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It is said that you unfold a whole new world every time you open a book. Ganges India presents to you the widest and the most distinctive genre of books to satisfy the diverse taste and preferences of all readers. Here you will find books of assorted topics and interest that can not only strengthen your love for books, but also change your life for good. So, readers! Assemble and dive into the greatest collection of knowledge and enrich your awareness and perception. Books have been an indispensable part of mankind and serve as a basis of our lifestyle. The foundations of all aspects of our lives from ideologies, beliefs, education, ethics, culture were laid by the knowledge our ancestors gathered from the prehistoric writings; and it passed on to the subsequent generations through writing itself. So in a way, the content of books can be intense enough to provide a meaningful direction to your life; precisely why we acknowledge the importance of a worthwhile theme and substance in a book. Hence, we bring to you a curated collection of books you would definitely consider keeping close to your heart. We understand your interest in the literary sphere and we have the perfect pick for all categories of book enthusiasts. Enlighten your mind with the various subjects available in Ganges India which includes Hinduism, Buddhism, Astrology, Art & Architecture, History, Philosophy, Performing Arts, Literature, Fiction, Alternative Health, Cooking, Travel, Biographies, General Books, Saints, Indian Languages and of course the junior readers can find their match in the Children’s section. Each category comes with a variety of options for you to choose from based on your personal inclination. One will undisputedly enhance their knowledge, wisdom and experience through these books without having to physically travel around the world or personally undergo any exasperating situations. Additionally, the different genres of books varying from educational, motivational, lifestyle, fiction will not only broaden your understanding towards the way the world works, but also will help you make better decisions for yourself as you would be exposed to a plethora of perspectives. Our Books section is empowered by the loyalty of readers towards books. Each book is provided with all the necessary details to ensure a pleasant buying experience for you. Also, we recommend that you go through the elaborate elucidation provided for most of the products, about the theme and author of the books for better comprehension of the content. Explore this exclusive section of readers’ paradise to immerse yourself in the cognizance of a wide range of subjects. We are certain that there are a gazillion of book-lovers out there; so before these books run out of stock, it is high time that you add them to your precious book collection in order to reinvent your passion and enhance your individual evolution. We are positive that you will be thrilled to read through the promising content of every product in this category
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Sharat Chandra Chattopadhyaya (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2014
- Pages: 32 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9380300212
- ISBN-13 :9789380300214
DESCRIPTION:
"इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य, अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्मृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देखकर सारे संसार ने अन्तरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर-रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।... उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है..."
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Acharya Chatursen (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 416 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170281350
- ISBN-13 :9788170281351
DESCRIPTION:
"इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य, अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्मृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देखकर सारे संसार ने अन्तरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर-रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।... उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है..."
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Acharya Chatursen (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2020
- Pages: 448 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9389373344
- ISBN-13 :9789389373349
DESCRIPTION:
'वैशाली की नगरवधू' एक क्लासिक उपन्यास है जिसकी गणना हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में की जाती है। इस उपन्यास के संबंध में इसके लेखक आचार्य चतुरसेन जी ने कहा था: "मैं अब तक की अपनी सारी रचनाओं को रद्द करता हूं और 'वैशाली की नगरवधू को अपनी एकमात्र रचना घोषित करता हूँ।" 'वैशाली की नगरवधू' में आज से ढाई हज़ार वर्ष पूर्व के भारतीय जीवन का एक जीता-जागता चित्र अंकित हैं। उपन्यास का मुख्य चरित्र है-स्वाभिमान और दर्प की साक्षात् मूर्ति] लोक-सुन्दरी अम्बपाली] जिसे बलात् वेश्या घोषित कर दिया गया था, और जो आधी शताब्दी तक अपने युग के समस्त भारत के सम्पूर्ण राजनीतिक और सामाजिक जीवन का केन्द्र-बिन्दु बनी रही। उपन्यास में मानव-मन की कोमलतम भावनाओं का बड़ा हृदयहारी चित्रण हुआ है। यह श्रेष्ठ रचना अब अपने अभिवन रूप में प्रस्तुत है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Acharya Chatursen (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 448 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170282829
- ISBN-13 :9788170282822
DESCRIPTION:
'वैशाली की नगरवधू' एक क्लासिक उपन्यास है जिसकी गणना हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में की जाती है। इस उपन्यास के संबंध में इसके लेखक आचार्य चतुरसेन जी ने कहा था: "मैं अब तक की अपनी सारी रचनाओं को रद्द करता हूं और 'वैशाली की नगरवधू को अपनी एकमात्र रचना घोषित करता हूँ।" 'वैशाली की नगरवधू' में आज से ढाई हज़ार वर्ष पूर्व के भारतीय जीवन का एक जीता-जागता चित्र अंकित हैं। उपन्यास का मुख्य चरित्र है-स्वाभिमान और दर्प की साक्षात् मूर्ति] लोक-सुन्दरी अम्बपाली] जिसे बलात् वेश्या घोषित कर दिया गया था, और जो आधी शताब्दी तक अपने युग के समस्त भारत के सम्पूर्ण राजनीतिक और सामाजिक जीवन का केन्द्र-बिन्दु बनी रही। उपन्यास में मानव-मन की कोमलतम भावनाओं का बड़ा हृदयहारी चित्रण हुआ है। यह श्रेष्ठ रचना अब अपने अभिवन रूप में प्रस्तुत है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Acharya Chatursen (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 304 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534266
- ISBN-13 :9789386534262
DESCRIPTION:
‘‘सोने का रंग पीला होता है और खून का रंग सुर्ख। पर तासीर दोनों की एक है। खून मनुष्य की रगों में बहता है, और सोना उसके ऊपर लदा हुआ है। खून मनुष्य को जीवन देता है, जबकि सोना उसके जीवन पर खतरा लाता है। पर आज के मनुष्य का खून पर उतना मोह नहीं है, जितना सोने पर है। वह एक-एक रत्ती सोने के लिए अपने शरीर की एक-एक बूँद खून बहाने को आमादा है। जीवन को सजाने के लिए वह सोना चाहता है, और उसके लिए खून बहाकर वह जीवन को खतरे में डालता है। आज के सभ्य संसार का यह सबसे बड़ा कारोबार है।’’ सोना और खून आचार्य चतुरसेन का चार भागों में लिखा उत्कृष्ट उपन्यास है जिसकी उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इसका हर भाग अपने में सम्पूर्ण है। लेखक का लक्ष्य इस उपन्यास को दस भागों में पूरा करने का था, लेकिन अपने जीवनकाल मं् वे मात्र चार भाग ही लिख पाये। 1957 में प्रकाशित यह उपन्यास जितना उस समय लोकप्रिय था, उतना ही आज भी है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Acharya Chatursen (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 304 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534258
- ISBN-13 :9789386534255
DESCRIPTION:
‘‘सोने का रंग पीला होता है और खून का रंग सुर्ख। पर तासीर दोनों की एक है। खून मनुष्य की रगों में बहता है, और सोना उसके ऊपर लदा हुआ है। खून मनुष्य को जीवन देता है, जबकि सोना उसके जीवन पर खतरा लाता है। पर आज के मनुष्य का खून पर उतना मोह नहीं है, जितना सोने पर है। वह एक-एक रत्ती सोने के लिए अपने शरीर की एक-एक बूँद खून बहाने को आमादा है। जीवन को सजाने के लिए वह सोना चाहता है, और उसके लिए खून बहाकर वह जीवन को खतरे में डालता है। आज के सभ्य संसार का यह सबसे बड़ा कारोबार है।’’ सोना और खून आचार्य चतुरसेन का चार भागों में लिखा उत्कृष्ट उपन्यास है जिसकी उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इसका हर भाग अपने में सम्पूर्ण है। लेखक का लक्ष्य इस उपन्यास को दस भागों में पूरा करने का था, लेकिन अपने जीवनकाल मं् वे मात्र चार भाग ही लिख पाये। 1957 में प्रकाशित यह उपन्यास जितना उस समय लोकप्रिय था, उतना ही आज भी है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Acharya Chatursen (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 304 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 93865342410
- ISBN-13 :9789386534248
DESCRIPTION:
‘‘सोने का रंग पीला होता है और खून का रंग सुर्ख। पर तासीर दोनों की एक है। खून मनुष्य की रगों में बहता है, और सोना उसके ऊपर लदा हुआ है। खून मनुष्य को जीवन देता है, जबकि सोना उसके जीवन पर खतरा लाता है। पर आज के मनुष्य का खून पर उतना मोह नहीं है, जितना सोने पर है। वह एक-एक रत्ती सोने के लिए अपने शरीर की एक-एक बूँद खून बहाने को आमादा है। जीवन को सजाने के लिए वह सोना चाहता है, और उसके लिए खून बहाकर वह जीवन को खतरे में डालता है। आज के सभ्य संसार का यह सबसे बड़ा कारोबार है।’’ सोना और खून आचार्य चतुरसेन का चार भागों में लिखा उत्कृष्ट उपन्यास है जिसकी उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इसका हर भाग अपने में सम्पूर्ण है। लेखक का लक्ष्य इस उपन्यास को दस भागों में पूरा करने का था, लेकिन अपने जीवनकाल मं् वे मात्र चार भाग ही लिख पाये। 1957 में प्रकाशित यह उपन्यास जितना उस समय लोकप्रिय था, उतना ही आज भी है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Acharya Chatursen (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 240 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534231
- ISBN-13 :9789386534231
DESCRIPTION:
‘‘सोने का रंग पीला होता है और खून का रंग सुर्ख। पर तासीर दोनों की एक है। खून मनुष्य की रगों में बहता है, और सोना उसके ऊपर लदा हुआ है। खून मनुष्य को जीवन देता है, जबकि सोना उसके जीवन पर खतरा लाता है। पर आज के मनुष्य का खून पर उतना मोह नहीं है, जितना सोने पर है। वह एक-एक रत्ती सोने के लिए अपने शरीर की एक-एक बूँद खून बहाने को आमादा है। जीवन को सजाने के लिए वह सोना चाहता है, और उसके लिए खून बहाकर वह जीवन को खतरे में डालता है। आज के सभ्य संसार का यह सबसे बड़ा कारोबार है।’’ सोना और खून आचार्य चतुरसेन का चार भागों में लिखा उत्कृष्ट उपन्यास है जिसकी उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इसका हर भाग अपने में सम्पूर्ण है। लेखक का लक्ष्य इस उपन्यास को दस भागों में पूरा करने का था, लेकिन अपने जीवनकाल मं् वे मात्र चार भाग ही लिख पाये। 1957 में प्रकाशित यह उपन्यास जितना उस समय लोकप्रिय था, उतना ही आज भी है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Acharya Chatursen (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 400 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170281571
- ISBN-13 :9788170281573
DESCRIPTION:
सोमनाथ हिन्दी साहित्य के कालजयी उपन्यासों में से है। बहुत कम ऐतिहासिक उपन्यास इतने रोचक और लोकप्रिय हुए हैं। इसके पीछे आचार्य चतुरसेन की वर्षों की साधना, गहन अध्ययन और सबसे बढ़कर उनकी लाजवाब लेखन-शैली है। बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदि-मंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। ‘सोमनाथ’ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिर-फिर उठता है और करता है-एक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही श्रृंखला इस कथा का आधार है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Acharya Chatursen (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2012
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350640511
- ISBN-13 :9789350640517
DESCRIPTION:
हिन्दी के कथाकारों में आचार्य चतुरसेन का महत्त्वपूर्ण स्थान है। आचार्य जी ने मुग़लकालीन तथा ब्रिटिश इतिहास का अध्ययन विशेष रूप से किया था। तत्कालीन राजघरानों से उनका निकट का संबंध रहा था, इनको आधार बनाकर उन्होंने सैंकड़ों कहानियाँ तथा अनेक उपन्यास लिखे जो आज भी सार्थक हैं। साथ ही, सामाजिक विषयों पर उत्कृष्ट कहानियाँ भी लिखीं। प्रस्तुत संकलन की कहानियाँ उन्होंने स्वयं पसंद कीं और उन पर टिप्पणियाँ भी लिखी हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Acharya Chatursen (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 128 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 93506405210
- ISBN-13 :9789350640524
DESCRIPTION:
हिन्दी के कथाकारों में आचार्य चतुरसेन का महत्त्वपूर्ण स्थान है। आचार्य जी ने मुग़लकालीन तथा ब्रिटिश इतिहास का अध्ययन विशेष रूप से किया था। तत्कालीन राजघरानों से उनका निकट का संबंध रहा था, इनको आधार बनाकर उन्होंने सैंकड़ों कहानियाँ तथा अनेक उपन्यास लिखे जो आज भी सार्थक हैं। साथ ही, सामाजिक विषयों पर उत्कृष्ट कहानियाँ भी लिखीं। प्रस्तुत संकलन की कहानियाँ उन्होंने स्वयं पसंद कीं और उन पर टिप्पणियाँ भी लिखी हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Acharya Chatursen (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2013
- Pages: 48 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170285518
- ISBN-13 :9788170285519
DESCRIPTION:
आचार्य चतुरसेन जी की समर्थ लेखनी से लिखी गई भारत के महान व्यक्तियों के जीवन की कहानियां यहां पढ़ी जा सकती है l
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Acharya Chatursen (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170288428
- ISBN-13 :9788170288428
DESCRIPTION:
धर्मपुत्र मनुष्य की अस्मिता के बारे में मूल प्रश्न उठाता है-क्या किसी इंसान का अस्तित्व इस बात पर निर्भर है कि वह किस परिवार में जन्मा या उसे किस प्रकार की शिक्षा संस्कार दिए गए या फिर इंसान की अस्मिता धर्म, शिक्षा और संस्कारों से परे इंसानियत से जुड़े जीवन-मूल्यों से है। यह कहानी है हिन्दू और मुसलमान परिवार की जिनका आपस में प्रेम भरा संबंध है। मुस्लिम परिवार की जवान लड़की की नाजायज़ औलाद को हिन्दू परिवार अपना लेता है और हिन्दू संस्कारों से उसका पालन-पोषण करता है। जवान होते-होते यह लड़का कट्टर हिन्दू बन जाता है और उसकी धारणा है कि मुसलमानों को भारत छोड़ देना चाहिए। इसी दौरान उसे अपनी जन्म देने वाली मां की सच्चाई का पता चलता है। मां और बेटे के आपसी संबंध होने के बावजूद वे नदी के दो अलग-अलग किनारों की तरह खड़े हैं और बीच में घृणा और अविश्वास की सुलगती नदी बह रही है। मशहूर फ़िल्म-निर्माता यश चोपड़ा ने 1961 में इस उपन्यास पर इसी नाम से फ़िल्म बनाई थी जो बहुत ही लोकप्रिय हुई थी।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Acharya Chatursen (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 128 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350642700
- ISBN-13 :9789350642702
DESCRIPTION:
वैशाली की नगरवधू, वयं रक्षाम: और सोमनाथ जैसे सुप्रसिद्ध उपन्यासों के लेखक आचार्य चतुरसेन के इस उपन्यास की पृष्ठभूमि बारहवीं ईस्वी सदी का बिहार है जब बौद्ध धर्म कुरीतियों के कारण पतन की ओर तेज़ी से बढ़ रहा था। कहानी है बौद्ध भिक्षु दिवोदास की, जो धर्म के नाम पर होने वाले दुराचारों को देखकर विद्रोह कर डालता है। जिसके लिए उसे कारागार और पागलखाने में डाल दिया जाता है। वहां पर उसे एक देवदासी और एक भूतपूर्व सेवक सहारा देते हैं और उनकी सहायता से दिवोदास धर्म के नाम पर किए जाने वाले अत्याचारों का भंडाफोड़ करता है। आचार्य चतुरसेन ने किस्सागोई के अपने खास अंदाज़ में, इस कथानक के जरिये धर्म और धर्म के ढोंग को बहुत ही भावनात्मक और रोचक ढंग से चित्रित किया है और दिखाया है कि भारत से बौद्ध धर्म का लोप किन कारणों से हुआ। पठनीयता इतनी है कि शुरू से अंत तक पाठक को बाँधे रखती है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Acharya Chatursen (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2015
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350643332
- ISBN-13 :9789350643334
DESCRIPTION:
आचार्य चतुरसेन हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं जिन्होंने सैकड़ों कहानियाँ और कई चर्चित उपन्यास लिखे हैं। उनका रचनात्मक फलक बहुत विशाल था जिसमें उन्होंने धर्म, राजनीति, समाजशास्त्र, स्वास्थ्य और चिकित्सा आदि विषयों पर लिखा। उनकी 150 से अधिक प्रकाशित रचनाएँ हैं जो अपने में एक कीर्तिमान है। ऐतिहासिक उपन्यासों के लेखक के रूप में उनकी विशेष प्रतिष्ठा है। बड़ी बेगम की कई कहानियों में भी मुगलकाल के इतिहास की झलक मिलती है। उनकी पहली कहानी ‘सच्चा गहना’, जो इस पुस्तक में भी सम्मिलित है, उस समय की लोकप्रिय मासिक पत्रिका गृहलक्ष्मी में 1917-1918 में प्रकाशित हुई थी। उनकी बहुआयामी प्रतिभा और भाषा पर पकड़ उनके लेखन को विशेष पहचान देती है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Acharya Chatursen (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2015
- Pages: 80 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350642204
- ISBN-13 :9789350642207
DESCRIPTION:
वैशाली की नगरवधू, वयं रक्षामः, सोमनाथ, धर्मपुत्र और सोना और खून जैसे हिन्दी के क्लासिक उपन्यासों के लेखक आचार्य चतुरसेन की यह पुस्तक वैवाहिक जीवन में यौन-संबंधों के विषय पर केंद्रित है। विवाह के बाद दंपति दो अलग-अलग रिश्तों में बंध जाते हैं; एक रिश्ता पति-पत्नी का जो पारिवारिक और सामाजिक संबंधों पर आधारित है, और दूसरा रिश्ता स्त्री-पुरुष का जिसका आधार है यौन संबंध। वैवाहिक जीवन में कभी-कभी यौन संबंधी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं जिनको यदि समय से न सुलझाया जाए तो वे एक नासूर बन जाती हैं जिससे शादी के मधुर मिलन में निराशा और दूरी आ जाती है। यदि आप अपने वैवाहिक जीवन में यौन सुख का भरपूर आनंद चाहते हैं या फिर किसी यौन-संबंधी समस्या से परेशान हैं तो यह पुस्तक आपके लिए मार्गदर्शक हो सकती है। आचार्य चतुरसेन शास्त्री साहित्यिक लेखक होने के साथ एक आयुर्वेद चिकित्सक भी थे। जैसे-जैसे उनकी पुस्तकों की लोकप्रियता बढ़ती गई, उन्होंने अपना पूरा समय लेखन में देना शुरू किया, पर आयुर्वेद में उनकी रुचि बराबर बनी रही। यह पुस्तक उनकी आयुर्वेदिक चिकित्सा के दौरान मरीज़ों की चिकित्सा के अनुभवों पर आधारित है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Acharya Chatursen (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 40 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170285976
- ISBN-13 :9788170285977
DESCRIPTION:
अच्छी आदतें
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Tufail Chaturvedi (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 192 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534967
- ISBN-13 :9789386534965
DESCRIPTION:
एक साथ पहली बार एक किताब में एक पाकिस्तानी और एक हिन्दुस्तानी शायर की ग़ज़लें इस किताब में एक साथ दो ऐसे नामी शायरों, एक पाकिस्तानी शायर और एक हिन्दुस्तानी शायर, के कलाम प्रस्तुत हैं जिनकी शायरी में आधुनिकता की झलक मिलती है। पाकिस्तान के सऊद अशरफ़ उस्मानी की शायरी के बारे में मशहूर शायर अहमद नदीम क़ासमी साहब का कहना है कि ‘‘जब ग़ज़ल विधा से ऊब चुके लोग मुझसे ये कहते हैं कि अब इस विधा में कहने को कुछ नहीं रहा तो मैं उनको मश्वरा देता हूँ कि वो सऊद उस्मानी को पढ़ लें क्योंकि उसने ग़ज़ल के जिस्म में नयी जान फूँकी है। मैं उन्हें बताता हूँ कि सऊद अशरफ़ उस्मानी केवल आधुनिक ग़ज़लकार ही नहीं हैं बल्कि उससे भी आगे की चीज़ हैं।’’ वहीं अगर हिन्दुस्तान के रऊफ़ रज़ा की शायरी की बात की जाये तो उनकी शायरी में आधुनिकता परम्परा के साथ दाख़िल होती है। रऊफ़ रज़ा सिर्फ़ नींद की ख़ातिर नहीं सोना चाहते, वो अच्छे ख़्वाबों का चुनाव भी करना चाहते हैं। वो फूलों से बात करते हुए, गुलाबों की काश्त करते हुए उस मक़ाम पर पहुँचते हैं जहाँ शायर, ज़िन्दगी और बन्दगी का रहस्य खुद ही नहीं समझते बल्कि अपनी शायरी के ज़रिए पाठकों को समझाने में भी कामयाब होते हैं। इन दोनों शायरों की ग़ज़लें अभी तक उर्दू में ही है अब पहली बार इनकी ग़ज़लें देवनागरी में
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Tufail Chaturvedi (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 192 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534975
- ISBN-13 :9789386534972
DESCRIPTION:
एक साथ पहली बार एक किताब में एक पाकिस्तानी और एक हिन्दुस्तानी शायर की ग़ज़लें इस किताब में शामिल दोनों शायरों की विशेषता है कि ये सहज और सरल शब्दों में गम्भीर से गम्भीर विचार सफलतापूर्वक कह जाते हैं। जहाँ रफ़ी रज़ा को सोशल मीडिया पर अपने विचारों के कारण बहुत से लोगों की नाराज़गी उठानी पड़ती है तो वहीं तुफ़ैल चतुर्वेदी का भी यही हाल है। पाकिस्तान के शायर, रफ़ी रज़ा, की शायरी में जब मुहब्बत दाख़िल होती है तो पूरी कायनात में फूल से खिलने लगते हैं। ग़ुस्सा फूटता है तो बदला नहीं बेबसी होती है। रफ़ी रज़ा जब हैरत के संसार में प्रवेश करते हैं तो पाठक भी हैरतज़दा हो जाते हैं । वो बने-बनाये ढर्रे पर नहीं चलना चाहते बल्कि दूसरे विद्वानों के अनुभवों से लाभ लेते हुए सब कुछ स्वयं भी अनुभव करना चाहते हैं। रफ़ी रज़ा की ग़ज़लें पहली बार देवनागरी में प्रकाशित हो रही हैं। चुनिंदा बातों को छोड़कर हिन्दुस्तान के शायर, तुफ़ैल चतुर्वेदी, का व्यक्तित्व काफ़ी हद तक रफ़ी रज़ा से मिलता-जुलता है। लेकिन उनकी शायरी का रंग अलग है। तुफ़ैल चतुर्वेदी का कहना है- कोई झोंका नहीं है ताज़गी का तो फिर क्या फ़ायदा इस शायरी का उनके शे’रों में व्यंग्य की धार भी है और ‘करुण रस रसराज है’ वाली बात भी सत्य साबित होती है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Tufail Chaturvedi (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 192 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534959
- ISBN-13 :9789386534958
DESCRIPTION:
एक साथ पहली बार एक किताब में एक पाकिस्तानी और एक हिन्दुस्तानी शायर की ग़ज़लें इस किताब में जो एक पाकिस्तानी और एक हिन्दुस्तानी शायर एक साथ शामिल किए गए हैं उनकी ख़ासियत है कि वो अपनी ग़ज़लों में बिलकुल अलग क़िस्म और अनछुए मुद्दों को उठाते हैं। पाकिस्तान के शायर अज़हर फ़राग़ की शायरी की विशेषता उनके ताज़ा और अछूते विषय हैं। वे अपनी ग़ज़लों में कभी ख़्वाब देखते हैं, कभी ख़्वाबों को जीते हैं तो कभी ख़्वाबों से निकलकर हक़ीक़त का सामना करते हुए चराग़ लेकर हवा से मुक़ाबला करने निकल पड़ते हैं। वो अपने अन्दर और बाहर दोनों जगह बराबर नज़र जमाये हुए रहते हैं और ख़ुदकलामी नहीं वक़्त से रू-ब-रू होकर कलाम करते हैं। लेकिन कहीं भी ग़ज़ल की रूह को वो ठेस नहीं पहुँचाते और अपनी बात सलीक़े से कहने में कामयाब हो जाते हैं। हिन्दुस्तान के शायर, अहमद कमाल परवाज़ी, की शायरी जैसे ज़िन्दगी की मुश्किलों से होड़ लेती हुई, तीखे तन्ज़ कसती हुई सबको होशियार, ख़बरदार करती हुई आगे बढ़ती है। परवाज़ी रवायतों को तोड़ते और अपनी ग़ज़ल में ऐसे-ऐसे विषय पिरोते हैं जो शायद पहली बार उर्दू ग़ज़ल का हिस्सा बने हैं जैसे - रबी और खरीफ़ की फ़सल, बच्चों के स्कूल की फ़ीस, सियासत के दाँव-पेच, गाँव की ज़िन्दगी... और इन सब पर ग़ज़ल में गहरा चिंतन। इन दोनों शायरों की ग़ज़लें अभी तक उर्दू में ही हैं अब पहली बार इनकी ग़ज़लें देवनागरी में
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Tufail Chaturvedi (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534983
- ISBN-13 :9789386534989
DESCRIPTION:
"इक्कीसवीं सदी में पाकिस्तान में कैसी ग़ज़लें कही जा रही हैं, इसका अंदाज़ा आप इस किताब से लगा सकते हैं। यूँ तो पाकिस्तान में बेशुमार शायर हैं और उनमें से कुछेक को ही इस किताब के लिए चुनना एक चुनौती थी। तो चुनाव का पैमाना यह रखा गया कि शायर ऐसे हों जिनकी ग़ज़लों को हिन्दी के पाठक समझ सकें और उनसे हिन्दुस्तान के लोग कुछ हद तक वाकिफ़ हों। इस पैमाने पर सात शायर ही खरे उतरे और उन सात शायरों की चुनिंदा ग़ज़लें इस किताब में पेश हैं। शायरों और उनकी ग़ज़लों को चुनने का मुश्किल काम और उनका सम्पादन तुफ़ैल चतुर्वेदी ने बेहतरीन ढंग से किया है। उन्होंने बरसों तक अपनी लफ़्ज पत्रिका के माध्यम से पाठकों को उर्दू की बेहतरीन शायरी से परिचित कराया।"
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Binod Chaudhary Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 272 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534339
- ISBN-13 :9789386534330
DESCRIPTION:
‘‘सपनों को साकार कैसे किया जाये-बिनोद चौधरी की आत्मकथा पढ़कर समझा जा सकता है। सभी भावी उद्यमियों को अवश्य ही यह पुस्तक पढ़नी चाहिए।’’ -विद्या देवी भंडारे, नेपाल की राष्ट्रपति बिनोद चौधरी एशिया के एक प्रमुख उद्योगपति हैं जो अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिका फोर्ब्स की 2013 की सूची में सम्मिलित होने वाले एकमात्र नेपाली हैं। उनके द्वारा संचालित ‘चौधरी ग्रुप’ का बैंकिंग, बीमा, वित्त, होटल और रीयल एस्टेट का कारोबार केवल नेपाल में ही नहीं, बल्कि भारत और अन्य देशों में भी दूर-दूर तक फैला हुआ है। उनकी वाई-वाई (Wai Wai) नूडल्स बेहद लोकप्रिय है और अभी तक भारत में इसके एक अरब पैकेट बिक चुके हैं। चुनौतियों का सामना करने से बिनोद चौधरी कभी पीछे न¬हीं हटते और यही कारण है कि वे अपने व्यवसाय को दिन-प्रतिदिन प्रगति और समृद्धि के रास्ते पर ले जा रहे हैं। पढ़िये और आप भी प्रेरित होइये अपने सपनों को साकार करने के लिए।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Manhar Chauhan Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2009
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170287901
- ISBN-13 :9788170287902
DESCRIPTION:
किस प्रकार एक संघर्षशील व्यक्ति, जो स्वभाव से अपराधी नहीं है, अनायास ही अपराध की धुरी लेकर एक ऐसा जाल बुनता है, जिस में वह स्वयं तो फँसता ही है, अपने पूरे परिवार को भी लपेट में ले लेता है; इसका सूक्ष्म विवरण इस कृति में है। आधुनिक हिन्दी के सबसे वेधक, विचारोत्तेजक, रोचक उपन्यासों के बीच ‘वध’ का स्थान सुरक्षित है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Chanakya Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170282101
- ISBN-13 :9788170282105
DESCRIPTION:
मूलतः संस्कृत में लिखे कौटिल्य अर्थशास्त्र को यहां सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है। राज्य प्रबंधन का कोई ऐसा पहलू नहीं है, जो अर्थशास्त्र में न मिलता हो। प्राचीनकाल में मौर्य साम्राज्य की नींव रखने वाले चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु कौटिल्य ने उन्हें राजनीति, कूटनीति, विदेश नीति जैसे मुद्दों पर व्यावहारिक उपदेश दिए थे। ये उपदेश ही अर्थशास्त्र का मूल विषय हैं। आज भी पढ़ने पर यह ग्रंथ उतना ही प्रासंगिक लगता है, जितना हज़ारों साल पहले इसे लिखे जाने के वक्त था।
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