे हैं जो मुझ पर निर्भर नहीं करती? यदि आप, जिस विषय में हम बात कर रहे हैं, उसकी सच्चाई को वस्तुतः देख रहे होते हैं, तब आप स्वयं अपने गुरु होते हैं, और स्वयं के ही आप शिष्य होते हैं, जो कि अपने आप को समझना है। यह समझ किसी और से नहीं सीखी जा सकती।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Irshad Khan 'Sikandar (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2020
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9389373123
- ISBN-13 : 9789389373127
DESCRIPTION:
‘‘इरशाद ख़ान सिकन्दर अपना अलग रास्ता चुनने की कोशिश में हैं। उसके मज़ामीन ज़मीन से जुड़े हैं और मौजूद की अक्कासी करते हैं। ख़याली महबूब से परे वो जीते-जागते लोगों से हमकलाम हैं।’’ - रफ़ी रज़ा ‘‘इरशाद की शायरी में घर भी है बाज़ार भी है। नौजवानी का ख़ुमार भी है और मुहब्बत में किसी का इन्तिज़ार भी है। ज़िन्दगी से वास्ते भी हैं और चहल-पहल करते हुए रास्ते भी हैं।’’ - शकील आज़मी ‘‘इरशाद ख़ान सिकन्दर ने अपने बयान को न फ़लसफ़ों से बोझिल करने की कोशिश की है न ऐसे अल्फ़ाज़ से जिसके लिए डिक्शनरी का सहारा लेना पड़ता है। ये मुकम्मल तौर पर ज़िन्दगी से जुड़ा इज़हारिया है जिसमें तासीर भी मौजूद है और तजरुबा भी।’’ - ज़ुल्फ़िक़ार आदिल (पाकिस्तान) ‘‘इरशाद की ग़ज़ल पाठक को ज़रा रुककर आराम से बैठने और सोचने पर मजबूर करती है। एक थके हुए ज़ेहन को सुकून देने का काम करती है और यही वजह है कि इस ग़ज़ल की उम्र लम्बी होगी।’’ - आदिल रज़ा मन्सूरी आँसुओं का तर्जुमा इरशाद ख़ान सिकन्दर की पहली किताब है जो अब नयी साज-सज्जा में हाज़िर है। इसके कई शे’र बहुत लोकप्रिय हुए जिन्हें अन्य लेखकों ने अपनी किताबों या लेखों में उद्धृत किया है। दूसरा इश्क़ इरशाद की दूसरी किताब भी शायरी के पाठकों के बीच बहुचर्चित है। 8 अगस्त 1983 को उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर ज़िले में जन्मे इरशाद ने अपना खास पाठक वर्ग तैयार कर लिया है। वे शायरी, कहानी और नाट्य लेखन के साथ-साथ सिनेमा जगत में बतौर गीतकार सक्रिय हैं। इनका संपर्क है: ik.sikandar@gmail.com, www.irshadkhansikandar.com


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: A.P.J. Abdul Kalam
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2018
- Pages: 224 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350642816
- ISBN-13 :9789350642818
DESCRIPTION:
‘‘अगर सारी कठिनाइयों से हार न मान कर मैं इतना कुछ हासिल कर सका हूँ तो कोई भी ऐसा कर सकता है-यही संदेश है जो मैं इस पुस्तक के ज़रिये अपने देश के युवाओं को देना चाहता हूँ। इस पुस्तक से प्रेरित होकर यदि एक भी युवा अपना सपना हासिल कर लेता है तो मैं मानूँगा कि इसे लिखने का मेरा प्रयास सफल हुआ। यह पुस्तक देश-भर से प्राप्त युवाओं के ई-मेल और उनके प्रश्नों पर आधारित है और मेरे जवाब मेरे जीवन के अनुभव और जो कुछ मैंने सीखा है-उस सबका सार है और ये इस तरह पेश किए गए हैं कि मिलती-जुलती समस्याओं का सामना कर रहे किसी भी पाठक के लिए जवाबों में छुपे संदेश कारगर हो सकें।’’-इस पुस्तक की भूमिका से। 2002 से लेकर 2007 तक डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के राष्ट्रपति रहे। राष्ट्रपति पद पर रहते हुए वह जितने लोकप्रिय तब थे उतने ही आज भी हैं। प्रेरणा, सलाह, मार्गदर्शन या फिर एक जुड़ाव के अहसास के लिए लोग उनसे सम्पर्क करते हैं। उनकी सोच, उनके जीवन-मूल्य और समस्याओं के समाधान उनके अपने जीवन की कठिन राह पर चलते हुए सच्चाई की कसौटी पर खरे उतरे वे सबक हैं जिनसे हम सब बहुत कुछ सीख सकते हैं। व्यक्तिगत विकास की चुनौती-जिसका हम सब अपनी ज़िन्दगी में हर रोज़ सामना करते है-से शुरुआत करते हुए समाज और राष्ट्र के बहुआयामी, जटिल सवालों से जूझने तक यह पुस्तक सम्पूर्ण और सार्थक ज़िन्दगी जीने की प्रेरणा देती है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Lala Hardayal (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2015
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170286441
- ISBN-13 :9788170286448
DESCRIPTION:
किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए व्यक्ति के व्यक्तित्व की निर्णायक भूमिका होती है। व्यक्तित्व का विकास हम स्वयं भी कर सकते हैं। प्रसिद्ध क्रांतिकारी और विचारक लाला हरदयाल की इस युगांतकारी अमर कृति में व्यक्तित्व के विकास के सूत्र अत्यन्त सरल और रोचक भाषा-शैली में सुझाए गए हैं। एक अत्यन्त उपयोगी एवं प्रेरणादायी पुस्तक!

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: J. Krishnamurti
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2017
- Pages: 224 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170287243
- ISBN-13 :9788170287247
DESCRIPTION:
क्या आपकी दिलचस्पी महज किसी कैरियर की दौड़ में है, या आपकी मंशा यह जानने की है कि आप जीवन में वस्तुतः क्या करना पसंद करेंगे-ऐसा काम जिससे आपको सचमुच लगाव हो? क्या आज की दुनिया में जीने के लिए महत्त्वाकांक्षा और होड़ वाकई जरूरी है? व्यक्ति और समाज की समस्याओं जैसे कि गरीबी, भ्रष्टाचार और हिंसा के बारे में आपकी क्या सोच है? अपने माता-पिता और शिक्षकों के साथ आपके संबंध की बुनियाद क्या है? आज्ञापालन? विद्रोह?...या फिर समझ? प्रेम और विवाह के प्रति आपका नज़रिया क्या है? ऊब, ईष्र्या, किसी के बर्ताव से चोट पहुंचना, मज़ा कायम रखने की चाह, डर और दुख-अपने जीवन के इन सवालों से आप किस तरह दो-चार होते हैं? क्या हो सकता है मनुष्य के जीवन का उद्देश्य? मृत्यु, ध्यान, धर्म और ईश्वर के बारे में आपका क्या रुख है? जीवन से जुड़े इन जीवंत प्रश्नों का गहन अन्वेषण जे. कृष्णमूर्ति का बीसवीं सदी के मनोवैज्ञानिक व शैक्षिक विचार में मौलिक तथा प्रामाणिक योगदान है। विश्व के विभिन्न भागों में कृष्णमूर्ति जब युवावर्ग को संबोधित करते थे, उनसे वार्तालाप करते थे, तो वह उन्हें कोई फलसफा नहीं सिखा रहे होते थे, वह तो जीवन को सीधे-सीधे देख पाने की कला के बारे में चर्चा कर रहे होते थे-और वह उनसे बात करते थे एक मित्र की तरह, किसी गुरु या किन्हीं मसलों के विशेषज्ञों के तौर पर नहीं। ‘आपको अपने जीवन में क्या करना है?’ कृष्णमूर्ति की विभिन्न पुस्तकों से संकलित अपने प्रकार का पहला संग्रह है, जिसमें विशेषकर युवावर्ग को शिक्षा तथा जीवन के विषय में कृष्णमूर्ति की विशद दृष्टि का व्यवस्थित एवम् क्रमबद्ध परिचय प्राप्त होता है।

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajkamal Prakashan
- By : Suryakant Tripathi Nirala
- Cover : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2018
- Pages : 108
- Weight : 200 gm
- Size : 7.9 x 5.5 x 1.6 inches
- ISBN-10: 8171786790
- ISBN-13: 978-8171786794
DESCRIPTION:
आराधना के गीत निराला-काव्य के तीसरे चरण में रचे गए हैं, मुख्यतया 24 फरवरी 1952 से आरंभ करके दिसंबर 1952 के अंत तक । इन गीतों से यह भ्रम हो सकता है कि निराला पीछे की ओर लौट गए हैं 1 वास्तविकता यह है कि ' 'धर्म-भावना निराला में पहले भी थी, वह उनमें अंत-अंत तक बनी रही । उनके इस चरण के धार्मिक काव्य की विशेषता यह है कि वह हमें उद्विग्न करता है, आध्यात्मिक शांति निराला को कभी मिली भी नहीं, क्योंकि इस लोक से उन्होंने कभी मुझेहाँह नहीं मोड़ा बल्कि इस लोक को अभाव और पीड़ा से मुक्त करने के लिए वे कभी सामाजिक और राजनीतिक आदोलनों की ओर देखते रहे और कभी ईश्वर की ओर । उनकी यह व्याकुलता ही उनके काव्य की सबसे बडी शक्ति है । '' -नंदकिशोर नवल.About the Author
निराला का जन्म वसन्त पंचमी, 1896 को बंगाल के मेदिनीपुर जिले के महिषादल नामक देशी राज्य में हुआ। निवास उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के गढ़ा कोला गाँव में। शिक्षा हाईस्कूल तक ही हो पाई। हिन्दी, बांग्ला, अंग्रेजी और संस्कृत का ज्ञान आपने अपने अध्यवसाय से स्वतंत्र रूप में अर्जित किया। प्राय: 1918 से 1922 ई. तक निराला महिषादल राज्य की सेवा में रहे, उसके बाद से सम्पादन, स्वतंत्र लेखन और अनुवाद-कार्य। 1922-23 ई. में ‘समन्वय’ (कलकत्ता) का सम्पादन। 1923 ई. के अगस्त से ‘मतवाला’—मंडल में। कलकत्ता छोड़ा तो लखनऊ आए, जहाँ गंगा पुस्तकमाला कार्यालय और वहाँ से निकलनेवाली मासिक पत्रिका ‘सुधा’ से 1935 ई. के मध्य तक सम्बद्ध रहे। प्राय: 1940 ई. तक लखनऊ में। 1942-43 ई. से स्थायी रूप से इलाहाबाद में रहकर मृत्यु-पर्यन्त स्वतंत्र लेखन और अनुवाद-कार्य। पहली प्रकाशित कविता: ‘जन्मभूमि’ (‘प्रभा’, मासिक, कानपुर, जून, 1920)। पहली प्रकाशित पुस्तक: ‘अनामिका’ (1923 ई.)। प्रमुख कृतियाँ: कविता-संग्रह: आराधना, गीतिका, अपरा, परिमल, गीतगुंज, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता, बेला, अर्चना, नए पत्ते, अणिमा, रागविराग, सांध्य काकली, असंकलित रचनाएँ। उपन्यास: बिल्लेसुर बकरिहा, अप्सरा, अलका, कुल्लीभाट, प्रभावती, निरुपमा, चोटी की पकड़, भक्त ध्रुव, भक्त प्रहलाद, महाराणा प्रताप, भीष्म पितामह, चमेली, काले कारनामे, इन्दुलेखा (अपूर्ण)। कहानी-संग्रह: सुकुल की बीवी, लिली, चतुरी चमार, महाभारत, सम्पूर्ण कहानियाँ। निबन्ध-संग्रह: प्रबन्ध प्रतिमा, प्रबन्ध पद्म, चयन, चाबुक, संग्रह। संचयन: दो शरण, निराला संचयन, निराला रचनावली।.


SPECIFICATION:
- Publisher :Rajpal and Sons
- By: Amartya Sen (Author)
- Binding :Hardcover
- Language: Hindi
- Edition :2019
- Pages: 312 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10::8170283809
- ISBN-13: 9788170283805
DESCRIPTION:
प्रो. अमर्त्य सेन की आज तक प्रकाशित सभी कृतियों में अन्यतम, जो इक्कीसवीं सदी में मनुष्य के समग्र विकास, संतुष्टि तथा सुरक्षा के लिये एक बिलकुल नवीन दर्शन प्रस्तुत करती है और जो गरीबी हटाने की कार्ययोजना का भी आधार बन सकती है। पाश्चात्य जगत में भूरि-भूरि प्रशंसित। अद्भुत...इस पुस्तक में यह तर्क अपना चरम उत्कर्ष प्राप्त करता है कि विकास का प्रमुख लक्ष्य तथा उद्देश्य स्वातंत्र्य ही है। लेखक ने एक कठिन विषय के सभी पक्षों को बड़े सहज ढंग से प्रस्तुत किया है।-न्यूयॉर्क टाइम्स। अन्य नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्रियों के विपरीत अमर्त्य सेन ने समाज के सबसे निचले वर्ग के लोगों को अपना विषय बनाया है। उन्होंने शीर्ष पर स्थित लोगों पर ध्यान नहीं दिया है।-शिकागो ट्रिब्यून। अमर्त्य सेन द्वारा व्यक्त तथा समर्पित विचार अत्यंत आकर्षक हैं।-इकोनॉमिस्ट। इस पुस्तक में तर्क की ताज़गी के साथ विरोधी विचारों को भी स्वीकार करने की भावना है।-एटलांटिक मंथली। अमर्त्य सेन के विचार क्रांतिकारी संभावनाओं से पूर्ण हैं।-फॉरेन अफेयर्स। बिलकुल नए विचार...ताज़गी से भरपूर, विद्वतापूर्ण तथा मानवीय...सेन के आशावाद तथा योजनाओं से मनुष्य सोचने लगता है कि समस्याओं का सचमुच कोई हल है।-बिज़नेस वीक।


SPECIFICATION:
- Publisher :Rajpal and Sons
- By: Amartya Sen (Author)
- Binding :Hardcover
- Language: Hindi
- Edition :2017
- Pages: 120 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10::8170283019
- ISBN-13: 9788170283010
DESCRIPTION:
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन को विशिष्ट महत्त्व प्रदान किए जाने का मुख्य कारण यह है कि उन्होंने अर्थशास्त्र को मनुष्य के कल्याण का साधन बनाने के उद्देश्य से जोड़ा और इसके विविध पैमाने भी तैयार किए। इससे पूर्व अर्थशास्त्र को मात्र धन-संपदा का अध्ययन माना जाता था, उन्होंने उसे पहली बार दर्शन और नैतिकता की दिशा में उन्मुख किया। इसके लिए उन्होंने स्वयं तो दर्शन शास्त्र का गहरा अध्ययन किया ही, उसे अर्थशास्त्र के साथ पढ़ाना भी-विशेष रूप से अमेरिका के हारवर्ड विश्वविद्यालय में-आरम्भ किया। मूल सिद्धान्तों के गणितीय निर्माण और विकास के साथ-साथ उन्होंने इसके व्यावहारिक पक्ष-राष्ट्रीय आय, नौकरियाँ, विषमता और ग़रीबी आदि की गणना और मापन को भी बहुत दूर तक विकसित किया है। यह पुस्तक विषय के मूल सिद्धान्तों को तकनीकी और ग़ैर-तकनीकी दोनों ही ढंग से बहुत सफलतापूर्वक प्रस्तुत करती है। यह वह बीजरूपी आधार है जिस पर उनके कल्याणकारी अर्थशास्त्र का विशाल वटवृक्ष खड़ा है। विकासशील देशों के लिए प्रो. अमर्त्य सेन के विचार और उन पर आधारित योजनाएँ विशेष महत्त्वपूर्ण हैं। यह रचना दुनिया भर में बहुत प्रसिद्ध हुई है। ‘‘बहुत कम ऐसा होता है कि इतनी छोटी पुस्तक अपने विषय का इतना समग्र विवेचन प्रस्तुत कर सके-जैसा आर्थिक विषमता के महत्त्वपूर्ण विषय का इस रचना ने किया है।’’ –इकानामिस्ट ‘‘लेखक का दिमाग़ सर्चलाइट की तरह काम करता है और पुरानी स्थापित धारणाओं का खंडन करता चलता है।’’ -लंदन रिव्यू आफ बुक्स

Specification:
- Publisher : Vakils Feffer & Simons
- by : Tarla Dalal
- Cover : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2008
- Pages : 184
- Weight : 360gm.
- Size : 9.1 x 6.9 x 0.4 inches
- ISBN-10: 8184620063
- ISBN-13: 978-8184620061
Description:
Tarla Dalal is a widely admired connoisseur in the field of vegetarian cooking. With a flair for creativity, she has worked to create a wealth of recipes, skillfully blending the flavours of the Orient with the quick methods of the west. Her first title, The Pleasures of Vegetarian Cooking, sold a record 1,50,000 copies, and since then, there has been no looking back.‘
A demand for the Hindi translation of The Delights of Vegetarian Cooking motivated the author to bring out Aaswadan.


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Narendra Kohli (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 93506426210
- ISBN-13 :9789350642627
DESCRIPTION:
सुपरिचित उपन्यासकार नरेन्द्र कोहली की गणना आधुनिक युग के सशक्त कथाकारों में की जाती है। सामाजिक उपन्यासों के अतिरिक्त उन्होंने धार्मिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को लेकर अनेक उपन्यासों की रचना की है जो अत्यन्त लोकप्रिय हुए हैं। प्रस्तुत उपन्यास आतंक उनका एक सफल उपन्यास है जिसमें उन्होंने आधुनिक समाज में चारों ओर बढ़ती अव्यवस्था, बिखराव और असुरक्षा का सशक्त चित्रण किया है। यह आदि से अंत तक रोचक और पठनीय है। नरेन्द्र कोहली की अन्य लोकप्रिय पुस्तकें हैं-साथ सहा गया दुख, अभिज्ञान, जंगल, सबसे बड़ा सत्य और हत्यारे।


SPECIFICATION
- Publisher : Green Books Publisher
- By : Sara Joseph
- Cover : Paperback
- Language : Gujarati
- Edition : 2009
- Pages : 126
- Weight : 120 gm.
- Size : 5.51 x 0.27 x 8.5 inches
- ISBN-10 : 8184231474
- ISBN-13 : 978-8184231472

Specification:
- Publisher : Vakils Feffer & Simons
- by : Tarla Dalal
- Cover : Paperback
- Language : English
- Edition : 2008
- Pages : 179
- Weight : 360gm.
- Size : 8.8 x 6.8 x 0.4 inches
- ISBN-10: 8184620055
- ISBN-13: 978-8184620054
Description:
A demand for the Hindi translation of The Pleasures of Vegetarian Cooking motivated the author to bring out Aatithya.


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kahlil Gibran (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 112 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170287626
- ISBN-13 :9788170287629
DESCRIPTION:
ख़लील जिब्रान बीसवीं सदी के एक लोकप्रिय लेखक थे। 6 जनवरी 1883 को उनका जन्म लेबनान में हुआ। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश भाग अमेरिका में बिताया और अपने जीवन काल में पचीस किताबों की रचना की। वह एक निबंधकार, उपन्यासकार, कवि तथा चित्रकार के रूप में जाने गये और उनकी रचनाएं पीढ़ी दर पीढ़ी पढ़ी जाती रहीं और पाठकों को जीवन, प्रेम और सहभागिता के नये अर्थ समझाती रहीं। यह पुस्तक ख़लील जिब्रान की अंतिम रचना है, जो वर्ष 1931 में उन्होंने अपनी मृत्यु के बस कुछ ही पहले पूरी की। इस पुस्तक को भी ‘मसीहा’ की ही तरह एक श्रेष्ठ कृति का सम्मान दिया गया। इस पुस्तक में ख़लील जिब्रान ने कविता और सूक्तियों के माध्यम से अपना कालातीत जीवन-दर्शन तथा ज्ञान प्रस्तुत किया है जिसने विश्व-स्तर पर मान्यता पाई है। इस अधुनातन गौरव-ग्रंथ को ख़लील जिब्रान के रहस्यपूर्ण चित्रांकन ने और भी निखार दे दिया है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Jaico Publishing House
- By : Gouri Dange (Author)
- Binding : Paperback
- Language : English
- Edition : 2008
- Pages : 136 pages
- Size : :14 x 0.7 x 21.6 cm
- ISBN-10: 8184959222
- ISBN-13: 978-8179928202
DESCRIPTION:
For the parent-child interaction, there are no textbooks, no written tests, no diplomas and degrees only experience, life's many demands and finally the satisfaction of strong and loving bonds. ABCs of Parenting echoes many of the concerns of everyday parenting. The book offers suggestions, solutions and most importantly, food for thought -for all those for whom being a parent or a godparent is a demanding, dynamic and hugely rewarding role. The book touches on various age groups, from toddler to teenager. Written by a family counselor who is also a writer and editor, each topic provides key insights on a wide range of topics. There's literally something for every letter of the alphabet, from A for Apologies to Z for Zombies. ABCs of Parenting holds many Universal Truths that are contained within us all but are often forgotten in the hurly-burly of everyday parenting. Devoid of jargon and judgments, the book is an enjoyable as well as illuminating read, cover to cover.


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Narendra Kohli (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 168 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350641178
- ISBN-13 :9789350641170
DESCRIPTION:
2017 में ‘पद्मश्री’ और 2012 में ‘व्यास सम्मान’ से अलंकृत नरेन्द्र कोहली की गणना हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों में होती है। 1947 के बाद के हिन्दी साहित्य में उनका योगदान अमूल्य है। उन्होंने प्राचीन महाकाव्यों को आधुनिक पाठकों के लिए गद्य रूप में लिखने का एक नया चलन शुरू किया और पौराणिक कथानकों पर अनेक साहित्यिक कृतियाँ रचीं। ‘अभिज्ञान’ के कथानक की रचना गीता में वर्णित कृष्ण के कर्म-सिद्धान्त की आधार भूमि है। लेकिन यह उपन्यास कर्म-सिद्धान्त की पुष्टि के लिए नहीं, उसे समझाने के लिए है, जिससे साधारण मनुष्य भी अपने जीवन में इसका पालन कर सकता है। एक सांस्कृतिक उपन्यास जो प्राचीन और आज की शिक्षा-प्रणाली, गुरु-शिष्य परंपरा की अंतर्कथा भी है। तोड़ो कारा तोड़ो, वसुदेव, साथ सहा गया दुख, हत्यारे, आतंक और वरुणपुत्री उनकी अन्य लोकप्रिय पुस्तकें हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kalidas (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 112 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170287731
- ISBN-13 : 9788170287735
DESCRIPTION:
‘‘काव्यों में नाटक सुन्दर माने जाते हैं; नाटकों में ‘अभिज्ञान शाकुन्तल’ सबसे श्रेष्ठ है; शाकुन्तल में भी चौथा अंक और उस अंक में भी चार श्लोक अनुपम हैं।’’ एक अनुभवी और विद्वान आलोचक के इस कथन के बाद ‘अभिज्ञान शाकुन्तल’ के बारे में और क्या कहा जा सकता है! भारत की गौरवशाली और समृद्ध परम्परा, सांस्कृतिक वैभव, प्रकृति के साथ मानवीय अंतरंगता, यहां तक कि वन्य जीवों के साथ भी बन्धुत्व की भावना- इन सबका महाकवि कालिदास ने इस नाटक में जैसा वर्णन किया है, वह वास्तव में अनुपम है। विश्व की अनेक भाषाओं में ‘अभिज्ञान शाकुन्तल’ का अनुवाद हुआ है और सभी ने इसकी मुक्त कंठ से प्रशंसा की है।

"Kalidasa is admired for the portrayal of human emotion on the canvas of natural loveliness. Based on an anecdote mentioned in the Mahabharata, the simple tale of Sakuntala and Dushyant has been turned into poetical painting of picturesque scenery through his wonderful imagination. No poet had a richer and fuller sense of sensuous loveliness or a more masterly command of the resources of suggestive incidents, imagery and pictorial phrasing such as would reveal that loveliness in words.
Tagore remarks there are two unions in Sakuntalam and the central motif of the play is the progress from the earlier union of the first three acts with its youthful beauty and romance through an interval of separation and intense and speechless agony to the ultimate union in the Elysian regions of eternal bliss described in the last act. The play, therefore, naturally falls into three divisions each having a distinct atmosphere of its own-the first four acts constituting the first division, the fifth and sixth the second, and the seventh act the last.
For the first four acts the scene is laid in the hermitage. The poet has already in the prelude intimated that it was the time of pleasant summer, and even within the precincts of the sacred grove every tree and plant is touched by its magic fingers so that ""the wild-wood bloom outglows the garden flowers."""
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